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Friday, December 18, 2009

अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य पाठ और मुम्बई के कवियों की काव्यवर्षा


उपहार ग्रहण करते अविनाश वाचस्पति

मुम्बई
हेमंत ऋतु की मध्यम ठण्ड में, नीली आभा लिए पहाड़ी के पास, 05 दिसंबर 2009 की शाम, मुम्बई अणुशक्ति नगर चेम्बूर में सबरस साहित्यिक समूह ने एक काव्य गोष्टी का आयोजन किया| इस गोष्ठी के कुछ दृश्य-

मुख्य अतिथि-
श्री मनोज कुमार व परिवार (लखनऊ से)
श्री चतुर्वेदी (मुम्बई अणुशक्ति नगर में वैज्ञानिक)
श्री अविनाश वाचस्पति (नई दिल्ली से)

आयोजक- सबरस साहित्यिक समूह, मुम्बई अणुशक्ति नगर, चेम्बूर
संचालक- श्री कुमार जैन
व्यवस्थापक- श्री विपुल लखनवी, कवि कुलवंत सिंह (मुम्बई अणुशक्ति नगर में वैज्ञानिक)

कार्यक्रम की शुरूवात-
शाम ढलते-ढलते, 6 बजे कार्यक्रम की शुरूआत माँ शारदा के समक्ष मुख्य अतिथिगणों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुयी| संचालक महोदय ने देवी को माल्यार्पण किया| मुख्य अतिथिगणों का सम्मान, विपुल लखनवी ने उपहार देकर किया| श्रीमती शकुन्तला शर्मा ने अपनी शारदा वन्दना से देवी को नमन कर कविता पाठ की शुरूआत की|

कविता पाठ-
कविता पाठन एक अद्‍भुत गति से बढ़ता चला गया| श्रीमती अलका पाण्डेय ने अपनी नारी विशेष रचना से नारी जाति का गुणगान किया| अवनीश तिवारी ने आर्थिक मंदी पर अपनी दो रचनाओं से काव्य गोष्टी को समसामयिक रूप देने का प्रयास किया| नंदलाल थापर जी ने अपनी पंजाबी रचना को गाकर "मक्के की रोटी और सरसों के साग" की अमिट स्मृतियों को ताजा किया| गजलों की श्रेणी में, स्पर्श देशाई, सुरिंदर रत्ती और संचालक महोदय कुमार जैन ने रचनाएं प्रस्तुत की|

कुलवंत जी ने अपने गहरे अर्थ लिए मुक्तकों से वाह-वाह लुटी| जहां अपने राज को चलाने के लिए एक वर्ग हिन्दी विरोध करता है, वहीं एक ऐसा शख्स था जो अपनी मराठी में लिखी रचना को पढ़कर सांस्कृतिक संयोजन की मिशाल दे रहा था| मराठी रचनाकार दत्रातय शेतवादेकर ने अपनी मराठी रचना कही|
कवयित्रियों की पंक्ति में श्रीमती शैली ओझा और श्रीमती मंजू गुप्ता ने रचना पाठ किया| दिल्ली से आये अविनाश वाचस्पति ने अपना व्यंग लेख पढ़ कर गोष्टी को विविध विधा पूर्ण बना दिया| आयोजन के मुख्य प्रबंधक विपुल लखनवी ने अपने ओजपूर्ण, व्यंगात्मक रचना "खादी" से माहौल में चेतना का संचार करने का सफल प्रयास किया|
गोष्ठी की विशिष्टता संचालक की कुशल संचालन क्षमता से निखर गयी| सटीक, सार्थक और उपयुक्त पद्यात्मक टिप्पणियों से संचालक ने अंत तक गोष्ठी के बहाव की डोर को थाम कर एक सही दिशा दिया|


युवा कवि अवनीश एस॰ तिवारी व अन्य

कार्यक्रम का समापन-
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मशहूर मंच कवि मनोज कुमार ने अपने शेर, ओजपूर्ण रचनाओं और अनुभवों से गोष्ठी को एक सफल निष्कर्ष प्रदान किया| अंत में लोगों ने रात्रि का भोजन साथ कर, मेल मिलाप से विदाई ली|

प्रस्तुति,
अवनीश एस तिवारी

Saturday, April 4, 2009

फिर हुया संगम कला-विज्ञान का


मुम्बई बी.ए.आर.सी. के साहित्य प्रेमियों ने कला, साहित्य और सामाजिक कार्यों के प्रोत्साहन हेतु "सबरस" नामक समूह की शुरुवात की है| साहित्य सृजन में अपने किये गए प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, २९ मार्च २००९ के दिन मुम्बई में चेम्बूर इलाके के कलेक्टर कालोनी में एक काव्य गोष्टी का आयोजन किया गया| इसमें प्रवासी भारतीय साहित्य प्रेमियों की मौजूदगी इसे अंतराष्ट्रीय स्तर का बना देती है|आइये गोष्टी का एक सुखद सफ़र करते हैं ...

मुख्य अतिथि- अमेरिका से आयी प्रवासी भारतीय श्रीमती डॉ सरिता मेहता और गजलकार श्रीमती देवी नांगरानी |

अन्य वरिष्ठ साहित्य सृजक- श्रीमती शुक्ला शाह जिन्होंने नारी साहित्य सृजन को एक सम्मानजनक स्थान दिलवाया है, रंजन नटराजन जो "कुतुबनुमा" नामक पत्रिका की संपादिका हैं।

आयोजक- " सबरस " समूह, जिनमें कवि कुलवंत, श्री गिरीश जोशी और प्रमिला शर्मा सक्रीय रहें|

संचालक- लोचन सक्सेना

काव्य गोष्टी रचना पाठ- शाम ५.३० बजे काव्य गोष्टी की शुरूआत हुयी| माँ शारदा को नमन करते हुए, संचालक ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया| प्रमिला शर्मा ने सभी उपस्थित रचनाकारों को गुलाब पुष्प देकर स्वागत किया|
रचनाओं के सुनने और सुनाने का सिलसिला शुरू हुया और रात ८.४५ तक चलता ही रहा| देवी नांगरानी ने अपनी ग़ज़ल गा कर सुनाई| वरिष्ट रचनाकार कपिल कुमार ने दोहे कहे। नीरज गोस्वामी ने गज़लें गायीं | नंदलाल थापर ने अपनी रचना "चूड़ी" सुनाई| शकुन्तला शर्मा जी ने देश भक्ति रचना गायी| मानिक मूंदे, जो मराठी के भी रचनाकार हैं, अपनी हिन्दी की समसामयिक रचना सुनाकर लोगों का ध्यान आकर्षित करते रहे | मुख्य अतिथि डॉ सरिता मेहता ने भी अपनी ग़ज़ल सुनाई | कवि कुलवंत ने " मुखौटा " की बातें अपनी रचना से की| अवनीश तिवारी ने देवी सरस्वती पर अपने छंद कहे और बसंत पर रचना सुनाई |

इसके अतिरिक्त ओमप्रकाश चतुर्वेदी, प्रमिला शर्मा, मंजू गुप्ता, त्रिलोचन, कुमार जैन था अन्य कई रचनाकारों ने रचना पाठन किया | गीत, ग़ज़ल, शेर, छंद और दोहे से सजी इस महफ़िल का समापन सभी के मेल मिलाप और आशीष-आशीर्वाद से हुआ|

मुम्बई से अवनीश एस तिवारी