30 जनवरी 2010 से 07 फरवरी 2010 तक आयोजित 19वां विश्व पुस्तक मेला सफलता पूर्वक संपन्न हो गया। इस मेले ने उन सब रिकार्डों को तोड़ दिया जो अब तक इसके पूर्व के पुस्तक मेलों के नाम थे। हालांकि शहर में अनेक गतिविधियाँ थीं किंतु मेले में उमड़े दर्शक भीड़ से परे जिम्मीदार लगे। अधिकांश दर्शक अपने नौनिहालों के साथ मेले में उनकी पसंद के स्टालों पर घूमत दिखे। हालाँकि बच्चों के लिए 14 नं. हाल आबंटित था फिर भी अन्य स्टालों में बच्चों से संबंधित पुस्तकें थीं. पुस्तक मेले में सर्वाधिक भीड़ एन.बी.टी., राधाकृष्ण, राजपाल,प्रभात प्रकाशन, हिंद पॉकेट बुक्स, डायमंड बुक्स,वाणी प्रकाशन आदि पर दिखे। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और उत्तेर प्रदेश उर्दू अकादमी के स्टालों की अनेक पुस्तकें और सूचियां दो दिन पहले ही समाप्त हो चुकी थीं जो पाठकों की रुझ्हान की सूचक थीं। हर प्रकाशक चाहे वह छोटा हो या बडा इस मेले से खुश था। लेखक और प्रकाशक के बीच अनेक सकारात्मक पहल भी देखी गई। प्राइवेट मीडिया कुछ खट्टी तो कुछ मीठी दिखी। अनेक ने तो सम्यक दृष्टि अपनाई तो कुछ ने चाटुकारिता की सीमा को भी लांघ दिया। वेब मीडिया की भूमिका बड़ी अहम रही। जो काम अक्षर नहीं कर सकते थे उसे फोटो-फीचर के माध्यम तक पाठकों तक पहुंचाया। सभागारों में हर स्तर पर अनेक संगोष्ठियां आयोजित की गईं।
प्रगति मैदान के 42000 वर्ग मीटर में 2400 स्टाल और स्टैंड आबंटित किए गए थे जिसमें लगभग 1200 देशी एवं विदेशी प्रकाशकों ने अपनी सहभागिता की थी। मेले की थीम खेल पर आधारित थी।
इस मेले की सफलता के पीछे इस संस्था की निदेशक सुश्री नुजहत हसन और उनकी टीम को जाता है जो दिन-रात एक कर मेले के दुख-दर्द को समझा और यथासंभव उसके निराकरण का प्रयास किया। उनके सामूहिक लगन का ही प्रयास था जो सफलता पूर्वक संपन्न हो गया।
वे अपने संदेश में कहती हैं- मैं विदेशी प्रतिभागियों की बहुत आभारी हूँ, जिनमें से कई यहां पहली बार यहां आए और बहुत से प्रतिभागी पिछले कई पुस्तक मेलों में अपना सहयोग देते रहे हैं। मैं आशवस्त हूं कि उन सभी के लिए मेला सफल रहा। मैं उन सभी की भी आभारी हूं जिन्होंने इस मेले को सफल बनाने में अपना सहयोग दिया।
बिपिन चंद्रा से बात करते शमशेर अहमद खान
मेले के समापन समारोह में संस्था के अध्यक्ष विपिन चंद्रा ने एक मुलाकात में बताया कि इस मेले की सफलता के पीछे न केवल निदेशक के कुशल नेतृत्व की बात है बल्कि संस्था के सभी कार्मिकों ने दिन-्रात एककर इसे बुलंदियोम तक पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, हमें ऐसे कर्मठ लोगों पर गर्व है।
बाल साहित्य की चर्चा के दौरान भारतीय परिवेश और उससे जुड़े साहित्य के प्रकाशन की प्रमुखता पर उन्होंने बल दिया। वर्ष 2012 में पुनः नए इरादों और संकल्पनाओं के साथ 20वां विश्व पुस्तक मेला आयोजित होगा।
शमशेर अहमद खान
2-सी, प्रैस ब्लॉक, पुराना सचिवालय, सिविल लाइंस, दिल्ली-110054
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3 पाठकों का कहना है :
ापको भी इसमे योगदान के लिये बहुत बहुत बधाई
भारत से दूर भी विश्व पुस्तक मेले की सभी खबरें प्राप्त होती रहीं इसके लिए हिंद युग्म की आभारी हूँ........बहुत धन्यवाद
aap ka dhnyavad ki aap ne puri jankari di
saader
rachana
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