Wednesday, November 25, 2009

26-11 पर भुवेन्द्र त्यागी की दो पुस्तकों 'दहशत के साठ घंटे' और 'आंखों देखी' का मुम्बई में लोकार्पण

राम प्रधान कमेटी ने 26/ 11 के हमलों की अधूरी जांच की: वाई पी सिंह


भुवेन्द्र त्यागी, वाई. पी. सिंह, आभा सिंह, विश्वनाथ सचदेव, शचीन्द्र त्रिपाठी

26 नवम्बर, 2008 के आतंकी हमले के बाद जिस राम प्रधान कमेटी का गठन किया गया था, उसने बुलेट प्रूफ जैकेट मामले में कोई जांच नहीं की। मुम्बई पुलिस का एक आला अफसर शहीद होता है और उसके शरीर से गोली लगी बुलेटप्रूफ जैकेट उतार ली जाती है। इसकी जांच करने के लिए एक कमेटी गठित होती है और वह मामले को दरकिनार कर देती है। सरकारें हमेशा से लोगों को झांसा देती हैं। जिस राज्य के पुलिस महानिदेशक को हाईकोर्ट गैर-कानूनी तरीके से पद पर बने रहने के आरोप में पदच्युत करती है, उस राज्य की सुरक्षा व्यवस्था की क्या चर्चा करें?

ये ज्वलंत मुद्दे उठाये पूर्व आईपीएस अफसर वाई. पी. सिंह ने। वे मुम्बई के के. सी. कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के ऑडिटोरियम में 'नवभारत टाइम्स’ के मुख्य उपसंपादक भुवेन्द्र त्यागी की दो पुस्तकों 'दहशत के साठ घंटे' और 'आंखों देखी' के विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। ये दोनों किताबें 26-11 पर ही लिखी गयी हैं।


इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इंडियन पोस्टल सर्विस की वरिष्ठ अधिकारी और लीड इंडिया कांटेस्ट की फाइनलिस्ट आभा सिंह ने कहा कि साठ घंटे तक चले आतंक के इस कृत्य के पीछे व्यवस्था में कहीं न कहीं अव्यवस्था छिपी है। उन्होंने यह मुद्दा उठाया कि ताकतवर सरकारी तंत्र ऐसे हालात में इतना असहाय क्यों नजर आता है।

लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए 'नवभारत टाइम्स' के संपादक शचीन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारों को आम होते हुए भी खास बनना पड़ता है। उन्हें जरूरत होती है आम आदमी से एक कदम आगे बढ़कर सोचने की। समारोह के अध्यक्ष 'नवनीत' के संपादक वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ सचदेव ने नवोदित पत्रकारों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि'आंखों देखी' में तो 15 पत्रकारों का काम है, कौन जाने अभी 15 हजार पत्रकार इस तरह का काम कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि हाल के चुनाव में मीडिया ने रिपोर्टिंग की बहुत घृणित मिसाल पेश की है, लेकिन इस किताब में 15 पत्रकारों के 26-11 के ओजस्वी अनुभव पढ़कर लगता है कि पत्रकारिता का भविष्य आशाजनक है।


समारोह का संचालन वरिष्ठ गजलकार और फिल्म गीतकार देवमणि पांडेय ने किया। समारोह में ‘ आंखों देखी’ किताब में शामिल हिन्दी, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 15 पत्रकारों में से अधिकांश पत्रकार उपस्थित थे । ख़तरों से खेलने वाले इन पत्रकारों का स्वागत प्रशिक्षार्थी पत्रकार जितेंद्र दीक्षित और आकांक्षा सिंह ने किया ।

सौम्य प्रकाशन की निदेशक रीना त्यागी ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सौम्य प्रकाशन मीडियाकारों की पुस्तकें ही प्रकाशित करेगा। जिन मीडियाकारों के पास अच्छे विषयों पर स्क्रिप्ट है, वे अपना परिचय और स्क्रिप्ट की सिनॉप्सिस ई-मेल से भेज सकते हैं-

saumyaprk@gmail.com

दहशत के 60 घंटे

इस किताब में भुवेन्द्र त्यागी ने 26-11 के आतंकी हमले की पूरी दास्तान 14 अध्यायों सबसे बड़ा हमला, सीएसटी और कामा पर कहर, दो टैक्सियों के धमाके, ताज की त्रासदी, ट्राइडेंट की टीस, नरीमन हाउस के जख्म, आंखों में आंसू और सीने में गम, फिर गर्व से सिर उठाया, गौरवशाली अतीत, शौर्य को सलाम, जो शहीद हुए, कहर का सफर, कहां हुई चूक तथा बाद में जो हुआ में कही है। इसमें 29 अगस्त, 2009 तक का घटनाक्रम है।

आंखों देखी

इस किताब में हिन्दी, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 15 पत्रकारों के 26-11 के कवरेज की आंखों देखी है। प्रस्तावना संजय सिंह (रेजिडेंड एडिटर न्यूज एक्स) ने लिखी है। जिन 15 पत्रकारों के अनुभवों को भुवेन्द्र त्यागी ने संपादित किया है, वे हैं-
मृत्युंजर बोस व प्रशांत सावंत (सकाल टाइम्स), रेशमा शिवडेकर (महाराष्ट्र टाइम्स), सुनील मेहरोत्रा (नवभारत टाइम्स), श्रीराम वेर्णेकर व उमा कदम (टाइम्स ऑफ इंडिया), जयप्रकाश सिंह व ललित छाजेड (आईबीएन 7), सचिन चौधरी (इंडिया टीवी), सरोजिनी श्रीहर्ष (सहारा समय), सुबोध मिश्रा (स्टार न्यूज), विवेक कुमार भट्ट व राजू इनामदार (आज तक) और विद्या मिश्रा (हैडलाइंस टुडे)।

Monday, November 23, 2009

वरिष्ठ बाल साहित्यकार एवं पर्यावरणविद शमशेर अहमद खान सम्मानित



विगत दिनों बाल दिवस के अवसर पर वरिष्ठ बाल साहित्यकार एवं पर्यावरणविद शमशेर अहमद खान को भारतीय कृषि पत्रकार संघ की ओर से वर्ष 2009 का डॉ. पंजाब राव एस.देशमुख सम्मान से उनके श्रेष्ठ बालसाहित्य लेखन एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु दिल्ली में सम्मानित किया गया।

'बाल-प्रहरी' द्वारा बाल गोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली।

बच्चों की त्रैमासिक पत्रिका 'बाल-प्रहरी', अलमोड़ा द्वारा दिनांक 8/11/2009 को गढ़वाल भवन,पंचकुईया रोड, नई दिल्ली में बाल साहित्य की दशा एवं दिशा पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें नई दिल्ली एवं एन.सी.आर.के बाल साहित्यकारों ने भाग लिया। जिसमें डा. हरिसिंह पाल, डा. मोहन तिवारी, चन्द्र जींदयाल, पूरनचंद कांडपाल,विनीता मथ्थ, देवन्द्र उपाध्याय, बाल भारती के पूर्व संपादक डा. द्रोणवीर कोहली, विज्ञान प्रगति के संपादक डा. दीक्षा विष्ट, हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स के पूर्व संपादक श्री सूर्यकांत बाली, बाल साहित्यकार डा. सरस्वती बाली, रणजीत राणा, सुखदेव मलहोत्रा मुख्य अतिथि के रुप में बाल भवन के पूर्व निदेशक डा. मधु पंत, के अलावा दाता राम चमोली, लाल बिहारी लाल, नेहा रावत, राम निवास इंडिया आदी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये।

सभी वक्ताओं ने बाल साहित्य के वर्त्तमान दशा पर संतोष व्यक्त किया परन्तु इसके दिशा पर असंतोष व्यक्त किया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता डा. द्रोणवीर कोहली तथा संचालन बाल प्रहरी के संपादक उदय किरौला ने किया।

Friday, November 20, 2009

सर्दी की शुरुआत में 'आनंदम' की गर्म कविताएँ

रिपोर्ट: तरुण रावतानी


दि.17 नवम्बर 2009 को नई दिल्ली में कस्तूरबा गाँधी मार्ग स्थित 'हिमालय हाउस' में 'Max New York' जीवन बीमा कंपनी के सौहार्द्र से 'आनंदम' की नवम्बर माह की काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई जो इस शरद ऋतु की पहली काव्य गोष्ठी थी. गोष्ठी की अध्यक्षता मुन्नवर सरहदी ने की तथा संचालन ममता किरण ने किया. मंच पर 'आनंदम' संस्थापक जगदीश रावतानी व लक्ष्मी शंकर वाजपेयी भी उपस्थित रहे. गोष्ठी में रविन्द्र शर्मा 'रवि' , शिव कुमार मिश्र 'मोहन' , नईम बदायूनी, वीरेंद्र 'कमर', मजाज अमरोहवी, नश्तर अमरोहवी, मासूम गाज़ियाबादी, रज़ी अमरोहवी, विजय कुमार, जय प्रकाश शर्मा 'विविध', सुनील जैन राही, मनमोहन तालिब, जगदीश जैन, विशन लाल, सैलेश कुमार, सतीश सागर, उपेन्द्र दत्त, पुरुषोत्तम वज्र, शोभना मित्तल, रणविजय राव, नागेश चन्द्र, भूपेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार ने भाग लिया. गोष्ठी की पहली कविता शिव कुमार मिश्र 'मोहन' ने पढ़ी जो पिछली चंद गोष्ठियों से 'आनंदम' से जुड़े हैं. कविता की कुछ पंक्तियाँ:

कौन सा बम चिथड़ों में बदल दे/ कब बहा ले जाएं उफनती नदियाँ/ कहीं किसी हादसे के चटखारे लेते चैनलों में/ मेरा नाम उछल न जाए/ सोचता हूँ/ समझता हूँ/ फिर भी भूल जाता हूँ/ शायद इसलिए/ मैं कोई कविता सुनाता हूँ...

कुछ अन्य कवि जो 'आनंदम' में पहली बार आए थे ने भी अच्छी कविताएँ पढ़ी. जैसे:

चमार का गधा गाय के साथ/ चौपाल पर/ चौपाल में हंगामा सुबह से शाम तक/ शाम को सरपंच का फैसला चमार के घर/ सुबह चमार की जवान लड़की अस्त व्यस्त कपड़ों में/ चौपाल में कोई हंगामा नहीं/ हंगामा नहीं/ हंगामा नहीं' (सुनील जैन 'राही').

गोल गोल हाथों से रोटियां बनाती थी/ गर्म गर्म रोटियों पे माखन लगती थी/ हटी माँ की नज़र तो छीन रोटी कागा भागा... (नागेश चन्द्र).

दिल्ली की गोष्ठियों में सक्रिय शोभना मित्तल अक्सर अच्छी कविताओं के लिए जानी जाती हैं. उनकी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ:

(बैल कुत्ते से) - 'हल हो या कोल्हू/ मैं तो सिर्फ जुता हूँ/ और तू सदा से ठाली है / हाँ, मेरा नाम बेचारगी का मुहावरा है/ पर तेरा नाम गाली है...



कविता के साथ-साथ शायरी और ग़ज़ल की गर्माहट भी खूब थी जिस में मासूम 'गाज़ियाबदी', लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, रविन्द्र शर्मा 'रवि', जगदीश जैन, मनमोहन 'तालिब', वीरेंद्र 'क़मर' आदि छाए रहे. कुछ सशक्त शेर:

सभी सपने नहीं टूटे अभी दो चार बाक़ी हैं,
कहो अश्कों से आँखों में अभी अंगार बाक़ी हैं
(रविन्द्र शर्मा 'रवि').


उस को शायद इस लिए ही देर से मंज़िल मिली
वो हमेशा ऐसे रस्ते पर चला जो था सही
(लक्ष्मी शंकर वाजपेयी).

हमेशा तंगदिल दानिश्वरों से फासला रखना
मणि मिल जाए तो क्या सांप डसना छोड़ देता है
(मासूम गाज़ियाबदी).

हम से ज़िक्रे बहार मत कीजे
हम ने देखा नहीं बहारों को
(नईम बदायूनी).

अख़बारों में खुनी मंज़र मत छापो,
बच्चे इन तस्वीरों से डर जाते हैं
(जतिंदर परवाज़).

रूठ जाएं तो उन को मनाया करो
मान जाएं तो खुद रूठ जाया करो
(मजाज अमरोहवी).

गम मुहब्बत का पाल रखा है,
ख़ाक दिल का ख्याल रखा है
(वीरेंद्र क़मर)

बहुत खुश हो रहे हो मगरिबी तहज़ीब अपना कर
खड़े हो कर मगर फिर भी 'डिनर' अच्छा नहीं लगता
(नश्तर अमरोहवी)

न हिन्दू की न मुस्लिम की किसी ग़लती से होता है
यहाँ दंगा सियासतदान की मर्ज़ी से होता है
(प्रेमचंद सहजवाला).

अंत में गोष्ठी अध्यक्ष मुनव्वर सरहदी ने हमेशा की तरह अपनी शायरी से हाल में कहकहे बिखेर दिए. उन का एक शेर:

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
रहे वो बज़्म में जब तक न वो निकले न हम निकले
.

आनंदम की इस गोष्ठी में कवियों व श्रोताओं की संख्या पिछली गोष्ठियों से अधिक थी जो 'आनंदम' की लोकप्रियता की ओर संकेत करती है. 'आनंदम' अध्यक्ष जगदीश रावतानी द्वारा धन्यवाद दिए जाने के बाद गोष्ठी सम्पन्न हुई.

'हमारी विरासत' - सिन्धी संस्था 'मारुई' तथा मानव संसाधन मंत्रालय का मिला जुला राष्ट्रीय सेमिनार

प्रेषक- प्रेमचंद सहजवाला

सिन्धी संस्था 'मारुई' सिन्धी महिलाओं की एक सामाजिक सांस्कृतिक व साहित्यिक संस्था है जो पिछले दो दशक से भी अधिक समय से भाषा संस्कृति व सामाजिक कार्यों में अभूतपूर्व रूप से सक्रिय रही है. मानव संसाधन मंत्रालय की 'राष्ट्रीय सिन्धी भाषा प्रोन्नति परिषद' (National Council for Promotion of Sindhi Language - NCPSL) भी भारत में सिन्धी भाषा की प्रगति के लिए निरंतर गतिशील रही है. दि. 22 तथा 23 नवम्बर 2009 को 'मारुई' तथा 'राष्ट्रीय सिन्धी भाषा प्रोन्नति परिषद' का राष्ट्रीय सेमिनार नई दिल्ली के 24 फिरोज़ शाह रोड स्थित 'Russian Culture Centre' में आयोजित होने जा रहा है। यह दो दिवसीय सेमिनार प्रसिद्ध गांधीवादी समाजसेविका निर्मला देशपांडे की स्मृति को समर्पित होगा तथा सेमिनार की मुख्य अतिथि दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित होंगी. इस के अतिरिक्त दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष व सांसद श्री जय प्रकाश अग्रवाल, पूर्व सांसद व सिन्धी अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष श्री सुरेश केसवानी व 'राष्ट्रीय सिन्धी भाषा प्रोन्नति परिषद' उपाध्यक्ष श्री श्रीकांत भाटिया सेमिनार के विशिष्ट अतिथि होंगे. अध्यक्षता राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश व राजस्थान के अन्य पिछड़े वर्ग (OBC ) अध्यक्ष जस्टिस आई एस ईसरानी करेंगे. इस दो दिवसीय कार्यक्रम का उदघाटन 22 नवम्बर प्रातः 10 बजे जलपान आदि के बाद 10.30 बजे होगा तथा सेमिनार की निदेशिका व मारुई संस्थापक वीना शृंगी के निबंध संग्रह 'तू छप्पर तू ई छांव' व शालिनी सागर के संस्मरण संग्रह 'कीअं विसार्याँ वेडीचन' का लोकार्पण होगा. शेष कार्यक्रम में शाम छः बजे तक तीन सत्र 'असां जो वर्सो - लिबास ऐं ज़ेवर ' (हमारी विरासत - लिबास और ज़ेवर ),, 'रीत्युं
रस्मूं' (रीति-रस्में), तथा 'पिरोल्यूं' (पहेलियाँ) विषय पर होंगे जिन की अध्यक्षता क्रमशः NCPSL निदेशक डॉ. बलदेव मतलानी, डॉ. नन्दलाल जोतवानी, तथा सिन्धी अकादमी के वर्त्तमान उपाध्यक्ष डॉ. मुरलीधर जेटली करेंगे.

दि. 23 नवम्बर को प्रातः 9.30 बजे पहले सत्र में शालिनी सागर 'असान्जा डिन वार' (हमारे तीज त्यौहार) विषय पर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगी, जिस की अध्यक्षता अनिला सुन्दर करेंगी. जलपान आदि के बाद प्रसिद्ध सिन्धी साहित्यकार समालोचक सी.जे. दासवानी व मीना रूपचंदानी सभी सत्रों की समीक्षा करेंगे. सेमिनार के अंतिम कार्यक्रम कवि सम्मलेन तथा मुक्त सत्र होंगे जिन की अध्यक्षता क्रमशः पुष्प आडवानी तथा लछमनदास केसवानी करेंगे.

(विवरण देखने के लिए नीचे के चित्रों पर क्लिक करें)

Thursday, November 19, 2009

‘खरी-खरी’ कार्टून प्रदर्शनी का 25 वें वर्ष में प्रवेश



दिल्ली। सामाजिक, सांप्रदायिक विसंगतियों एवं सद्भाव के प्रचार-प्रसार हेतु दिल्ली के श्री किशोर श्रीवास्तव द्वारा वर्ष 1985 में तैयार की गई कार्टूनों एवं लघु रचनाओं की पोस्टर प्रदर्शनी ‘खरी-खरी’ ने इस वर्ष नवंबर माह में अपने 25वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। 25वें वर्ष की पहली प्रदर्शनी का आयोजन विगत दिनों गोवा की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक संस्था राष्ट्रीय शिक्षक विकास परिषद द्वारा अपने 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर गोवा में किया गया।

ज्ञात रहे, इस प्रदर्शनी का पहली बार प्रदर्शन वर्ष 1985 में दूरदर्शन ज्ञानदीप मंडल की झांसी शाखा द्वारा झांसी (उ.प्र.) में किया गया था। तब से लेकर अब-तक समय-समय पर दिल्ली सहित देश के विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन होता रहा है। इस प्रदर्शनी में किशोर द्वारा अपने स्वरचित कार्टूनों एवं लघु रचनाओं के माध्यम से विभिन्न सामाजिक व सांप्रदायिक विसंगतियों के खिलाफ आवाज़ उठाने के साथ ही सामाजिक, सांप्रदायिक प्रेम व सद्भाव के विषयों को भी उठाया गया है। लगभग 100 रंगीन पोस्टरों की इस प्रदर्शनी में सामयिकता को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर कुछ परिवर्तन भी किया जाता रहा है।

Wednesday, November 18, 2009

पारदर्शिता ही जनसूचना अधिकार का उद्देश्य- एस.आर. ढलेटा



विगत दिनों सिद्धार्थ नगर जनपद स्थित रतन सेन डिग्री कालेज, बांसी द्वारा दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन बौद्ध अध्ययन केंद्र के तत्वाधान में आयोजित किया गया. इस अवसर पर विधि मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री एस.आर. ढलेटा स्वच्छ लोकतंत्र हेतु सूचना के अधिकार का महत्व विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लोकहित में सरकार के क्रिया कलापों में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्ति, प्रशासनिक अधिकारियों का उत्तरदायित्व, पूर्ण व्यवहार जनसूचना के अधिकार का मूल उद्देश्य है. उन्होंने कहाकि इस अधिकार के अंतर्गत नागरिकों को केंद्रीय सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, उच्च न्यायालयों, निकायों, सरकार द्वारा पोषित वित्तीय संस्थानों/स्वैछिक संस्थानों आदि से भी सूचना 30 से 60 दिनों के भीतर प्राप्त की जा सकती है. श्री ढलेटा ने कहाकि इसके लिए प्रत्येक विभाग में सूचना अधिकारी नियुक्त है जो किसी भी सूचना मांगने वाले भारतीय नागरिक से यह नहीं पूछ सकते कि सूचना किसलिए और क्यों मांगी जा रही है, मांगे जाने पर उन्हें सरकार की मंशा के अनुरूप हर हाल में अपेक्षित सूचनाएं देनी ही होंगी.

संगोष्ठी के विशिष्ठ अतिथि श्री शमशेर अहमद खान ने कहाकि कपिलवस्तु गणतंत्र की जन्मदाता है, यहीं से लोकतंत्र पूरी दुनिया में गया है.उन्होंने जनता के सरकार की भागीदारी पर चर्चा की एक आदर्श तथा जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए लोगों को प्रेरित किया.

पुलिस अधीक्षक श्री उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने कहाकि सूचना का अधिकार अधिनियम दिनोंदिन प्रासंगिक होता जा रहा है. शिक्षा के केंद्र इस दिशा में जागरूक हो रहे हैं जो देश के लिए शुभ संकेत है. उन्होंने भ्रष्टाचार को नासूर बताते हुए कहाकि इसे जागरूकता से ही मिटाया जा सकता है.मुख्य विकास अधिकारी श्री ताहिर इकबाल ने कहाकि परिवर्तन विकास की एक प्रक्रिया है. सूचना का अधिकार नागरिक अधिकार के क्षेत्र में मील का पत्थर है.

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रबंधक और पूर्व विधायक श्री जय प्रताप सिंह ने चर्चा करते हुए कहाकि जनसूचना का यह अधिकार लोकरुचि का विषय है और नागरिक अधिकारों में एक क्रांतिकारी क़दम है जिसे ऐतिहासिक उपलब्धि समझना चाहिए.



उक्त अवसर पर ए डी एम सिद्धार्थ नगर श्री एम के त्रिवेदी ने कहाकि सूचना का अधिकार आज भी प्रासंगिक है, हर नागरिक को सूचना अधिनियम 2005 से सूचना पाने के अधिकार के लिए यह एक हथियार है.

अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. हरेश प्रताप सिंह ने गोष्ठी में उपस्थित सभी अतिथियों, प्राध्यापकों,छात्र-छात्राओं,गणमान्य अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया.कार्यक्रम का संचालन डॉ. जय नारायण मिश्र ने किया.

अगले दिन की संगोष्ठी का संबोधन भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान, दिल्ली में कार्यरत सहायक निदेशक श्री शमशेर अहमद खान ने किया. उन्होंने कहा कि भारत बहुभाषी देश है. अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा का उल्लेख है. अंग्रेजी सहराजभाषा है. यही नहीं,राज्यों की अपनी राजभाषा है और उन्हें भी अपनी सह राजभाषाएं बनाने का पूरा संवैधानिक अधिकार है. भाषा देश को जोड़्ती है. दुनिया में लोकतंत्र की जननी भी भारत भूमि है. केंद्र की भाषा नीति और उसका क्रियान्वयन, देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करने में अहम भूमिका का निर्वहन करता है.हिंदी देश की प्रतिनिधि भाषा है और राष्ट्र भाषा के रूप में राष्ट्रीय एकता की कड़ी है. उन्होंने कहाकि देश की भाषायी जटिलता राष्ट्रीय एकता में बाधा नहीं है. विविध भाषी देश होने के बावजूद भारत की सांस्कृतिक एकता का आधार परस्पर समन्वय ही है, जो भाषाओं के बीच विद्यमान सौम्यता का कारण है. संस्कृत अधिकांश भारतीय भाषाओं की जननी है. आज पूरी दुनिया को एकता के सुत्र में बांधने में बौद्ध धर्म का योगदान ऐतिहासिक है.



रिपोर्ट-
शमशेर अहमद खान
2-सी,प्रैस ब्लॉक,पुराना सचिवालय, सिविल लाइंस, दिल्ली-110054

Tuesday, November 17, 2009

गोवा में दिल्ली के साहित्यकारों का सम्मान


काव्यपाठ करतीं नमिता राकेश

गोवा।
राष्ट्रीय शिक्षक विकास परिषद और कला एवम् सांस्कृतिक निदेशलाय,गोवा के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन शिरोडा,गोवा में हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ, कलाकृतियों एवम् व्यंग चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई और शिक्षकों ओर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

शाम को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। तीन घन्टे तक चले इस कवि सम्मेलन का चुटीला और कुशल मंच संचालन दिल्ली की नमिता राकेश ने किया जिसके लिए सभी ने ज़ोरदार शब्दों में उनकी प्रशंसा की। मंच से उतरते ही लोगों ने नमिता राकेश को घेर लिया। नमिता के साथ फोटो खिचाने के लिए होड़ लग गई। लोगों के इतने प्यार और सम्मान से नमिता कृत-कृत हो गईं। ये बात इसलिये भी रेखांकित करनी पड़ रही है क्योंकि ये वो यादगार पल थे जो भूलाए नहीं जा सकते। अपनी सीट तक आने में नमिता को एक घन्टा लग गया। लोगों की आँखों में चाहत ओर प्रशंसा देखने के काबिल थी।

अगले दिन सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे गोवा सरकार में समाज कल्याण मंत्री श्री रामकृष्ण धावलिकर ने देश भर से आए कला प्रेमियों को संबोधित और सम्मानित किया। कामाक्षी महिला भजनी मंडल, शिरोडा के कलाकारों ने स्वागत गीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके श्रोताओं का दिल जीत लिया। सम्मेलन में दिल्ली के अनेक साहित्यकारों/कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया था और उन्हें साहित्य/कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया। इसमें श्रीमती नमिता राकेश, डा. हरीष अरोड़ा, सुषमा भंडारी,जसवंत सिंह जनमेजय, अशोक कुमार एवं किशोर श्रीवास्तव आदि को क्रमशः राष्ट्रीय साहित्य भूषण, शिक्षक भूषण एवं समाज भूषण सम्मान प्रदान किया गया।


सम्मान प्राप्त करते सर्वश्री किशोर श्रीवास्तव, अशोक कुमार, सुषमा भंडारी डा. हरीश अरोड़ा एवं नमिता राकेश

सम्मान ग्रहण करतीं नमिता राकेश

एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया। देश भर से आये साहित्यकारों ने विभिन्न भाषाओं मे कविताएँ व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर किशोर श्रीवास्तव की 25 वें वर्ष में चल रही कार्टून एवं लघु रचनाओं की सामाजिक चेतना पोस्टर प्रदर्शनी ‘खरी-खरी’ का प्रदर्शन भी किया गया। समस्त कार्यक्रम का संयोजन शिक्षक विकास परिषद के अध्यक्ष श्री रमेश वी. कुलकर्णी ने किया।


कार्यक्रम एवं किशोर श्रीवास्तव की कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी ‘खरी-खरी’ का अवलोकन करते दर्शकगण

Monday, November 16, 2009

नई पीढ़ी के कवियों की तीसरी दस्तक

15 नवम्बर 2009, नई दिल्ली

काव्यपाठ करती युवा कवयित्री सुश्री शैलजा सिंह

‘राष्ट्रीय कवि संगम’ के तत्वावधान में होने वाले ’दस्तक नई पीढ़ी की’ के शीर्षक से तृतीय काव्योत्सव का आयोजन रविवार को सम्पन्न हुआ। कविता पाठ के अतिरिक्त ’जगदीश मित्तल काव्य पुरस्कार’ और ’दूसरी दस्तक’ नामक एक काव्य संकलन का भी लोकार्पण किया गया।

दिल्ली के पीतमपुरा स्थित टैक्निया सभागार में रविवार की सुबह काव्यप्रेमियों के उत्सव की बेला थी। नए कवियों को मंच से जोड़ने में संलग्न माननीय श्री जगदीश मित्तल जी के जन्मदिवस पर आयोजित ‘दस्तक नई पीढ़ी की’ प्रतिवर्ष 15 नए कवियों को मंच से रू-ब-रू कराता है। इस वर्ष इस शृंखला में श्री विनय शुक्ल ’विनम्र’, श्री चरणजीत ’चरण’, श्री शैलेन्द्र शर्मा ‘शैल’, श्री महेन्द्र प्रजापति, श्री नीरज मलिक, श्री रमन जैन, श्रीमती राजरानी भल्ला, श्री जतिन्दर ’परवाज़’, श्री सत्येन्द्र सत्यार्थी, श्री अनिल गोयल, श्री अनुराग अगम, सुश्री शैलजा सिंह, श्री मनोज वाजपेई और श्री विनीत पाण्डेय आदि ने कविता पाठ किया। सभी कवियों ने अपनी मंत्रमुग्ध करने वाली कविताओं से श्रोताओं पर ऐसा सम्मोहन किया कि यह कार्यक्रम तय समय से दो घंटे अधिक चला। हास्य, ओज, शृंगार और संवेदना से भरी कविताएँ
श्रोताओं को बांधे रखने में समर्थ रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप-प्रज्जवलन करके किया गया। दीप-प्रज्जवलन का कार्य श्री जगदीश मित्तल, श्री नरेश शांडिल्य, डॉ. नन्द किशोर, श्री श्याम जाजू, श्री यूसुफ भारद्वााज और श्री राजेश जैन ’चेतन’ के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में ‘दूसरी दस्तक’ का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक में पिछले वर्ष के ‘द्वितीय काव्योत्सव’ में शिरक़त करने वाले पन्द्रह युवा कवियों की रचनाएँ सम्मिलित हैं। पुस्तक का लोकार्पण श्री बलबीर सिंह ‘करुण’, श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, श्री राजगोपाल सिंह और श्री यूसुफ़ भारद्वाज ने किया।

युवा कवियों के प्रोत्साहनार्थ प्रारंभ किया गया ‘जगदीश मित्तल काव्य पुरस्कार’ युवा कवि श्री चिराग़ जैन को दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार उनकी उत्कृष्ट काव्य साधना तथा सामाजिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता के लिए दिया गया। पुरस्कार स्वरूप युवा कवि को ग्यारह हज़ार रुपए की नकद राशि, एक प्रतीक चिन्ह तथा अंगवस्त्र भेंट किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता आकाशवाणी के निदेशक श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने की। युवा कवियों को आशीर्वचन देने के लिए श्री नरेश शांडिल्य, श्री राजगोपाल सिंह और श्री यूसुफ़ भारद्वाज मौजूद थे। इसके अतिरिक्त श्री बलबीर सिंह करुण, श्री धर्मचंद अशेष, श्री सीमाब सुल्तानपुरी और श्री बाग़ी चाचा समेत तमाम कवि कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा रहे थे। साहित्य जगत्,उद्योग जगत्, प्रशासन, राजनीति तथा पत्रकारिता जगत् की तमाम हस्तियाँ कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रही थीं। विनय शुक्ल ‘विनम्र’ के सरस संचालन को लम्बे समय तक याद रखा जाएगा।


काव्योत्सव का आनंद लेते श्रोतागण


‘दूसरी दस्तक’ का लोकार्पण। बाएँ से श्री राजेश चेतन, श्रीमती ऋतु गोयल, श्री नरेश शांडिल्य, श्री यूसुफ भारद्वाज, श्री हरमिन्द्र पाल, श्री चिराग़ जैन, श्री बलबीर सिंह करुण, श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, श्री राजगोपाल सिंह और श्री जगदीश मित्तल


युवा कवि चिराग़ जैन को ‘जगदीश मित्तल काव्य पुरस्कार’ प्रदान करते हुए श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी। साथ में हैं श्री नरेश शांडिल्य, श्री यूसुफ भारद्वाज, श्री बलबीर सिंह करुण, श्री जगदीश मित्तल।

सिन्धी असोसिएशन ऑफ़ शिकागो द्वारा मनाया गया गुरु नानक देव जी का जन्मदिन



14 नवम्बर, शिकागो के मदीना (Madina) उपनगर के "ॐ शांति मंदिर" में सिन्धी असोसिएशन ऑफ़ शिकागो की तरफ से श्री गुरु नानक देव जी का जन्म दिन धूमधाम से मनाया गया, जिसमें लगभग 300 के करीब लोगों की भागीदारी रही। शाम के 6.00 बजे से रात के 10.00 बजे तक कार्य की समाप्ति हुई।

शुरूआत का पहला चरण गुरुबानी व अन्य भजन कीर्तन से हुआ जिसमें पूरी संगत तन्मय होकर साथ देती रही। 8.00 बजे गुरु दर्शन की रस्म की अदायगी हुई और शंख व फूलों की बरखा हुई। अंत में आनंद साहब का पाठ हुआ और फिर आरती की रस्म पूरी हुई। गुरु ग्रन्थ से वचन लेकर समारोह की समाप्ति की गयी।

अंत में लंगर का आरंभ हुआ और सभी लोग एल दूजे से मिलते मिलाते हुए प्रसाद ग्रहण करते रहे। व्यवस्था असोसिएशन के प्रेजिडेंट श्री हरेश हर्पलानी जी की देख-रेख में की गयी जिसकी बागडोर आज की नव पीढ़ी अपने साथ से बखूबी पूर्ण कर पाई।


पूरी रस्मों के तहद देश से दूर लोग अपने धर्म और संस्कृति के प्रति भारतीय प्रवासी आज भी उतने ही जागरूक हैं जितने की हिंदुस्तान में। इन भारतीय संस्कारों की बुलंदिओं का चराग़ जहाँ भी रौशन होगा वह स्थान, वह धरती हमारे देश की धरती से किसी भी प्रकार भी कम न होगी। जहाँ-जहाँ एक भी हिन्दोस्तानी का दिल धड़केगा, सच में वहीँ वहीँ देश की सौंधी मिट्टी की महक फिजाओं में पाई जायेगी।

प्रेषक-
देवी नागरानी
न्यू जर्सी

Sunday, November 15, 2009

मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद की 121वीं जयंती पर रुधौली में सेमिनार और मुशायरा

बस्ती।



इमामुलहिन्द आज़ादी के अजीम लीडर और स्वतंत्र भारत के प्रथम केन्द्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 121वीं यौमें पैदाइश के अवसर पर श्रद्धाँजलि अर्पित करने के लिए मजलिश-ए-इस्लाहुल मुस्लमीन-रूधौली के द्वारा संचालित मौलाना अबुल कलाम आजाद इस्लामिक जूनियर हाईस्कूल के तत्वाधान में सेमीनार एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। सेमिनार में वक्ताओं ने मौलाना आज़ाद के जीवन के हर पहलू पर खुल कर बहस की। सेमीनार की अध्यक्षता कर रहे मौलाना अब्दुल हफ़ीज़ रहमानी सेखुल हिन्द-एकेडमी दारुल-उलूम देवबन्द ने कहा कि मौलाना आजाद देश की एकता के सबसे बड़े अलम बरदार ते, और शख्त विरोधी थे। उन्होंने कहा कि जिस समय आज़ादी का आन्दोलन पूरे शबाब पर था उस समय देश में दो तरह के लोग सर उठाने लगे। एक तबका देश को आज़ाद कराने में कमर कसे था तो दूसरा कुर्सी की दौड़ में। इसी कसमकश में देश विभाजन का शिकार हो गया और पाकिस्तान वज़ूद में आया। मौलाना रहमानी ने किसी का नाम न लेते हुए कहा कि जो लोग देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार थे वे पाकिस्तान की हालत देखें।

मुम्बई हाईकोर्ट के अधिवक्ता और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनाब कुद्रतुल्लाह ने सुझाव दिया कि मौलाना आज़ाद पर हर महीने लेख द्वारा चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मौलाना आज़ाद अपनी बहुचर्चित पत्रिका अल हलाल तथा हलबलाल के द्वारा देशवासियों के दिलों में आज़ादी की आग भड़का दी, जिससे देशवासी एकत्र होकर आज़ादी के लिए कमर बस्ता हुए थे। हक़ीम अब्दुर्रउफ ने कहा कि आज़ादी से पूर्व मौलाना आज़ाद कई बार जेल गये।

संस्थाध्यक्ष मोहम्मद असलम "शॉदा बस्तवी"ने कहा कि मौलाना आज़ाद को देश का पहला केन्द्रीय शिक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए बहुत से कार्य किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्ञालय के छात्र एजाज अहमद ने तिलावत-ए-कलाम पाक से किया। जबकि 8वीं कक्षा की छात्रा कौशर जहाँ ने मौलाना आज़ाद के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालकर लोगों के दिलों को मोह लिया। विद्यालय के छात्र अब्दुल माबूद ने तराना पेश किया। उसके बाद कार्यक्रम मुशायरे में बदल गया। सबसे पहले सन्त कबीर नगर जनपद के सेमरियावाँ बाज़ार के मशहूर और उस्ताद शायर मनव्वर बस्तवी ने यह शेर पेश करके खूब वाहवाही बटोरी-

कहो उससे तमन्ना करे न फूलों की, जो फसल उगाता रहा बबूलों की।
तमाम उम्र गुजरी है बेवसूलों में,वह बात कैसे करेगा वसूलों की।।


कविराज भट्ट की बारी आयी तो उन्होंने मौलाना आज़ाद को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए कहा-

मौलाना आज़ाद तुम्हें सौ बार नमन है;जन्म दिवस पर सभी कर रहे अभिनन्दन है।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे रशीद बस्तवी का यह शेर खूब सराहा गया।

धड़कता दिल मेरे सीने में है रशीद आखिर,
जुनू में जुल्म की जन्जीर तोड़ सकता हूँ।


शाँदा बस्तवी ने श्रोताओं का ध्यान मौलाना आज़ाद की तरफ आकृष्ट कराते हुए यह शेर पेश किया।

मुल्कोमिल्लत के निगहबान थे मौलाना कलाम।
गुनचये जिस्त का उनवान थे मौलाना कलाम।।


इसके बाद डॉ॰ परशुराम वर्मा ने अपनी रचना के माध्यम से मौलाना आज़ाद के जीवन पर प्रकाश डाला। उनकी पंक्तियाँ खूब सराही गईं।

वतन के लिएलहू देकर तूने, बढ़ाया जिसकी शान-ए-आज़ाद।
तेरे अहसानों को नहीं भूल सकता, ये अपना हुन्दुस्तान-ए-आज़ाद।।


ख्याति प्राप्त शायर दीदार बस्तवी ने मुशायरे को बुलन्दी पर पहुँचा दिया, उनका शेर-

दिलोजिगर में जरा हौसला तो पैदा कर, मिलेगी मंजिल तू रास्ता तो पैदा कर।
हर एक जुल्म की जन्जीर टूट जायेगी, तू अपने वीन कोई रहनुमा तो पैदा कर।






प्रेषक-
मोहम्मद असलम 'शाँदा बस्तवी'
रुधौली (बस्ती)

Thursday, November 12, 2009

युवा कवियों के तीसरे कवि सम्मेलन का निमंत्रण

राष्ट्रीय कवि संगम का आमंत्रण

दस्तक नई पीढ़ी की
(युवा कवियों का कवि सम्मेलन)


तृतीय काव्योत्सव

दिनांक- 15 नवम्बर 2009 रविवार
समय प्रातः10:00 बजे
टेक्निया सभागार, नजदीक मधुबन चौक, रोहिणी, मेट्रो पीलर नं॰ - 378 के सामने


(निमंत्रण-पत्र को बड़ा करके देखने और पूरा विवरण पढ़ने के लिए निम्नलिखित चित्रों पर क्लिक करें)

Tuesday, November 10, 2009

सर्वधर्म समभाव का संगीतमय कार्यक्रम

पिछले सप्ताह सिन्धी समुदाय ने एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए साईं झूलेलाल मन्दिर, पश्चिम विहार में सर्वधर्म सम् भाव के रूप में प्रेम और भक्ति से ओत प्रोत एक सांसकृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम सुबह 10.00 वजे से आरंभ हो कर दोपहर 2.30 तक चला। विधायक श्री माला राम गंगवाल एवं पार्षद श्रीमती सविता गुप्ता ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम को शोभायमान किया। उन्होंने अपने संबोधन में इस बात की प्रशंसा की कि प्रेम और सद्भावना का प्रसार करने में सिन्धी समुदाय सदैव आगे रहता है।

कार्यक्रम का आरम्भ गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष ग्रंथियों द्वारा प्रस्तुत शबद कीर्तन से हुआ। सभी मौजूद श्रद्धालुओं ने बड़े ही प्रेम और श्रद्धा के साथ इसका आनन्द उठाया, जिसमें न केवल सिन्धी अपितु सभी समुदायों और भाषाओं के लोग शामिल थे। इसके उपरान्त सिन्धी अकादमी के प्रतिनिधि के रूप में आनंदम् के संस्थापक श्री जगदीश रावतानी ने अपने साजिन्दों के साथ वातावरण को संगीतमय़ बना दिया । जगदीश जी ने जहाँ अपनी सुरीली और जानदार आवाज़ से हिन्दी में भजन गाए वहीं पंजाबी में शबद और सिन्धी में कलाम गा कर सभी उपस्थित श्रोताओं में प्रेम और उत्साह का संचार किया। गायन में उनका साथ दिया श्रीमती लीलू झांगियाणी, श्रीमती लीला टेवाणी और श्री तरुण रावतानी ने। वाद्य यंत्रों पर थे, सर्वश्री अशोक बन्धु, पुनीत भाटिया, ईश्वर, तरुण रावतानी और चन्द्रू झांगियाणी। श्रोताओं ने उनके गायन और संगीत की ताल पर थिरकते हुए माहौल को मद मस्त कर दिया।

आनंदम् के ही गगन एवं अन्य साथी कलाकारों ने कृष्ण सुदामा, राम हनुमान और शिव पार्वती इत्यादि विषयों पर आकर्षक नृत्य नाटिकाएँ प्रसतुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम को उत्कर्ष पर पहुँचाते हुए जगदीश जी ने साईं झूलेलाल की अभ्यर्थना में प्रसिद्ध गीत दमा दम मस्त कलंदर गा कर सभी को मस्त कर दिया। मुख्यतः सिंधी का कार्यक्रम होते हुए भी हर भाषाभाषी ने इसका खूब आनंद लिया।

कार्यक्रम के अन्त में श्री जगदीश रावतानी ने सिन्धी अकादमी का विशेष तौर पर आभार प्रकट करते हुए कहा कि अकादमी के सहयोग से इसी तरह के सफल कार्यक्रम हम भविष्य में भी करते रहेंगे। सिंधी पंचायत ने भोजन का प्रबंध उत्तम कोटि का कर रखा था।


अन्य कलाकारों के साथ जगदीश रावतानी


उपस्थित दर्शकगण

Sunday, November 8, 2009

अंतरराष्ट्रीय महिला नाट्य लेखक (WPI- Women Playwright International) कॉंफ्रेंस में विभा रानी का नाट्य पाठ

विभा रानी के बेहद चर्चित नाटक "दूसरा आदमी दूसरी औरत" का नाट्य पाठ 6 नवम्बर, 2009 को दोपहर 12 बजे मुंबई में स्त्री मुक्ति संघटना एवं एकेडेमी ऑफ थिएटर आर्ट, मुंबई विश्वविद्यालय के सौजन्य से 1-7 नवम्बर, 2009 तक आयोजित WPI (WOmen Playwright International) यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला नाट्य लेखक कॉंफ्रेंस में हुआ. प्रेम और सम्बन्ध के एक नए रूप पर आधारित इस नाटक का पाठ विभा रानी एवं अजय रोहिल्ला ने किया. विवाहेतर सम्बन्ध न तो आज के समय की देन है, न शरीर की ज़रूरत और मन की फिसलन का परिणाम. यह मन की अतृप्ति की एक अभिव्यक्ति है. प्रश्न यह नहीं है कि यह सम्बन्ध हुआ कैसे और क्यों हुआ? सवाल यह है कि इस सम्बन्ध का परिणाम क्या हो जो घर, परिवार को भी बनाए रखे और सम्बन्ध को भी. इसी की पडताल और विवेचना करता है यह नाटक.

विभा रानी हिन्दी और मैथिली की लेखक, नाट्य लेखक, नाट्य समीक्षक, रंगमंच अभिनेत्री व सामाजिक कर्मी हैं. अबतक उन्होंने 10 से अधिक नाटक लिखे हैं, जिनमें से दो नाटको "आओ तनिक प्रेम करें" तथा "अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो" को "मोहन राकेश सम्मान" से सम्मानित किया जा चुका है. विभा रानी लिखित व अभिनीत दो एक पात्रीय नाटक "लाइफ इज नॉट ए ड्रीम" का मंचन फिनलैंड, मुबई तथा राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव, रायपुर में तथा "बालचन्दा" का मंचन काला घोडा फेस्टिवल, मुंबई में किया जा चुका है. उनके अन्य एक पात्रीय नाटक "ऐ प्रिये, तेरे लिए" का मंचन मुंबई में हो चुका है. विभा रानी अभिनीत ताज़ातरीन नाटकों में से है डॉ. नरेन्द्र मोहन लिखित नाटक "मि. जिन्ना", जिसमें वे जिन्ना की बहन फातिमा की भूमिका में हैं. "दूसरा आदमी दूसरी औरत" का मंचन 2002 में भारतीय रंग महोत्सव, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में राजेन्द्र गुप्ता व सीमा बिश्वास द्वारा तथा मुंबई में इसका रंगपाठ राजेन्द्र गुप्ता व नीना गुप्ता द्वारा किया जा चुका है. विभा रानी ने अबतक 12 से अधिक किताबें लिखी हैं तथा "कथा" अवार्ड सहित कई पुरस्कार पा चुकी हैं.

अजय रोहिल्ला थिएटर के एक जाने माने अभिनेता, निर्देशक हैं. "दुलारीबाई", "सावधान पुरुरवा", "विदूषक", "चिट्ठी", खालिद की खाला", "मौली" जैसे नाटकों में अभिनय किया है. सभी प्रमुख संस्थानों, जैसे साहित्य कला परिषद, उर्दू अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, शाकुंतलम थिएटर आदि द्वारा आयोजित थिएटर फेस्टिवलों में एक निर्देशक के रूप में भाग ले चुके हैं. वे दिल्ली विश्वविद्यालय, गोवा कला अकादमी के विजिटिंग फैकल्टी रह चुके हैं. देश भर में ये थिएटर वर्कशॉप लेते हैं. अजय द्वारा अभिनीत कुछ महत्वपूर्ण फिल्में हैं- "बैंडिट क्वीन", "डॉ. अम्बेदकर", "गंगाजल", "मंगल पाडेय", "वारियर" आदि. अबतक 11 लघु फिल्में बन चुके अजय की एक फिल्म पिछले साल 2008 के सिंगापुर फिल्म फेस्टिवल में नामित हुई थी.

इस नाट्य पाठ में बडी संख्या में लोगों ने भाग लिया. आज के जीवन के एक बेहद निजी यथार्थ की बेहद प्रवाहमई और काव्यमई भाषा में प्रस्तुति को श्रोताओं ने बहुत सराहा.