Saturday, October 9, 2010

ब्लॉगरों को अपनी लक्ष्मण रेखा खुद बनानी होगी- विभूति नारायण राय

हिन्दी ब्लॉगिंग पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला और संगोष्ठि का उद्‍घाटन


बाएँ से दाएँ- माइक पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, मंच पर आलोक धन्वा, डॉ॰ अजित गुप्ता, विभूति नारायण राय, ऋषभ देव शर्मा, अनिल राय 'अंकित' और डॉ. कविता वाचक्नवी

9 अक्टूबर । वर्धा
आज महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में 'हिंदी ब्लॉगिंग की आचार-संहिता' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं संगोष्ठी उद्‍घाटन हुआ। उद्‍घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने किया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत कार्यक्रम के संयोजक सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने किया।

अपने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति ए. अरविंदाक्षण ने कहा कि इस कार्यक्रम में यूजीसी और मानव संसाधन विकास के प्रतिनिधियों/अधिकारियों को भी आमंत्रित करना चाहिए, जिससे वे जान सकें कि ये विश्वविद्यालय केवल साहित्यधर्मिता और उत्सव का ही केंद्र नहीं है, बल्कि यह हिंदी को तकनीक से भी जोड़ने को प्रयासरत है।


अपना वक्तव्य देते हुए विभूति नारायण राय

कुलपति विभूति नारायण राय ने अपने उद्‍घाटन वक्तव्य में कहा कि इंटरनेट ने राज्यों की बंदिशों को तोड़ा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में यह जो विस्फोट हुआ है, वो इंटरनेट से ही संभव हो सका है। लेकिन हम यहाँ 2 दिनों के लिए इसलिए भी उपस्थित हुए हैं कि हम इस बात पर बहस कर सकें कि इस माध्यम ने हमें एक खास तरह की स्वच्छंदता तो नहीं दे दी है! अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कहीं हम यह तो नहीं भूल रहे हैं कि हम सारी सीमाएँ तोड़ रहे हैं और दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचा रहे हैं। कहीं हम तथ्यों को तोड़-मरोड़कर तो नहीं पेश कर रहे हैं। हमें ऐसा लगता है कि हर एक ब्लॉगर को अपनी लक्ष्मण-रेखा खुद बनानी होगी।


श्रोतागण

विषय-प्रवर्तन जोधपुर, राजस्थान से पधारीं प्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लॉगर डॉ. अजित गुप्ता ने किया। अध्यक्षता डॉ. ऋषभ देव शर्मा ने की। इनके अतिरिक्त मंच पर वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा, जनसंचार विभाग-प्रमुख अनिल राय और ब्लॉगर और कवयित्री डॉ. कविता वाचक्नवी उपस्थित थे।