दिनांक 1.6.2009 को इग्नू प्रांगण के मानविकी विद्यापीठ में
’’भोजपुरी भाषा में सर्टिफिकेट कार्यक्रम’’ से संबंधित विशेषज्ञ समिति की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक का शुभारंभ करते हुए इग्नू के कुलपति, प्रो. वी.एन. राजशेखरन पिल्लई ने कहा कि 20 करोड़ से भी अधिक आबादी द्वारा बोली जाने वाली भाषा पर पाठ्यक्रम बनाने की योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है। 17 देशों में बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी के महत्व को इसी से आंका जा सकता है कि मॉरिशस में 70 प्रतिशत लोग भोजपुरी बोलते हैं और वहाँ इस भाषा को देश की द्धितीय भाषा का दर्जा प्राप्त है। आदिकाल से समृद्व साहित्य से परिपूर्ण इस भाषा में पाठ्यक्रम प्रारंभ करने संबंधी योजना का प्रस्ताव एवं प्रारूप तैयार कर पाठ्यक्रम के संयोजक प्रो. शत्रुघ्न कुमार ने एक ऐतिहासिक कार्य किया है और इग्नू के राष्ट्रीय स्वरूप को ही उजागर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भोजपुरी भाषा के समृद्ध साहित्यिक परंपरा को ध्यान में रखकर ही इग्नू ने पिछले वर्ष ही आधार पाठ्यक्रम का निर्माण आरंभ किया। यह पाठ्यक्रम बन कर तैयार है और जुलाई 2009 के सत्र से छात्रों को उपलब्ध हो जायेगा। प्रो. शत्रुघ्न कुमार निश्चित ही बधाई के पात्र हैं। कुलपति ने यह भी आशा व्यक्त की कि भोजपुरी में यह सर्टिफिकेट कार्यक्रम शीघ्र बन कर छात्रों के लिए उपलब्ध होगा और आगे भोजपुरी में बी.ए., एम.ए. के पाठ्यक्रम पर भी कार्य आरंभ होगा उन्होंने इस बैठक में पधारे देश के विभिन्न भागों से आए भोजपुरी विद्धानों को पाठ्यक्रम निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
भोजपुरी भाषा पाठ्यक्रम के इस महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक कार्य की संपूर्ण योजना बनाने वाले और पाठ्यक्रम के सूत्रधार एवं संयोजक प्रो. शत्रुघ्न कुमार ने अपने वक्तव्य में यह कहा कि भोजपुरी भाषा में पाठ्यक्रम निर्माण से संबंधित वर्षों से संजोये हुए सपने को साकार करने का अवसर मिला। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि इस ऐतिहासिक कार्य में कुलपति का सबसे बड़ा सहयोग नहीं मिला होता तो शायद 20 करोड़ भोजपुरियों के सपनों को साकार किया जाने वाला यह कार्य संपन्न नहीं हो सकता था।
पाठ्यक्रम संयोजक प्रो. शत्रुघ्न कुमार ने आगे कहा कि जब रूसी, जापानी, चीनी, फ्रेंच, रोमेनियन भाषाओं में जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति संबंधी कार्य हो सकता है तो इतनी बड़ी संख्या में बोली जाने वाली भाषभोजपुरी में भी सभी कार्य क्यों नहीं हो सकता? भोजपुरी भाषा में भी सभी कार्य संपन्न हो सकते हैं और इससे समाज की प्रगति भी हो सकती है।
प्रो. कुमार ने यह भी बताया कि भोजपुरी के सारे पाठ्यक्रम को आधुनिक एवं उपयोगी बनाया जायेगा। प्रो. कुमार ने कुलपति महोदय को ह्नदय से आभार प्रकट किया जिनके सहयोग से देश-विदेश में फैले हुए 20 करोड़ भोजपुरी भाषियों के अंदर एक नई आशा की किरण जगी है। उन्होंने यह भी सूचना दी कि जब पिछले वर्ष आधार पाठ्यक्रम की शुरूआत हुई तो घोर विरोध के स्वर भी उभरे लेकिन उस समय प्रो. कुमार के तर्क एवं अन्य विद्धानों के तर्क के आगे विरोध के स्वर तो दब ही गए साथ ही मजबूती से एक यह भी माँग उठी कि ’’भोजपुरी भाषा में सर्टिफिकेट कार्यक्रम’’ शीघ्र शुरू किया जाए। उस समय प्रो.शत्रुघ्न कुमार ने बोर्ड के सदस्यों को वचन दिया था कि वे सर्टिफिकेट ही नहीं बल्कि बी.ए., एम.ए. तथा भोजपुरी भाषा में ’शोध’ तक के पाठ्यक्रम की पूरी योजना को वे शीघ्र साकार रूप प्रदान करेंगे। 1 जून, 2009 को विशेषज्ञ समिति की बैठक का संपन्न होना इस बात का प्रमाण है कि प्रो. शत्रुघ्न ने अपने वचन को कितनी लगन और निष्ठा के साथ निभाया है। पिछले वर्ष से ही प्रो. शत्रुघ्न कुमार द्वारा ’’भोजपुरी माई के खातिर’’ किए जाने वाले कार्य से देश-विदेश के सभी लोग अच्छी तरह वाकिफ हो चुके हैं।
मानविकी विद्यापीठ के निदेशिका, प्रो. रेणु भारद्वाज ने इस अवसर पर अपने वक्तव्य में मानविकी विद्यापीठ द्वारा अन्य भाषाओं से संबंधित पाठ्यक्रम निर्माण की सूचना दी तथा उन्होंने भी प्रो. शत्रुघ्न कुमार को बधाई देते हुए यह भी कहा कि अपनी मेहनत और लगन से प्रो. कुमार ने ’’असंभव कार्य को संभव कर दिया’’। इस कार्य में वे सदा उनका सहयोग देती रहेंगी।
इस बैठक में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे भोजपुरी भाषा साहित्य के प्रसिद्ध चिंतक, विद्वान, लेखकों ने हिस्सा लिया जिनमें डॉ. नागेन्द्र प्रसाद सिंह (पटना), प्रो. रामदेव शुक्ल (गोरखपुर), डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह (सासाराम), प्रो. विरेन्द्र नारायण यादव (छपरा), डॉ. प्रेमशिला शुक्ला (देवरिया), प्रो. रामेश्वर मिश्र (शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल) शामिल हैं। इस बैठक में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे विद्वान न केवल भोजपुरी भाषा के विशेषज्ञ है बल्कि प्रसिद्ध लेखक, चिंतक और भोजपुरी भाषा आंदोलन के सक्रिय योद्धा हैं। विशेषज्ञ समिति की यह बैठक सुबह से शाम तक चली और गहन विचार-विमर्श के बाद पाठ्यक्रम की रूपरेखा को अंतिम रूप प्रदान किया गया।
1 जून, 2009 को संसार के भोजपुरी भाषियों को यह सुखद समाचार सुनने एवं देखने को मिला कि एक ओर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय भोजपुरी भाषा से संबंधित पाठ्यक्रम निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कार्य हो रहा था तो दूसरी ओर देश के संसद में भी एक भोजपुरी भाषी महिला राजनीतिज्ञ को लोकसभा के स्पीकर के पद पर सुशोभित करने का कार्य हो रहा था। दुनियाँ के भोजपुरी भाषियों के लिए यह आशा की किरण दिखाई दे रही है कि सदियों पुरानी भोजपुरी भाषा को अपना गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त होगा। भोजपुरी भाषियों को यह भी आशा है कि ’संसद से सड़क’ तक भोजपुरी भाषा को प्रतिष्ठा मिलेगी।
इस बैठक में ’हमार टीवी’, के प्रोग्राम प्रोडयूसर मनोज भावुक जो कि स्वयं भोजपुरी भाषा के लेखक है और पूर्वांचल एक्सप्रेस से कुलदीप ने मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भी इस बैठक में हिस्सा लिया। ’सम्यक् भारत’ के कार्यकारी संपादक के.पी. मोर्या ने इस ऐतिहासिक क्षण को कैमरे एवं वीडियों में सुरक्षित कर लिया।
प्रस्तुति- प्रो॰ शत्रुघ्न कुमार(भोजपुरी भाषा में सर्टिफिकेट प्रोग्रेम के प्रस्तावक और संयोजक)
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4 पाठकों का कहना है :
भोजपुरी भाषा के पाठ्यक्रम को बढ़ावा देना एक सराहनीये क़दम है .इग्नू ने इस बारे में सोच कर एक अच्छा प्रास किया है.
भोजपुरी भाषा के पाठ्यक्रम को इग्नू ने manayata di sarahniya kadam hai aur ek nayi bhasha ka gyan vidyarthiyon ko milega. ujjawal bhavishya ki kamna karte hue.
Manju Gupta.
yah prayas bhavishya nirdharan ki disha me ek naya itihas rachata huaa dikhai de raha hai..jis tarah iski shuruvat hui hai isi tarah agar ise kriyanvit kiya gaya to yah dave k sath kaha ja sakta hai ki jald hi yah diploma karya degree me kisi na kisi university me shuru hoga.bhojpuri samaj awam sanskriti k liye yah nayi uchai pradan karega. DHIRENDRA KUMAR RAI
yah prayas bhavishya nirdharan ki disha me ek naya itihas rachata huaa dikhai de raha hai..jis tarah iski shuruvat hui hai isi tarah agar ise kriyanvit kiya gaya to yah dave k sath kaha ja sakta hai ki jald hi yah diploma karya degree me kisi na kisi university me shuru hoga.bhojpuri samaj awam sanskriti k liye yah nayi uchai pradan karega. DHIRENDRA KUMAR RAI
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