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Friday, April 22, 2011

10वां राष्ट्रीय विश्व भोजपुरी सम्मलेन 23 -24 अप्रैल को, ऋषिकेश में

१०वें राष्ट्रीय विश्व भोजपुरी सम्मलेन का आयोजन २३ -२४ अप्रैल को त्रिवेणी घाट,ऋषिकेश (उतराखंड ) में किया जा रहा है जिसमें देश व देश के बाहर से हज़ारों की संख्या में साहित्यकार , कलाकार, गायक और भोजपुरी प्रेमी भाग लेंगे. सम्मलेन का उदघाटन माननीय मुख्यमंत्री ,उतराखंड श्री रमेश पोखरियाल निशंक करेंगे . मुख्य अतिथि वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र , अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी (राष्ट्रीय अध्यक्ष ,विश्व भोजपुरी सम्मलेन),अति विशिष्ट अतिथि -डा ० राजा वशिष्ठ (अमेरिका ),महामहिम राजदूत ( त्रिनिदाद) ,डा ० सरिता बुधू (मारीशस ),विशिष्ट अतिथि -श्री कमल नारायण मिश्र (प्रदेश अध्यक्ष ,उतराखंड ),श्री अरुणेश नीरन (अंतर राष्ट्रीय महासचिव ,विश्व भोजपुरी सम्मलेन ),माननीय हरीश रावत (सांसद , हरिद्वार ) और माननीय ओम प्रकाश यादव (सांसद, सीवान ) आदि उदघाटन सत्र में भाग लेंगे.
इस दो दिवसीय आयोजन में इस वर्ष भी साहित्यिक परिचर्चा , विचार गोष्ठी , लोकरंग , नटरंग , कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का कार्यक्रम होगा .

उक्त आशय की जानकारी देते हुए विश्व भोजपुरी सम्मेलन दिल्ली के अध्यक्ष श्री मनोज भावुक ने बताया कि '' विश्व भोजपुरी सम्मलेन २० करोड़ भोजपुरी भाषी लोगों का एक विश्व संगठन है तथा सोलह देश इसके सदस्य हैं . भारत एवं भारत के बाहर अब तक इसके चार विश्व सम्मेलन और नौ राष्ट्रीय अधिवेशन हो चुके हैं . इनमें भारत और मारीशस के राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , मंत्री , सांसद , संस्कृतिकर्मी , कलाकार , भाषाविद एवं साहित्यकारों ने उपस्थित होकर भोजपुरी का मान बढाया है .

श्री भावुक ने आगे कहा कि ' विश्व भोजपुरी सम्मलेन भोजपुरी भाषा , साहित्य , कला , संस्कृति एवं जीवन शैली के प्रचार-प्रसार , संरक्षण एवं संवर्धन के लिए समर्पित एक विश्व स्तरीय संगठन है . विश्व भर में अपने श्रम , प्रतिभा , कल्पनाशक्ति और समर्पण के कारण अपना विशेष स्थान बनाने वाले बीस करोड़ भोजपुरियों की एकता , आपसी संवाद , पहचान और अपनी मिट्टी की गंध बनाए रखने और उनके लिए एक विश्व मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सन १९९५ में सेतु न्यास मुम्बई की सहायता से संस्था की स्थापना हुई थी . मात्र पंद्रह वर्ष की अल्पावधि में सम्मेलन ने भोजपुरिया कला और संस्कृति के क्षेत्र में तो कीर्तिमान स्थापित किया ही है , लाखो लोगों को एक मंच पर जुटाकर उनकी अस्मिता का बोध भी कराया है .