राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद के ७वें वार्षिक अधिवेशन में एस एफ एस सभागार जयपुर, राजस्थान में 'वतन को नमन' के रचियता वरिष्ठ कवि प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध", जबलपुर, मण्डला को शाल श्रीफल, पत्रम-पुष्पम, स्मृति चिन्ह से उनके श्रेष्ठ रचना कर्म के लिये भव्य कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रो.सी.बी श्रीवास्तव विदग्ध ने महाकवि कालिदास कृत मेघदूत व रघुवंश का हिन्दी गेय छंद बद्ध श्लोकशः पद्यानुवाद किया है। उनके द्वारा रचित गीत संग्रह 'अनुगुंजन', 'ईशाराधन', 'आदर्श भाषण कला' व शिक्षण संबंधी पुस्तकें व्यापक लोकप्रिय रही हैं। हिन्द युग्म की यूनिकवि प्रतियोगिता में भी उनकी पुस्तकें पुरस्कार स्वरूप वितरित की जा चुकी हैं।
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6 पाठकों का कहना है :
श्रीवास्तव जी को गौरवमय सम्मान के लिए कोटि -कोटि बधाई .नई खबर मिली .आभार .
विदग्ध जी को कोटि-कोटि बधाई
रचनाकार का सबसे बड़ा पुरस्कार तो पायको की सराहना होता है ...यद्यपि यह बिल्कुल अनुभूत सत्य है कि इस तरह के अभिनंदन , सम्मान आदि से नई उर्जा नव लेखन हेतु मिलती है ...सच तो यह है कि विदग्ध जी जैसे वरिष्ठ जनो को सम्मानित करके ,उन्हे अभिनंदित करने वाली संस्था स्वयं सम्मानित होती है ...हिन्द युग्म जिस तरह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साहित्याकाश निर्मित कर रहा है ..मेरी कामना है कि युग्म भी हिन्दी ब्लाग्स , हिन्दी कृतियो हेतु कोई पुरस्कार योजना प्रारंभ कर सकता है ...विदग्ध जी के रघुवंश हिन्दी पद्यानुवाद हेतु प्रकाशक की तलाश है .....................
rachnakaro ka samman vastav mai hindi ka sammsn hai. is parmpara ko aage bhi banae rakhe /
हिंदी-गौरव-पुत्र हैं कहता सत्य ''विदग्ध''.
युग अर्पित सम्मान कर हुआ प्रतिष्ठा लब्ध.
शिक्षाविद ये श्रेष्ठ हैं, रचनाकार वरिष्ठ..
निज गाथा गाते नहीं, हैं अनभिज्ञ कनिष्ठ.
उत्तम कवि, अनुवाद भी इन्हें सहज है साध्य.
सारस्वत-सेवा रही आजीवन आराध्य.
वास्तव में श्री युक्त हैं प्रतिभावान अपार.
''सलिल'' धन्य है नमन कर श्री विदग्ध शत बार.
वरिष्ठ कवि प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" को बधाई.
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