(बाएं से दाएं)- सुमीता प्रवीण केशवा, उपेन्द्र कुमार, पद्मश्री बालस्वरूप राही, इमरोज़, रश्मि प्रभा
आप इस पूरे कार्यक्रम को सुन भी सकते हैं, आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आप भी कार्यक्रम में उपस्थित हैं। नीचे के प्लेयर से सुनें-
कुल प्रसारण समय- 1 घंटा 10 मिनट । अपनी सुविधानुसार सुनने के लिए यहाँ से डाउनलोड करें।
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19वें विश्व पुस्तक मेले में हॉल नं. 12A का स्टाल नं. 285 यानी हिन्दयुग्म डॉट कॉम अब मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों के सैलाब के लिए एक सुपरिचित स्टाल बन गया है। यहाँ आगंतुकों को कई अच्छी काव्य पुस्तकें व अन्य सामग्री तथा प्रेमचंद की कहानियां व निराला जयशंकर प्रसाद आदि कालजयी कवियों की कविताएँ CD रूप में उपलब्ध हो रही हैं।
दि. 31 जनवरी 2010 को हिन्दयुग्म के तत्वावधान में ही एक साथ तीन पुस्तकों का विमोचन प्रगति मैदान के हॉल नं. 7D के कांफ्रेंस रूम नं. 2 में संपन्न हुआ। हिन्दयुग्म की गतिविधियों में अब सोने पर सुहागे की तरह पुस्तक प्रकाशन की गतिविधि भी जुड गई है। ‘हिन्दयुग्म’ द्वारा प्रकाशित, सुपरिचित कवियत्री रश्मि प्रभा की 72 कविताओं का संकलन ‘शब्दों का रिश्ता’ इस कार्यक्रम में लोकार्पित तीन साहित्यिक कृतियों में से एक था। रश्मि प्रभा के संकलन ‘शब्दों का रिश्ता’ के अतिरिक्त उनके द्वारा ही सम्पादित 31 कवियों के सम्मिलित संकलन ‘अनमोल संचयन’ तथा सुपरिचित लेखिका सुमीता प्रवीण केशवा के प्रथम नाटक ‘सम-बंध’ का भी लोकार्पण हुआ। ‘सम-बंध’ का लोकार्पण प्रसिद्ध साहित्यकार उपेन्द्र कुमार ने, ‘अनमोल संचयन’ का पद्मश्री बाल स्वरुप राही ने तथा ‘शब्दों का रिश्ता’ का विख्यात चित्रकार इमरोज़ ने किया।
सम-बंध का लोकार्पण करते सुमीता प्रवीण केशवा, उपेन्द्र कुमार, पद्मश्री बालस्वरूप राही, इमरोज़ और रश्मि प्रभा
‘सम-बंध’ समलैंगिक संबंधों पर रचा गया एक नाटक है, जिस के बारे में श्री उपेन्द्र कुमार ने कहा कि ऐसे विषय पर लिखना सचमुच एक साहसिक कार्य है, जो कि निश्चय ही एक स्वागत योग्य बात है। उन्होंने कहा कि नाटक अपने चरम पर तब आता है जब उस का बाकायदा मंचन हो, जहाँ पात्रों के अभिनय के साथ-साथ पार्श्व-संगीत आदि तत्वों से मिल कर नाटक अपने समग्र प्रभाव में सामने आता है। इस के साथ उन्होंने नाटककार सुमीता केशवा को शुभकामना दी कि नाटक शीघ्र ही मंच पर अभिनीत रूप में सब के सामने आए। नाटक की प्रशंसा करते हुए उन्होंने यह माना कि लेखिका ने समलैंगिक संबंधों को बहुत गहराई से विश्लेषित कर के उसे मानवीय स्तर पर और समुचित सहानुभूति से देखा परखा है। समलैंगिक संबंधों पर काफी लंबे अरसे से बातचीत चल रही है और उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि भारत के न्यायालयों ने भी अब इस ओर ध्यान दिया है और इस पर खुले तौर पर चर्चा चल पड़ी है। कई पुस्तकें भी आ रही हैं। लेकिन उन के अनुसार हम जब भी कोई पुस्तक पढ़ रहे होते हैं, तो हमारे बहुत-से पूर्वाग्रह होते हैं, जिनके कारण हम ऐसे विषयों पर लिखी पुस्तक को पढ़ने से पहले ही रिजेक्ट कर चुके होते हैं। पर उन्हें आशा है कि जब पाठक ‘सम-बंध’ को पढेंगे, या किसी मंच पर देखेंगे तो खुले मन से पढ़ेंगे या देखेंगे और उसकी बाद ही कोई धारणा बनाएँगे।
अनमोल-संचयन का विमोचन करते अतिथि
रश्मि प्रभा द्वारा सम्पादित कविता संकलन ‘अनमोल संचयन’ के विमोचन भाषण में श्री बाल स्वरुप राही ने सब से पहले कहा कि इस संकलन में 31 कवि हैं, जिन में से ज़्यादातर नए हैं। इसलिए इसे पढ़ना शुरू कर के उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई कि नई पीढ़ी के इन कवियों की अपनी राहें हैं और किसी बड़े साहित्यकार का प्रभाव इन पर नहीं हैं। स्वयं अपना उदहारण देते हुए उन्होंने कहा कि जब उन्होंने कविता लिखनी शुरू की तो कुछ कुछ इस अंदाज़ में शुरू की:
न मैं गा सकूंगा ज़माने के स्वर में
ज़माना मेरे साथ गाए तो गाए.
उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात कही कि कवि का नाम सुपरिचित न होना कोई नई बात नहीं है। यह बहुत पहले से चला आ रहा है कि कविता बहुत कम पढ़ी जाती है। पर जिन कवियों के नाम अपरिचित हैं, उनमें से कई कवि ऐसे हैं जो बहुत अच्छा लिख रहे हैं। राजशेखर ने प्राचीन काल में अपनी काव्य मीमांसा में लिखा था कि बहुत से कवि ऐसे हैं जो केवल घर तक सीमित रह जाते हैं। कुछ ऐसे हैं, जो केवल मित्र-मंडली तक पहुँच पाते हैं और ऐसे बहुत कम होते हैं जिनकी दुनिया भर में पहुँच होती हो। एक रोचक बात की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि इस संकलन में कवियों के परिचय में उनके जन्म-दिन तो दिए गए हैं, पर उनके (और अधिकतर कवयित्रियों के) जन्म वर्ष नहीं दिए गए हैं। सभागार में हँसी बिखेरते हुए उन्होंने कहा कि इस बात को ले कर अधिक सोचने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि परिचय में जो कवियों कवयित्रियों के चित्र दिए गए हैं, उन चित्रों से आप आसानी से उन की उम्र का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
कविता और गद्य की परस्पर तुलना करते हुए उन्होंने किसी महान साहित्यकार का सन्दर्भ देते हुए कहा कि:
What is prose?
Ans: Words in thier best order.
What is poetry?
Anss: The best words in their best order.
संकलन के विषय में उन्होंने कहा कि उसे उन्होंने बहुत महत्वाकांक्षा से पढ़ना शुरू किया और अपनी पत्नी पुष्पा राही जो स्वयं एक सशक्त कवयित्री हैं (और इस कार्यक्रम में सभागार में उपस्थित भी थी) से भी कहा कि ये बहुत अच्छी कविताएँ हैं। संकलन की सबसे पहली कविता की कुछ पंक्तियाँ पढकर सुनाते हुए वे अभिभूत से लगे:
मेरा मन एक पुस्तक है/जिस के प्रत्येक पृष्ठ पर तुम्हीं रेखांकित हो/अक्षर अक्षर में/ तुम्हारी ही छवि बोलती है...
'शब्दों का रिश्ता' का लोकार्पण करते सुमीता प्रवीण केशवा, उपेन्द्र कुमार, पद्मश्री बालस्वरूप राही, इमरोज़ और रश्मि प्रभा
चित्रकार इमरोज़ ने बेहद संक्षिप्त भाषण दिया और अपनी एक नज़्म की कुछ पंक्तियाँ भी कही:
मैं एक अनलिखी गज़ल को कई बार लिख चूका हूँ/ पर वह अनलिखी ही रही...
इस कार्यक्रम में सम्मिलित संकलन ‘अनमोल संचयन’ के दो कवि अनिल पराशर व संगीता स्वरुप भी भी उपस्थित थे और उन्हें मंच पर आमंत्रित कर के कविता पाठ करने को भी कहा गया। अनिल पराशर की कविता ‘पिता’ पर सभी अभिभूत थे। कुछ पंक्तियाँ:
हाथ कांधे पे बस एक रखता था वो
इन आँखों में सब देख सकता था वो
कोई सिहरन हुई जब भी सोचा इसे
उफ़! मेरे वास्ते मर भी सकता था वो.
संगीता स्वरुप की कविता कोयला भी सब को अच्छी लगी:
मेरा मन/सुलगता हुआ कोयला/...चाहती हूँ कि/कोई आए/ और ढक ले मुझे/ अपने पूरे वजूद से/ इस तरह कि/ दम तोड़ दें सारी चिंगारियां/ अंदर ही अंदर/ और शांत हो जाए मन/ एक राख विहीन/ ठंडे कोयले की तरह...
पूरे कार्यक्रम में उपस्थित होना एक सुखद सी अनुभूति सी लग रहा था जिस में मुंबई पुणे से आई दोनों कवयित्रियों व संकलन के सभी कवियों के प्रति सब के हृदय में सराहना सी उमड़ रही थी।
कार्यक्रम के अंत में नीलम मिश्र ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और स्वादिष्ट जलपान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ.
चित्रों में कार्यक्रम-
कार्यक्रम की शुरूआत करने के लिए संचालक को आमंत्रित करते शैलेश भारतवासी
संचालक प्रमोद कुमार तिवारी
संचालक प्रमोद कुमार तिवारी
रश्मि प्रभा और संगीता स्वरूप
इमरोज
काव्यपाठ करतीं संगीता स्वरूप
काव्यपाठ करते अनिल मासूम शायर
श्रोताओं से मुखातिब इमरोज
सम-बंध पर अपने विचार व्यक्त करते कवि उपेन्द्र कुमार
हिन्द-युग्म के स्टॉल में इमरोज़
रिपोर्ट- प्रेमचंद सहजवाला
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17 पाठकों का कहना है :
िस विस्तरित रिपोर्ट को पढ कर आनन्द आ गया समारोह की भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है मगर अफसोस ये रहेगा कि सेहत की वजह से इस मे शामिल नही हो सकी। धन्यवाद बधाई
really it was an amaging programm, which i shud say just missed it, but ur reporting regarding the occassion, giving me such feeling t8 i m ryt there in the programm.
bahut achcha laga. actually i got too busy those days, so just forgot to participate in such a memorable function, even after u informed us in time. aapko bahut bahut badhaie.
कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट बहुत अच्छी लगी....और इसका हिस्सा बनाना मेरे लिए एक सुखद अनुभूति...अभी तक सब सपना सा लग रहा है...
अच्छा लगा आप सब को बंधाई
समारोह की सुंदर रिपोर्ट पढ़कर ..वहां उपस्थित न हो पाने का एहसास जाता रहा...लगा जैसे वहीँ ,कहीं कौने में खड़े हैं हम भी....बहुत सुंदर सबको शुभकामनाये...और बधाई...अनमोल संचयन में शामिल होना गर्व का विषय है मेरे लिए..
शुभकामनाये...और बधाई....
इस कार्यक्रम में पहुच कर मुझे बहुत सुखद अनुभूती हुई...और सब से मिल कर बहुत आनंद आया..सब कुछ अविस्मरणीय यादो की तऱ्ह मस्तिष्क के केमरे में मानो हमेशा के लिए कैद हो गया है..रेपोर्ट बहुत अच्छी तऱ्ह प्रस्तुत की गयी है जिस से एक बार फिर सब कुछ चल-चित्र की तऱ्ह सामने आ गया..
wimochan mein na aa sakne ka dukh hai mujhe, parantu is prastuti ko padhkar us din ka drishya saamne upasthit hua, rashmi ji ko punah badhai.
बहुत सुंदर तरिएक से विस्तृत वर्णन किया है..यहाँ पहुँच कर एक सुखद अनुभूति हुई..
आप सभी से मिलना अच्छा लगा
itni achchhi report hai ki itni door hote huye bhi mene khud ko aap sabhi ke bich paya .
sabhi ko badhai
saader
rachana
तस्वीरें तो संगीता जी के स्लाईड शो में देख चुकी थी ...मगर विस्तृत रिपोर्ट यहाँ पढ़ कर समारोह में शामिल होने जैसा ही सुकून मिला ...सभी को बहुत बधाई ...!!
मन के कैमरे में भी यह हकीकत ख्वाब की तरह कैद है ........
आँखों ने जो कुछ देखा, कानों ने जो कुछ भी सुना- सबकुछ यहाँ है
शुक्रिया
विमोचन का सचित्र व विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करने के लिए हिन्दयुग्म को धन्यवाद देती हूँ, आभारी हूँ उन सभी लोगों की जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफलता के साथ संचालित करने/कराने में अपना योगदान दिया......
साभार- ज्योत्स्ना पाण्डेय.
कार्यक्रम कि विस्तृत और सार गर्भित रिपोर्ट पढकर वहां न पहुँच पाने का दुःख थोडा कम हो गया |हिंद युग्म और रश्मिजी का ह्रदय से अभिनन्दन एवं हार्दिक धन्यवाद |
शुभकामनाये
कार्यक्रम कि विस्तृत और सार गर्भित रिपोर्ट पढकर वहां न पहुँच पाने का दुःख थोडा कम हो गया |हिंद युग्म और रश्मिजी का ह्रदय से अभिनन्दन एवं हार्दिक धन्यवाद |
शुभकामनाये
हिन्दयुग्म का आभार जिसकी बदौलत हमें भी साहित्यिक कुंभ मेले में डुबकी लगाने का अवसर प्राप्त हुआ। आप सभी से मिलना एक सुखद अवसर रहा,जिसे मैं जिंदगी भर भूल नहीं पाऊंगी....धन्यवाद।।
..इतनी क्रमबद्ध और विस्तॄत जानकारी पढ कर मन आनंद-विभोर हो उठा!... बधाई!
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