गुड़गाँव
विश्व नागरी विज्ञान संस्थान के तत्वावधान में 19 अगस्त, 2010 को के.आई.आई.टी. एजुकेशन वर्ल्ड के के.आई.आई.टी. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के परिसर में टेक्सॅस विश्वविद्यालय, ऑस्टिन (यू.एस.ए.) के दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान के हिन्दी-उर्दू फ्लैगशिप के निदेशक प्रो. हर्मन वॉन आल्फन का व्याख्यान ‘अमेरिका में हिन्दी की स्थिति’ पर नागरी विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष श्री बलदेवराज कामराह की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। नागरी विज्ञान संस्थान के उपाध्यक्ष और के.आई.आई.टी. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के कार्यपालक निदेशक डॉ. श्याम सुंदर अग्रवाल ने प्रो. वॉन आल्फन का स्वागत किया। नागरी विज्ञान संस्थान के महासचिव ओर निदेशक प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी ने संस्थान का परिचय देते हुए और प्रो. वॉन आल्फन के कृतित्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में हिन्दी की विशिष्ट भूमिका हो गई है और विश्वजनीन भाषा के रूप में यह विभिन्न कार्यक्षेत्रों में भी प्रयुक्त होने लगी है।
प्रो. वॉन आल्फन ने हिन्दी के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि हिन्दी विश्व की तीन बड़ी भाषाओं –चीनी, हिन्दी और अंग्रेजी में मानी जाती है। हिन्दी की व्यापकता को देखते हुए अमेरिका में विश्ववि़द्यालयों के अतिरिक्त हिन्दी स्कूलों में भी पढ़ाई जाती है। ह्यूस्टन में एक हिन्दी स्कूल है जिसमें स्पेनिश, गोरे और प्रवासी भारतीय बच्चे पढ़ाए जा रहे हैं। उत्तर टेक्सॅस में तीन साल से व्यापार से संबद्ध हिन्दी और चीनी में से किसी एक भाषा का चयन कर सकते हैं। ग्रीष्मकाल में अटलांटा में एक सौ अमरीकी बच्चों को दस दिन हिन्दी सिखाई जाती है। टेक्सॅस विश्वविद्यालय में भी भाषा संबंधी फ्लैगशिप कार्यक्रम चलाए जाते हैं। यह कार्यक्रम सन् 2002 में प्रारंभ हुआ था। पहले चीनी और अरबी फ्लैगशिप का श्रीगणेश हुआ था, बाद में हिन्दी-उर्दू फ्लैगशिप की स्थापना हुई। इस हिन्दी-उर्दू फ्लैगशिप कार्यक्रम का उद्ददेश्य शिक्षार्थियों को वैश्विक व्यवसायी (ग्लोबल प्रोफेशनल) बनाना है जिसमें चार वर्ष तक डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक आदि लोग हिन्दी सीखते हैं। इसका यह भी लक्ष्य है कि इन व्यवसायों के लोग अंग्रेजी में तो काम करते ही हैं, हिन्दी में भी काम करें।
प्रो. हर्मन वॉन आल्फन ने इस बात का उल्लेख किया कि हिन्दी एक गंभीर मामला है, यह कोई मनोरंजन का विषय नहीं है। ऐसा आवश्यक है कि सभी गंभीर कार्य अंग्रेजी में किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान विदेशियों को ऐसा न लगे कि भारत में अंग्रेजी ही प्रयुक्त होती है। अत: अपनी भाषा का विशिष्ट स्थान होता है और इस दृष्टि से दुनिया के सभी लोग भारत की ओर देख रहे हैं और इसमें हिन्दी की विशेष भूमिका है।
अंत में के.आई.आई.टी. कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्राचार्य प्रो. मंजीत सेनगुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस व्याख्यान में नागरी लिपि परिषद् के सचिव डॉ. परमानंद पांचाल, के.आई.आई.टी. एजुकेशन वर्ल्ड के चीफ एक्जीक्यूटिव डॉ. हर्ष वर्धन, प्रो. आर.के.जैन, प्रो. वी.के. स्याल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही है।
व्याख्यान से पूर्व विश्वनागरी विज्ञान संस्थान की कार्यकारिणी समिति की बैठक हुई, जिसमें प्रो. हर्मन वॉन आल्फन का स्वागत हुआ और उन्हें अमेरिका के प्रतिनिधि के रूप में कार्यकारिणी समिति का सदस्य घोषित किया गया। संस्थान के महासचिव प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी ने संस्थान की गतिविधियों की जानकारी देते हुए इसके भावी कार्यक्रमों की भी चर्चा की। अंत में संस्थान के अध्यक्ष श्री बलदेवराज कामराह ने नागरी लिपि को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़कर विश्व स्तर पर लाने पर बल दिया।
रिपोर्ट- प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी
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