Friday, June 12, 2009

ओमप्रकाश आदित्य की स्मृति में दिल्ली में हुआ शोक सभा का आयोजन


हिन्दी भवन सभागार, नई दिल्ली

10 जून 2009 के सायं 5 बजे हिंदी भवन दिल्ली में हिंदी मंचों की वाचिक परंपरा में हास्य व्यंग्य के प्रख्यात कवि श्री ओमप्रकाश आदित्य को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें हिंदी जगत के प्रख्यात कलमकारों, पत्रकारों, अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर राष्ट्रीय संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं प्रशासनिक प्रतिनिधियों ने हिंदी मंचों के वरिष्ठ कवि श्री ओमप्रकाश आदित्य, श्री नीरज पुरी एवं श्री लाड सिंह गुज्जर को श्रद्धांजलि अर्पित की। ग़ौरतलब है कि 8 जून 2009 को इन तीनों कवियों की विदिशा के एक कार्यक्रम से भोपाल लौटते वक़्त एक सड़क दुर्घटना में असामयिक मृत्यु हो गई थी। सभा का सञ्चालन एवं प्रारंभ करते हुए हास्य के प्रसिद्द कवि सुरेन्द्र शर्मा ने कहा कि आदित्य जी का जाना हिंदी काव्य जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति है, हिंदी हास्य कविता जिनके कन्धों पर चलती थी आज हम उनको कन्धा देकर आये हैं. जिस व्यक्ति के बारे में बोलने के लिए बहुत कुछ होता है वो आज हमें ऐसी स्थिति में छोड़ गया है कि कुछ कहा नहीं जा रहा. मेरा मौन ही उनको श्रद्धांजली है।

अपडेट-
वरिष्ठ कवि ओम व्यास को अपोलो हास्पिटल, दिल्ली के न्यूरो विभाग के ICU में एडमिट किया गया है। उनकी हालत पहले से कुछ बेहतर है।
--बकौल राजेश चेतन
वरिष्ठ गीतकार डॉ कुंवर बेचैन ने कहा कि आदित्य जी से उन्हें हर कदम पर हौसला मिला उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था, कि हर कोई उनसे अपनी हर समस्या का समाधान प्राप्त कर लेता था, वो हमेशा कहते थे 'मस्त रहो'। वरिष्ठ कवि श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के कार्यक्रम में जाने से पहले मेरी उनसे फोन पर बात हुई, उनका वही अंदाज़ रहता था अल्हड़ता और मस्ती उनमे कूट-कूट कर भरी हुई थी। इस अवसर पर कवि गोपालदास नीरज ने कहा कि आदित्य को काव्य की शास्त्रियता और छंद का पूरा ज्ञान था। उन्होंने मंच पर जमने के लिए कभी चुटकुलों का सहारा नहीं लिया।

श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित डॉ. अशोक चक्रधर, (जो उस यात्रा में आदित्य जी के साथ भी थे) ने कहा कि आदित्य जी का कवि परिवार से अकस्मात चले जाना शायद उनके साथ हर कवि सम्मलेन में होने वाले मृत्यु के मजाक को स्मरण करवाता है। उन्होंने मंचीय कवियों से मृत्यु पर मजाक करने से परहेज करने की सलाह दी, श्री चक्रधर ने कहा कि कविसूर्य श्री ओमप्रकाश आदित्य जी की कविताओं का प्रकाश हम सब के साथ हैं, उन्होंने दुखद हृदय से कहा कि आज भी युवा पीढ़ी का कोई कवि उनकी परम्परा का निर्वाह करने के लिए मुझे आश्वास्त नहीं करता। आज हिंदी मंच पर हास्य व्यंग्य में उनकी परंपरा निभाने की जरूरत है, श्री अशोक चक्रधर ने ट्रेन में जाते हुए आदित्य जी द्बारा एक लिफाफे पर लिखी उनकी अंतिम कविता को थाती के रूप में अपने पास साधिकार रखने की घोषणा कि तो सबकी आँखें नम हो गयी। उन्होंने आगे कहा कि ओमप्रकाश आदित्य के असामयिक निधन के एक घंटे बाद रंगमंच के पितामह हबीब तनवीर का निधन हो गया। इससे एक तरफमंच खाली हुआ तो दूसरी तरफ रंग भी चला गया।

गीतकार मधुमोहिनी उपाध्याय ने कहा कि आदित्य जी का आलोक हम सब का मार्गदर्शन करता रहेगा, वो मात्र भौतिक रूप रहे हमारे बीच से चले गए हैं परन्तु उनकी कवितायें, चिंतन और दर्शन सदैव हमारे साथ है, युवा पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर कवि प्रवीण शुक्ल एवं राजेश चेतन ने उन्हें भाव भीनी श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि आदित्य जी युवा पीढ़ी के सच्चे मार्गदर्शक थे वो सबसे घुल मिल जाते थे और हमेशा खुश रहने की ही प्रेरणा देते थे, राजेश चेतन जी ने उन्हें राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से भी दिवंगत कवियों को श्रद्धांजली अप्रित करते हुए कहा कि पिछले वर्ष उनके आग्रह पर अस्वस्थ होते हुए भी आदित्य जी अमेरिका की यात्रा पर गए। न तो वो किसी बाधा की परवाह करते थे और न ही किसी प्रिय के आग्रह को टालते थे।

प्रसिद्ध गीतकार डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि "आदित्य जी हमारे सुरक्षा कवच थे" पिंगल कि गहराई के साथ हास्य कहने वाले वो अद्भुत कवि थे। हम मंच के कवि उन पर गर्व करते थे कि वाचिक परंपरा में हमारे साथ एक ऐसे कवि भी हैं जिनके होने से हम साहित्य के गंभीर कवियों के समक्ष गर्व से खड़े हो सकते हैं।

रसम पगड़ी- कविवर श्री ओमप्रकाश आदित्य
19 जून 2009, समय शाम 4 बजे।
स्थान- लक्ष्मी नारायण मंदिर, मेन बाज़ार, मालवीय नगर, नई दिल्ली
प्रसिद्ध कवि श्री बाल स्वरूप राही ने कहा कि आदित्य जी के बारे में अखबार में पढ़ा, टी वी में सुना, दोस्तों से सुना पर विश्वास नहीं हो रहा की वो हमारे बीच नहीं रहे, उन्होंने कहा कि आदित्य जी ने सन 1960 में एम॰ ए॰ में प्रवेश लिया था और उसी समय मेरी उनसे मित्रता हुई। वे हास्य कवितायें ही लिखते थे और उस समय उनकी जयशंकर प्रसाद की कामायनी पर लिखी हुई हास्य पैरोडियाँ बहुत प्रचलित हो रही थीं जिसे वो कक्षा में और अपने मित्रों को सुनाते थे वहीं से उन्होंने मंचों पर जाना भी प्रारंभ किया।

सांसद और गीतकार कवयित्री प्रभा ठाकुर ने कहा कि आदित्य जी बहुत ही विलक्षण व्यक्तित्व थे उनके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कराहट रहती थी। उन्हें कभी भी किसी ने भी तनावग्रस्त नहीं देखा। आदित्य जी के सबसे पुराने मित्रों में से एक श्री गोविन्द व्यास ने आदित्य जी को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि उनका हिंदी जगत से जाना निश्चित ही एक अपूर्णीय क्षति है, उन्होंने कहा कि आदित्य जी से उनकी मित्रता बहुत पुरानी थी उनका इस प्रकार चले जाना निश्चित ही दुखदायी है।

हिंदी फिल्मों के प्रसिद्द गीतकार श्री संतोष-आनंद ने कहा कि मेरी स्थिति कुछ ऐसी है कि-
फलसफी को बहस के अन्दर खुदा मिलता नहीं
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं
ओमप्रकाश आदित्य उनके लगभग 50 वर्षों से मित्र थे, संतोष-आनंद जी ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया कि वो अकेले ही थे जो आदित्य जी को प्यार से "अबे ओमी" कहकर बुलाया करते थे और वो उन्हें संतोष कहते थे। श्री संतोषानंद जी कहा कि उन्होंने आदित्य जी के साथ 5-5 रुपये के पारिश्रमिक के साथ कवि सम्मलनों के शुरूआत की थी। उन्होंने कहा कि आदित्य जी फिल्मों के भी शोकीन थे और हम दोनों साथ दारा सिंह की फिल्में देखते थे तथा दिल्ली में तांगे में साथ घूमते थे, आज उनका सफ़र पूरा हो गया और हिंदी जगत में काव्य मंचों पर एक ऐसा स्थान रिक्त हो गया जिसको भर पाना शायद ही संभव हो।

दिल्ली सरकार की भाषा एंव स्वास्थ्य मंत्री किरण वालिया ने इस अवसर पर कहा कि कवि ओमप्रकाश का निधन समूचे साहित्य जगत के लिए अपूर्णिय क्षति है। उन्होंने कहा कि जिस जगह दिवंगत कवि का घर है, उस सड़क का नामकरण कवि के नामपर करने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष लेकर जाएगीं।

हिंदी कि वरिष्ठतम कवियों में से एक श्री बाल कवि बैरागी ने पत्र द्बारा अपनी संवेदना प्रकट करते हुए लिखा कि "अगर मैं ईश्वर से लड़ सकता तो आदित्य जी के प्राण उस से छीन कर ले आता" वो हमारे बीच आज नहीं हैं इस बात पर सहज ही विश्वास नहीं हो पाता" उनका साहित्य जगत से जाना एक अपूर्णीय क्षति है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, ने भी पत्र के माध्यम से आदित्य जी, नीरज पुरी एवं लाड सिंह गुज्जर को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए उनके हिंदी जगत में अविस्मरणीय योगदान को नमन किया, मध्य प्रदेश प्रशासन, राष्ट्रीय कवि संगम के संयोजक श्री जगदीश मित्तल, हिन्दयुग्म से शैलेश भारतवासी ने भी हिंदी के इन मूर्धन्य कवियों की आकस्मिक मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया।

सभा में अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं प्रमुखतः राष्ट्रीय कवि संगम, अक्षरम, विद्या भारती, हिन्दयुग्म ने भी श्री ओमप्रकाश आदित्य जी, श्री नीरज पुरी, और श्री लाड सिंह गुज्जर को श्रद्धांजली अर्पित की और जीवन से जूझ रहे, इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल कवि श्री ओम् व्यास 'ओम' के जल्द स्वस्थ होने की कामना की अक्षरम संस्था के माध्यम से बहुत से विदेशों में बसे हिंदी श्रोताओं के शोक सन्देश भी दिवंगत कवियों को नमन करते हए पढ़े गए।

इसके अतिरिक्त सभा में उपस्थित काव्य जगत के सभी वरिष्ठ एवं युवा कवियों, डॉ सरोजनी प्रीतम, डॉ सरिता शर्मा, महेंद्र शर्मा, महेंद्र अजनबी, संपत सरल, बागी चाचा, शम्भू शिखर, ऋतू गोयल, चिराग जैन, हलचल हरयाणवी, अरुण मित्तल "अद्भुत", हरमिंदर पाल, दिनेश रघुवंशी, गजेन्द्र सोलंकी, नरेश शांडिल्य ने भी दिवंगत हुए महान कवियों को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए नमन किया अंत में सुरेन्द्र शर्मा ने मध्य प्रदेश एवं दिल्ली सरकार एवं प्रशासन का दुर्घटना के बाद हर प्रकार के सहयोग पर आभार व्यक्त किया, कवि परिवार ने जहाँ इस घटना कि खबर को महत्त्व देने के लिए मध्य प्रदेश मीडिया का भी आभार व्यक्त किया वहीं दिल्ली के समाचार पत्रों एवं अन्य मीडिया पर उनकी उदासीनता के लिए आक्रोश भी व्यक्त किया। सुरेन्द्र शर्मा ने हिन्द-युग्म के बैठक मंच द्वारा अरुण मित्तल 'अद्भुत' द्वारा ओमप्रकाश आदित्य के स्मरण में लिखे गये आठ पृष्ठीय आलेख का विशेष उल्लेख किया।

प्रस्तुति- अरुण मित्तल 'अद्भुत'

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2 पाठकों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

आदित्य जी एक महान कवी थे उनकी मेरी श्रध्हंजली.

Manju Gupta का कहना है कि -

Hindyugm ke madhyam se mein unki atama ki shanti ke liye prathana karti hoon.apne rachnao ke dwara we aj bhi hamare beech upasthit hai.


Manju Gupta, NaviMumbai.

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