प्रख्यात साहित्यकार डॉ. श्याम सखा 'श्याम' को हरियाणा साहित्य अकादमी की कमान सौंपी गई है। डॉ. श्याम ने बृहस्पतिवार, 1 सितम्बर 2011 को अकादमी के निदेशक के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया है। अकादमी के पंडित लख्मीचंद सम्मान से सम्मानित डॉ. श्याम सखा 'श्याम' अब तक विभिन्न भाषाओं में 18 पुस्तकों की रचना कर चुके हैं।
डॉ. श्याम को हिंदी एवं हरियाणवी की तीन पुस्तकों पर अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। हिंदी कहानी प्रतियोगिता के अंतर्गत अकादमी द्वारा उनकी चार कहानियां पुरस्कृत हो चुकी है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. 'श्याम' जाने-माने चिकित्सक भी हैं। ऑल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हरियाणा इकाई के दो वर्ष तक प्रधान रह चुके हैं और एसोसिएशन के आजीवन मानद संरक्षक भी हैं। चार भाषाओं में सृजनरत डॉ. श्याम सखा 'श्याम' ने साहित्यक पत्रिका 'मसिकागद' का 11 वर्ष तक संपादन किया है। डॉ श्याम की चर्चित कृतियों में अकथ, समझणिये की मर तथा कोई फायदा नहीं, महात्मा, एक टुकड़ा, दर्द, घनी गई थोड़ी रही, नाविक के तीर सम्मिलित हैं। पंजाबी भाषा में भी डॉ. श्याम की 'अश्लील' व 'अखीरला बयान' रचनाएं चर्चित रही है। हाल ही में श्याम ने एक अंग्रेजी उपन्यास को पूरा किया है जो प्रकाशाधीन है।
साहित्य तथा चिकित्सा दोनों क्षेत्रों में डॉ. श्याम सखा 'श्याम' अनेक ख्याति प्राप्त संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं। हरियाणवी भाषा की उनकी रचनाएं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं। इनकी अनेक कहानियों का तमिल, तेलगू, बंगला व उड़िया में अनुवाद हो चुका है। उन्हें हिंदी विद्या रत्न भारती सम्मान आइएमए हरियाणा का स्टेट एक्सीलेंस अवार्ड 2008, हिंदी विद्यारत्न भारती सम्मान (छत्तीसगढ़) 2003, हिंदी रत्न सम्मान (मानव भारती शिक्षा समिति सांपला) 2002, साहित्य सेवी सम्मान (अ.भा. साहित्य सम्मेलन गाजियाबाद) 2003 से सम्मान मिल चुका है।
डॉ. श्याम सखा विगत 3 वर्षों से इंटरनेट पर भी साहित्य-सेवा कर रहे हैं और अपने निजी ब्लॉगों के अतिरिक्त तमाम साहित्यिक ई-पत्रिकाओं को अपना सृजनात्मक सहयोग दे रहे हैं। हिन्द-युग्म पर लम्बे समय से सक्रिय हैं और इसे हर प्रकार से मदद करते रहे हैं।