तय है कि बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर और भगत सिंह के ख़्वाबों का हिन्दुस्तान बनेगा। ऐसा दावा हम इसलिए कर रहे हैं कि हमलोग अब उस काले अंधेरे अंधविश्वास वाले ज़माने से निकल बाहर होने के लिए बेताब हैं। थोड़ा-बहुत सोचने-विचारने का माद्दा सब रखते हैं और कहते हैं न, कि वैज्ञानिक युग तरक्की लाता है। बस मित्रों, हम उसी तरक्की की ताक में हैं। जिस दिन जन्म, रंग, रूप, चेहरा, जाति, धर्म, जगह, बोली, कद-काठी, धन-बल और औरत-मरद के आधार पर इंसान के स्वाभिमान और सम्मान के साथ खिलवाड़ बंद हो जाएगा उस दिन से तरक्की की शुरूआत हो जाएगी। और तरक्की का यह सफर उस दिन पूरा हो जाएगा जिस दिन सबकी रोज़ी, रोटी, रिहाइश, सेहत और तालीम का मुकम्मल इंतजाम हो जाएगा।
कोई भी बदलाव न अपने आप हुआ है न होगा। इसके लिए कोशिशें करनी होंगी। ज़ाहिर है ये चंद सिरफिरों के बदौलत नहीं होने वाला है। इसके लिए भारी जनसैलाव की ज़रूरत पड़ेगी। ‘सोशल ऐक्शन फॉर एडवोकेसी ऐण्ड रिसर्च (सफर)' का जन्म इन्हीं सवालों के केन्द्र से हुआ है। अपने गठन के समय से ही सफर समाज के सबसे वंचित, शोषित और बहिष्कृत तबक़े के हक़ों की बहाली के संघर्षरत है। दलित, आदिवासी, स्त्री या फिर बच्चे हमारी सोच मुख्यधारा के समाज को इनके प्रति ज़्यादा से ज़्यादा संवेदनशील और मानवीय बनाने की रही है ताकि इंसाफ और इंसानियत सबके हिस्से बराबर-बराबर आए। ‘अभिव्यक्ति’ जैसे समारोहों का महत्त्व इसीलिए है कि यह मानवीय मूल्यों और गरिमा को बढ़ावा देने का एक अनूठा प्रयास है। वैसे भी नामी-गिरामी संस्कृति केंद्रों के अलावा गली-मोहल्लों में ऐसे कार्यक्रमों का चलन ही कहाँ रहा! सफर न केवल इसके बारे में सचेत है बल्कि राजधानी की मलीन बस्तियों, झुग्गियों, पुनर्वास कॉलोनियों में भी उसी जोश-ओ-खरोश से काम करता है जिससे मध्यवर्गीय कॉलोनियों में। तमाम तरक्कीपसंद लोगों, विशेषकर नौजवान युवक-युवतियों और बच्चों से हमारी यह है कि वे इस सप़फर में हमारे साथ जुड़ें और इस ‘अभिव्यक्ति’ को सपफल बनाएँ।
इस आयोजन में ‘पीस’, ‘इंसाफ’, ‘सरोकार मीडिया कलेक्टिव’, ‘अस्मिता थिएटर ग्रुप’, ‘एनएपफडीडब्ल्यू’, ‘कृति’ और आइएसडी समेत दर्जन भर से ज़्यादा संस्थाओं और समूहों ने साझेदारी की है। सफर अपने दौर में रंगमंच के बेहद संजीदा और सक्रिय निर्देशक श्री अरविंद गौड़ का ख़ास तौर से शुक्रगुज़ार है। नवभारत टाइम्स आरंभ से ही इस आयोजन के साथ है।
कार्यक्रम
बुधवार, 14 अप्रैल 2010
6 बजेः प्रभात फेरी
9 बजेः साझी विरासत पर कार्यशाला
2 बजेः कबाड़ से जुगाड़ कार्यशाला
5 बजेः नुक्कड़ नाटक कचरा और नौकरानी, अस्मिता की प्रस्तुति, निर्देशनः अरविंद गौड़
(सभी कार्यक्रम गाँवड़ी, भजनपुरा में)
वृहस्पतिवार, 15 अप्रैल 2010
3.30 बजेः फोटॉग्राफी कार्यशाला
(मनोरंजन कक्ष, डीए फ्लैट्स, तिमारपुर)
5.30 बजेः नुक्कड़ नाटक कचरा और नौकरानी (लांसर्स रोड, तिमारपुर)
6.30 बजेः नुक्कड़ नाटक कचरा और नौकरानी (पत्राचार बस्ती, तिमारपुर)
शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010
3.30 बजे मोबाइल फोन द्वारा फिल्म बनाने की कार्यशाला
4.30 न्यूज़ लेखन कार्यशाला
6.30 कार्टून मेकिंग कार्यशाला
(सभी कार्यक्रम डीए फ्लैट्स, तिमारपुर में)
शनिवार, 17 अप्रैल 2010
6.30 बजेः कबड्डी और दौड़ प्रतियोगिता
9 बजेः नुक्कड़ नाटक कचरा और नौकरानी की प्रस्तुति
10 बजेः लेख और एक्टेम्पोर
2 बजेः क्वीज़
3 बजेः ड्रॉइंग कार्यशाला
6 बजेः बच्चों का गायन और नृत्य
7 बजेः बुद्ध भीम सांस्कृतिक मंडली की प्रस्तुति
8 बजेः संगीता गौड़ का सुफीयाना गायन
(सभी कार्यक्रम डीए फ्लैट्स, तिमारपुर में)
रविवार, 18 अप्रैल 2010
6 बजेः प्रभात फेरी
9 बजेः साझी विरासत पर कार्यशाला
1 बजेः टी शर्ट पेंटिंग
2 बजेः कबाड़ से जुगाड़ कार्यशाला
4 बजेः मोबाइल फिल्म प़ेफस्टिवल
6 बजेः बाल नृत्य एवं गीत
7 बजेः कहानी पाठ
7.30 बजेः बाल-नाट्यों की प्रस्तुति
8 बजेः अनसुनी का मंचन
प्रस्तुति अस्मिता, निर्देशन अरविंद गौड़
(सभी कार्यक्रम डीए फ्ऱलैट्स, तिमारपुर में)
संपर्क
शिशुपाल सिंह (कार्यक्रम संयोजक) 9716222492,
E mail: safar.delhi@gmail.com
Web blog: http://safarr.blogspot.com
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