08 अप्रैल 2009,सायं 6.00 बजे दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में ८० से अधिक लोगों के एक समूह ने, जिसमें २० से अधिक बाल साहित्यकार भी शामिल थे, महामहिम प्रतिभा देवी पाटिल से मुलाक़ात की और बाल-साहित्यारों के प्रोत्साहन हेतु तथा बालसाहित्य के संरक्षण हेतु कुछ प्रस्ताव रखे। प्रस्ताव द हिंदु, यंग वर्ल्ड के संपादक ज़ियाउस्सलाम, डॉ. हरिभाओ खांडेकर एवं डॉ.शकुंतला कालरा की ओर से रखे गये।
कार्यक्रम की शुरूआत में श्री प्रकाश जायसवाल,गृह राज्यमंत्री,भारत सरकार, डॉ. श्याम सिंह शशि, डॉ. राष्ट्रबंधु, शमशेर अहमद खान और रामनाथ महेंद्र की ओर से महामहिम को पुष्पगुच्छ भेंट किया गया। इसके पश्चात डॉ. कृष्णशलभ ने अभ्यागतों का सामान्य परिचय करवाया। श्री जयजगन्नाथ, श्री अनिल कुमार मिश्र, बीरेंद्र महंती, विनोद अग्रवाल, जियाउस्सलाम, शमशेर अहमद खान, नागेश पांडेय संजय, श्रीमती शालिनी गुप्त, श्रीमती मिनती पटनायक, श्रीमती शकुंतला कालरा इत्यादि ने राष्ट्रपति को पुस्तकें भेंट की। गौरतलब है कि हिन्द-युग्म के बाल-मंच
'बाल-उद्यान' के सलाहकार-संपादक
ज़ाकिर अली "रजनीश" भी बालसाहित्यकारों की इस मंडली में शामिल थे। उन्होंने भी महामहिम से भेंट की।
इसके बाद राष्ट्रपति ने समक्ष निम्लनिखित प्रस्ताव रखे गये-
1. भारतीय बालसाहित्य की गौरवमयी परंपरा रही है, उसे अक्षुण्ण रखने एवं इसमें सतत विकास हेतु बालविश्वविद्यालय अथवा बालसाहित्य अकादमी की स्थापना पर विचार किया जाय।
2. बालसाहित्यकारों को भी अधिकृत पत्रकारों की भांति सरकारी सुविधाएं दी जाएं। यथा- कुछ राज्यों ने बालसाहित्य संगोष्ठी के दौरान राज्य परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की छूट दी है, ऐसी छूट सभी राज्यों से दिलवाई जाए। यही सुविधा रेल में भी दिलवाई जाए।
3. राज्यसभा व लोक सभा में बालसाहित्यकारों के लिए सीट आरक्षित की जाए।
4. पद्मपुरस्कारों में बालसाहित्यकारों को भी शामिल किया जाए।
5. बालसाहित्यकारों को सरकारी चिकित्सा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए।
6. बालसाहित्य के अनुरक्षण के लिए केंद्रीय पुस्तकालय की व्यस्था की जाए।इन प्रस्तावों के अनुमोदन के बाद महामहिम राष्ट्रपति का उद्बोधन हुआ।
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4 पाठकों का कहना है :
Congrats especially to Zakir!
बालसाहित्य के संरक्षण के लिए भारत सरकार की ओर से बहुत पुख्ता इंतज़ाम नहीं किये गये है। आशा है कि बालसाहित्यकारों के प्रस्ताव पर महामहिम विचार करेंगी और जल्द ही कुछ अच्छा समाचार सुनने को मिलेगा।
रजनीश जी !
बहुत-बहुत धन्यवाद इस प्रयास के लिए.
क्या ह्म्सहित्याकर कुछ अपने स्टार पर नहीं कर सकेहर काम सर्कार ही क्यों करे?
शैलेश भाई, आभार।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
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