Thursday, September 30, 2010

फिल्‍म उद्योग में हिंदू-मुस्लिमों के बीच भाईचारा कायम है : अडूर गोपालकृष्‍णन



३० सितंबर, यमुनानगर। दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित विश्‍व-प्रख्‍यात फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन ने कहा कि उनके द्वारा निर्देशित फिल्म शैडो किल सत्य घटना पर आधारित है। इस फिल्म में एक जल्लाद की मन:स्थिति को दर्शाया गया है। जिसमें उन्‍होंने एक जल्लाद के इंटरव्यू से प्रेरित होकर फिल्‍म का निर्माण किया। 30 सितम्‍बर की सांय वे डीएवी गर्ल्‍स कालेज, यमुनानगर में आयोजित तीसरे हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍म समारोह की पूर्व संध्या पर विशेष प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

अपनी फिल्मों के लिए आठ बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजे गए फिल्‍मकार अडूर का मानना है कि हिंदू मुसलमानों के बीच जितना सौहार्द फिल्म इंडस्ट्री के अंदर है, इतना कहीं पर भी नहीं है। सुप्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार ने मुसलमान होने के बावजूद भी अपना हिंदू नाम रखा , जिससे उन्हें खूब ख्याति मिली। एक प्रश्न के जवाब में अडूर ने कहा कि वे केरल की जिंदगी को मुंबई की भाषा की बनिस्‍वत बेहतर तरीके से जानते हैं। मुंबईया फिल्में भारत की जिंदगी की असलियत नहीं दिखलातीं। फिल्मों में सिर्फ भाषा ही नहीं, अपितु ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं, जिन्हें समझने की जरुरत है। उन्होंने बतलाया कि कोई निर्माता स्थानीय होने के बाद ही यूनिवर्सल बनने की ओर कदम बढ़ाता है, जिसके जीवंत उदाहरण सत्यजीत राय व श्याम बेनेगल हैं।

ऑस्कर अवार्ड से कान, वेनिस व बर्लिन फिल्म समारोह में मिलने पुरस्कारों को बड़ा बतलाते हुए उन्‍होंने कहा कि ऑस्‍कर सिर्फ अमेरिकन फिल्म इंडस्ट्री की देन है। अडूर ने छोटे फिल्‍म समारोहों की उपयोगिता को सार्थक बतलाते हुए जोड़ा कि बड़े व छोटे फिल्मोत्सव दोनों ही समान रुप से महत्वपूर्ण होते हैं। छोटे फिल्मोत्सव में फिल्मों के शिल्प व शैली की ओर सदैव अधिक ध्यान दिया जाता है और बड़े उत्सवों में ग्लैमर और चकाचौंध पर फोकस किया जाता है। फिल्मकार को हमेशा असलियत ही दिखानी चाहिए और किसी को भी इसमें शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। यह लोगों की गलत धारणा है कि कला फिल्में पैसा नहीं कमातीं। इसकी मिसाल उन्होंने सत्यजीत राय की उन फिल्मों से दी, जिन्होंने लागत से अधिक पैसा कमाने का रिकार्ड कायम किया है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान फिल्मकार के. बिक्रम सिंह ने कहा कि आजादी के 60 साल बीत जाने के बाद भी देश में ४० प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नहीं मिलती। जबकि हम कॉमनवेल्थ गेम्स पर ७० हजार करोड़ रुपए खर्च करने के लिए तैयार हैं।

अडूर की फीचर फिल्मों की स्क्रिप्ट पुस्‍तक रूप में प्रकाशित हो रही हैं

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अडूर गोपालकृष्णन ने बताया कि उन्होंने जितनी भी फीचर फिल्में बनाई हैं, उनकी फिल्म ट्रांसक्राइब करके स्क्रिप्ट तैयार की जा रही है। यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की जा रही है।

काठमांडू में त्रिदिवसीय हिंदी संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन की धूम



दिनांक 7,8 व 9 सितंबर 2010 को काठमांडू में त्रिदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन नेपाल, काठमांडू स्थित भारतीय राजदूतावास एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया.हालांकि इस संगोष्ठी की संकल्पना उ.प्र.हि.सं. लखनऊ द्वारा की गई थी किंतु अपरिहार्य कारणों से इस संस्थान का कोई प्रतिनिधि सम्मलित न हो सका.
इस संगोष्ठी का शुभारंभ हास्य कवि सम्मेलन से होना था.इस हास्य कवि सम्मेलन में सम्मलित होने वाले कवियों में हास्य कवि सम्राट सर्वश्री सुरेंद्र शर्मा, महेंद्र शर्मा, अरुण जैमिनी, दीपक गुप्ता,कविता किरण,विवेक गौतम और नेपाली कवि सर्वश्री लक्ष्मण गाम्नागे और शैलेंद्र सिंखडा थे.इस हास्य कवि सत्र का उद्घाटन नेपाली राष्ट्रपति महामहिम डॉ. श्री रामवरण यादव द्वारा दीप प्रज्ज्व्लित करके किया गया. इस उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रग्या प्रतिष्ठान के श्री बैरागी काइंला द्वारा की गई.स्वागत उपकुलपति श्री गंगा प्रसाद उप्रेती द्वारा किया गया. इस अवसर पर आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों में नेपाली शिक्षा मंत्री, संस्कृति मंत्री और भारतीय राजदूत श्री राकेश सूद थे जिन्होंने आशीर्वचन और अपने-अपने उद्बोधन भाषण दिए.

नेपाली राष्ट्रपति ने न केवल इस मैत्रीपूर्ण हास्य कवि सम्मेलन के लिए भारतीय राजदूतावास काठमांडू और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली को बधाई दी बल्कि उन्होंने अपने मंत्रियों के साथ हास्य का लुत्फ भी लिया. महामहिम राष्ट्रपति जी ने इस अवसर पर नेपाली कवियित्री के कविता संग्रह का लोकार्पण भी किया.

यह कवि सम्मेलन कई घंटों तक चला और श्रोताओं से भरा हुआ हाल ठहाकों और तालिओं से गूंजता रहा.काठमांडू की फिजा में हास्य की गूंज इस प्रकार तारी रही कि समय भी ठहर कर इसमें खो सा गया.यह हास्य कवि सम्मेलन दो देशों का आत्मिक मिलन था जिसकी अध्यक्षता हास्य कवि सम्राट सुरेंद्र शर्मा ने की.



संगोष्ठी का प्रथम सत्र हिंदी का वैश्विक परिवेश से शुभारंभ हुआ जिसकी अध्यक्षता वरिष्ट साहित्यकार एवं भाषाविद शमशेर अहमद खान ने की.इस सत्र में डॉ. भवानी सिंह और डॉ. सूर्यनाथ गोप ने अपने-अपने शोधपत्र पढ़े और विश्व में हिंदी की स्थिति का जायजा लिया. विश्व में हिंदी की वर्तमान स्थिति और उसकी समस्याओं पर भारतीय और नेपाली विद्वान श्रोताओं द्वारा उठाए गए सवालों का तार्किक और संतुलित उत्तर सत्र के अध्यक्ष द्वारा दिया गया.

द्वितीय सत्र का विषय था नेपाली र हिंदी साहित्य में सामाजिक चेतना का तुल्नात्मक विवेचन. इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. विनोद कालरा ने की.इस सत्र में डॉ. महादेव अवस्थी,श्री गोपाल अश्क ने शोधपत्र पढ़े और विद्वान प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब सत्र की अध्यक्ष डॉ. कालरा द्वारा दिए गए.



संगोष्ठी का तीसरा सत्र हिंदी र नेपाली भाषा, साहित्य तथा लिपि की समानता. इस सत्र की अध्यक्षता दॉ. डी.पी.भंडारी ने की तथा डॉ. विनोद गौतम, डॉ. योगेंद्र यादव व डॉ. चूणामड़ि बंधु ने अपने- अपने आलेख प्रस्तुत किए.भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के निदेशक श्री अजय गुप्ता ने अपने उद्बोधन भाषण में कार्यक्रम की सफलता पर नेपाल के इस प्रतिष्ठान के कुलपति, सभी पदाधिकारियों, काठमांडु स्थित भारतीय राजदूतावास के महामहिम राजदूत,प्रथम सचिव सुश्री अपूर्वा श्रीवास्तव और सभी कर्मियों तथा बी.पी. कोईराला इंडिया-नेपाल फाउंडेशन को हार्दिक धन्यवाद अर्पित किया.

डॉ. शंकर कुमार

पाखी का वार्षिक महोत्‍सव 18 सितंबर को संपंन



वाराणसीः काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के कला संकाय के प्रेक्षागृह में 18 सितंबर को साहित्‍यिक मासिक पत्रिका ‘पाखी' का वार्षिक महोत्‍सव मनाया गया। इस अवसर पर जे.सी. जोशी स्‍मृति साहित्‍य सम्‍मान समारोह के साथ-साथ परंपरा और सृजनात्‍मकता विषय पर एक संगोष्‍ठी आयोजित की गयी। संगोष्‍ठी के मुख्‍य वक्‍ता श्री काशीनाथ सिंह, श्री रेवा प्रसाद द्विवेदी, श्री बलराज पाण्‍डे, श्री कमलेशदत्त त्रिपाठी, श्री श्रद्धानंद तथा श्री गोपेश्‍वर सिंह है। जे.सी. जोशी स्‍मृति साहित्‍य सम्‍मान के तहत दिया जाने वाला शब्‍द-साधक शिखर सम्‍मान हिन्‍दी साहित्‍य के शीर्ष आलोचक श्री नामवर सिंह को दिया गया। इसके अतिरिक्‍त तीन अन्‍य सम्‍मान भी दिये गये। जिसमें शब्‍द-साधना जनप्रिय सम्‍मान कथाकार रणेन्‍द्र को पिछले वर्ष प्रकाशित उनके उपन्‍यास ‘ग्‍लोबल गाँव के देवता' के लिए दिया गया। युवा रचनाकार सम्‍मान के अंतगर्त शब्‍द-साधना युवा सम्‍मान कविता के लिए निशांत को उनकी कविता ‘मैं में हम-हम में मैं' के लिए तथा शब्‍द-साधना युवा सम्‍मान कहानी के लिए दिलीप कुमार को उनकी कहानी ‘सड़क जाम' के लिए दिया गया। शब्‍द-साधना युवा सम्‍मान ‘कविता' की जूरी में श्री भागवत रावत, श्री ज्ञानेन्‍द्रपति और श्री विश्‍वनाथ प्रसाद तिवारी थे। शब्‍द-साधना युवा सम्‍मान ‘कहानी' की जूरी में श्री संजीव, श्री शिवमूर्ति और श्री हिमांशु जोशी थे। जूरी द्वारा चयनित प्रथम तीन कविताएँ और कहानियाँ ‘पाखी' के सितंबर अंक में प्रकाशित की गई थी।



शब्‍द-साधक शिखर सम्‍मान की सम्‍मान राशि 51 हजार, शब्‍द-साधना जनप्रिय सम्‍मान की राशि 21 हजार तथा शब्‍द-साधना युवा सम्‍मान की राशि ग्‍यारह हजार रुपये हैं। इस मौके पर ‘पाखी' के श्री नामवर सिंह पर केंद्रित अंक का लोकार्पण भी किया गया। इस कार्यक्रम की अध्‍यक्षता काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी पी सिंह ने की। कार्यक्रम के स्‍वागताध्‍यक्ष हिन्‍दी विभाग के विभागाध्‍यक्ष राधेश्‍याम दुबे जी थे। धन्यवाद ज्ञापन पाखी संपादक प्रेम भारद्वाज जी ने किया।

संपादक
प्रेम भारद्वाज

हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2010 का शुभांरम्भ 1 अक्टूबर को



डीएवी गर्ल्‍स कॉलेज, यमुनानगर में 1 अक्‍टूबर से आयोजित तीसरे हरियाणा अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह में भारतीय फिल्‍म जगत की कई बड़ी हस्तियाँ शिरकत करेंगी। समारोह के निदेशक अजित राय ने आज यहाँ एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि इसमें भारत और विदेशों की लगभग 50 फिल्‍में दिखाई जायेंगी। उन्‍होंने कहा कि इस फेस्टिवल का उद्घाटन दादा साहेब फाल्‍के अवार्ड से सम्‍मानित सुप्रसिद्ध फिल्‍मकार अडूर गोपालकृष्‍णन करेंगे। अडूर की मलयालम फिल्‍म शेडो किल के प्रदर्शन से फेस्टिवल की शुरूआत होगी।

यह समारोह 7 अक्‍टूबर तक चलेगा जिसमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, अमरीका, पोलैंड, रूस, जापान, चीन, ईरान, स्‍वीडन,‍ फिलीपिन्‍स, हांगकांग, डेनमार्क, हंगरी, नार्वे, अर्जेंटीना, ब्राजील आदि देशों की फिल्‍मों का प्रदर्शन होगा। उन्‍होंने बताया कि इस समारोह में ईरानी सिनेमा का विशेष खंड प्रदर्शित किया जाएगा। इस खंड का शुभारंभ भारत के ईरानी दूतावास में ईरान कल्‍चरल हाऊस के निदेशक अली देहघई करेंगे। 3 अक्‍टूबर को साहित्‍य और सिनेमा खंड का शुभारंभ हंस के संपादक राजेन्‍द्र यादव करेंगे। इस अवसर पर उनके उपन्‍यास सारा आकाश पर इसी नाम से बासु चटर्जी की बनाई फिल्‍म का विशेष प्रदर्शन होगा।

फेस्टिवल की आयोजक डीएवी गर्ल्‍स कॉलेज की प्रिंसीपल सुषमा आर्य ने बताया कि यह खुशी की बात है कि हरियाणा के मुख्‍यमंत्री भूपिन्‍दर सिंह हुड्डा और गवर्नर जगन्‍नाथ पहाड़िया ने समारोह में आने की स्‍वीकृति दी है। इस फेस्टिवल में हरियाणा में सिनेमा के विकास पर एक राष्‍ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया जा रहा है जिसकी अध्‍यक्षता हरियाणा स्‍टेट चाइल्‍ड वेल्‍फेयर सोसायटी की उपाध्‍यक्ष आशा हुड्डा करेंगी। उन्‍होंने बताया कि हरियाणा के गवर्नर जगन्‍नाथ पहाडिया 6 अक्‍टूबर की शाम 4 बजे सीमा कपूर की राजस्‍थानी फिल्‍म हाट द वीकली बाजार के हरियाणा प्रीमियर पर मुख्‍य अतिथि होंगे।

अजित राय ने बताया कि दादा साहेब फाल्‍के अवार्ड से सम्‍मानित भारत के विश्‍व प्रसिद्ध फिल्‍मकार श्‍याम बेनेगल से दर्शकों की बातचीत का विशेष आयोजन 5 अक्‍टूबर को 2.30 बजे से 5 बजे तक किया जा रहा है। फेस्टिवल में श्‍याम बेनेगल की 2 फिल्‍में समर और सूरज का सातवां घोड़ा दिखाई जा रही हैं। चर्चित युवा फिल्‍मकार अनवर जमाल दर्शकों के सामने श्‍याम बेनेगल से विशेष बातचीत करेंगे। इसी दिन पंजाब में किसानों की आत्‍महत्‍याओं पर अनवर जमाल की फिल्‍म हार्वेस्‍ट ऑफ ग्रीफ का प्रीमियर होगा। उन्‍होंने बताया कि 6 और 7 अक्‍टूबर को भारत के अंतर्राष्‍ट्रीय अभिनेता ओमपुरी फेस्टिवल में मौजूद रहेंगे। फेस्टिवल का अंतिम दिन 7 अक्‍टूबर ओमपुरी की फिल्‍मों को समर्पित किया गया है। ओमपुरी समापन समारोह के मुख्‍य अतिथि भी होंगे। उस दिन उनकी 3 अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍में – ईस्‍ट इज ईस्‍ट, सिटी ऑफ जॉय और माइ सन इज फाइनेटिक दिखाई जायेंगी।

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री भूपिन्‍दर सिंह हुड्डा 4 अक्‍टूबर को दिन में 3 बजे ओमपुरी और यशपाल शर्मा की मुख्‍य भूमिकाओं वाली अश्विनी चौधरी की फिल्‍म धूप का विशेष प्रदर्शन देखेंगे। यह फिल्‍म कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों का सघर्ष बयान करती है। इसी दिन अश्विनी चौधरी की राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित हरियाणवी फिल्‍म लाडो भी दिखाई जायेगी। हरियाणा मूल के चर्चित फिल्‍म अभिनेता यशपाल शर्मा की 4 फिल्‍में समारोह के दौरान दिखाई जाएंगी

अजित राय और सुषमा आर्य ने बताया कि फेस्टिवल के दौरान छात्र-छात्राओं के लिए एक फिल्‍म एप्रीसिएशन कोर्स भी चलेगा। इसके संयोजक सुप्रिसिद्ध फिल्‍मकार के. बिक्रम सिंह होंगे। इसमें छात्रों का विश्‍व की महान फिल्‍मों से परिचय कराया जायेगा और फिल्‍म निर्माण से जुड़ी महत्‍वपूर्ण जानकारियों पर चर्चा होगी। इसका उद्घाटन 2 अक्‍टूबर की सुबह राष्‍ट्रीय फिल्‍म अभिलेखागार, पुणे के निदेशक विजय जाधव करेंगे। भारतीय फिल्‍म एवं टेलीविजन संस्‍थान, पुणे के पूर्व निदेशक त्रिपुरारी शरण मुख्‍य अतिथि होंगे। इसी दिन चिल्‍ड्रन फिल्‍म सोसायटी, इं‍डिया के सहयोग से बच्‍चों की फिल्‍मों का उत्‍सव शुरू होगा। इस दौरान द ब्‍लू अम्‍ब्रेला फिल्‍म की बाल कलाकार श्रेया शर्मा दो अक्‍टूबर को कालेज में उपस्थित रहेंगी। नाना पाटेकर अभिनीत फिल्‍म अभय का प्रदर्शन भी समारोह में होगा।

तीसरें हरियाणा अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह के दौरान कम से कम 9 फिल्‍मों का भव्‍य हरियाणा प्रीमियर आयोजित किया जा रहा है। ये वे फिल्‍में हैं जो अभी व्‍यवसायिक रूप से रिलीज नहीं हुई हैं। ये फिल्‍में हैं कालबेला, (गौतम घोष), हाट द वीकली बाजार (सीमा कपूर), जब दिन चले न रात चले (त्रिपुरारी शरण) स्ट्रिंग – बाउंड विद फेथ (संजय झा), टुन्‍नू की टीना (परेश कामदार), सबको इंतजार है (रंजीत बहादुर), हनन (मकरंद देशपांडे), बियोंड बॉर्डर (शर्मिला मैती) और हार्वेस्‍ट आफॅ ग्रीफ (अनवर जमाल)।


--अविनाश वाचस्‍पति Avinash Vachaspati

Wednesday, September 29, 2010

कन्हैयालाल नंदन को श्रद्धाँजलि– परिचय साहित्य परिषद की शोक सभा

दिनांक 25 सितम्बर 2010 को प्रसिद्ध साहित्यकार पत्रकार कन्हैयालाल नंदन के निधन के बाद देश में कई जगह उन्हें श्रद्धांजलियाँ अर्पित की गई व शोक सभाओं के आयोजन हुए। ‘परिचय साहित्य परिषद’ ने भी 27 सितम्बर 2010 को ने दिल्ली के फीरोज़शाह रोड स्थित ‘रशियन कल्चरल सेण्टर’ में एक शोक सभा आयोजित की। इस शोकसभा में पूर्व सांसद व विख्यात साहित्यकार उदय प्रताप सिंह, प्रसिद्ध कविगण डॉ. शेरजंग गर्ग, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी व परिचय साहित्य परिषद अध्यक्ष उर्मिल सत्यभूषण मंच पर थे। लेखक प्रेमचंद सहजवाला ने कन्हैयालाल नंदन के साथ अपने संक्षिप्त संस्मरण बतौर श्रद्धांजलि प्रस्तुत किये। कवयित्री अर्चना त्रिपाठी ने कन्हैयालाल नंदन की एक कविता प्रस्तुत की। श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने कहा कि कन्हैयालाल नंदन ने असंख्य लेखकों कवियों को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने नंदन जी द्वारा सन 2007 में न्यूयार्क में हुए ‘विश्व हिंदी सम्मलेन’ में प्रस्तुत एक गज़ल के कुछ शेर कहे:

नदी की कहानी कभी फिर सुनाना
मैं प्यासा हूँ दो घूँट पानी पिलाना
मुझे वो मिलेगा ये मुझ को यकीं है
बहुत जानलेवा है ये दरम्याना
मुहब्बत का अंजाम हरदम यही था
भंवर देखना कूदना डूब जाना

डॉ. शेरजंग गर्ग ने कहा कि नंदन जी पिछले लगभग आठ वर्ष से मौत से जूझ रहे थे पर फिर भी उन्होंने अपनी कर्मठता व जीवंतता बरकरार रखी। उर्मिल सत्यभूषण को इस बात का अतीव दुःख था कि उन्होंने आज 27 सितम्बर को ही नंदन जी को ‘परिचय साहित्य परिषद’ के ‘सत्यसृजन शिखर सम्मान’ से सम्मानित करने का कार्यक्रम निश्चित किया था और इस सिलसिले में उन्होंने 23 सितम्बर को ही नंदन जी से फोन पर बात भी की थी। पर नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि नंदन जी बहुमुखी प्रतिभा थे। वे साहित्यकार, पत्रकार तो थे ही, उन्हें संगीत का भी बहुत ज्ञान था व बहुत अच्छी चित्रकारी भी करते थे। सभा में उपस्थित अन्य लेखकगण ने भी अपनी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की व दो मिनट का मौन रख कर ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की।

रिपोर्ट – ‘परिचय’ रिपोर्ट अनुभाग

नवोदित रचनाकारों और ब्लॉगरों के लिए कार्यशाला हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित

सृजनात्मक लेखन कार्यशाला हेतु ब्लॉगरों से प्रविष्टि आमंत्रित

रायपुर। रचनाकारों की संस्था, प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा देश के उभरते हुए कवियों/लेखकों/निबंधकारों/कथाकारों/लघुकथाकारों/ब्लॉगरों को देश के विशिष्ट और वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा साहित्य के मूलभूत सिद्धातों, विधागत विशेषताओं, परंपरा, विकास और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित कराने, उनमें संवेदना और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने, प्रजातांत्रिक और शाश्वत जीवन मूल्यों के प्रति उन्मुखीकरण तथा स्थापित लेखक तथा उनके रचनाधर्मिता से तादात्मय स्थापित कराने के लिए अ.भा.त्रिदिवसीय (13, 14, 15 नवंबर, 2010) सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन बिलासपुर में किया जा रहा है । इस अखिल भारतीय स्तर के कार्यशाला में देश के 75 नवोदित/युवा रचनाकारों को सम्मिलित किया जायेगा।

संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है-

प्रतिभागियों को 20 अक्टूबर, 2010 तक अनिवार्यतः निःशुल्क पंजीयन कराना होगा। पंजीयन फ़ार्म संलग्न है।
प्रतिभागियों का अंतिम चयन पंजीकरण में प्राप्त आवेदन पत्र के क्रम से होगा।
पंजीकृत एवं कार्यशाला में सम्मिलित किये जाने वाले रचनाकारों का नाम ई-मेल से सूचित किया जायेगा।
प्रतिभागियों की आयु 18 वर्ष से कम एवं 40 वर्ष से अधिक ना हो।
प्रतिभागियों में 5 स्थान हिन्दी के स्तरीय ब्लॉगर के लिए सुरक्षित रखा गया है।
प्रतिभागियों को संस्थान/कार्यशाला में एक स्वयंसेवी रचनाकार की भाँति, समय-सारिणी के अनुसार अनुशासनबद्ध होकर कार्यशाला में भाग लेना अनिवार्य होगा।
प्रतिभागी रचनाकारों को प्रतिदिन दिये गये विषय पर लेखन-अभ्यास करना होगा जिसमें वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा मार्गदर्शन दिया जायेगा।
कार्यशाला के सभी निर्धारित नियमों का आवश्यक रूप से पालन करना होगा।
प्रतिभागियों को सैद्धांतिक विषयों के प्रत्येक सत्र में भाग लेना अनिवार्य होगा। अपनी वांछित विधा विशेष के सत्र में वे अपनी इच्छानुसार भाग ले सकते हैं।
प्रतिभागियों के आवास, भोजन, स्वल्पाहार, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह की व्यवस्था संस्थान द्वारा किया जायेगा।
प्रतिभागियों को कार्यशाला में संदर्भ सामग्री दी जायेगी।
प्रतिभागियों को अपना यात्रा-व्यय स्वयं वहन करना होगा।
प्रतिभागियों को 12 नवंबर, 2010 शाम 5 बजे के पूर्व कार्यशाला स्थल - बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में अनिवार्यतः उपस्थित होना होगा। पंजीकृत/चयनित प्रतिभागी लेखकों को कार्यशाला स्थल (होटल) की जानकारी, संपर्क सूत्र आदि की सम्यक जानकारी पंजीयन पश्चात दी जायेगी।

प्रस्तावित/संभावित विषय एवं विशेषज्ञ लेखक

दिनाँक 13 नवंबर, 2010
रचना की दुनिया – दुनिया की रचना – श्री चंद्रकांत देवताले – विश्वनाथ प्रसाद तिवारी – प्रभाकर श्रोत्रिय
रचना में यथार्थ और कल्पना – श्री राजेन्द्र यादव – नीलाभ – केदारनाथ सिंह
रचना और प्रजातंत्र – श्री अखिलेश – रघुवंशमणि – परमानंद श्रीवास्तव
रचना और भारतीयता – श्री नंदकिशोर आचार्य – श्री अरविंद त्रिपाठी – विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
रचना : महिला, दलित और आदिवासी –– सुश्री अनामिका - कात्यायनी - मोहनदास नैमिशारण्य
रचना और मनुष्यता के नये संकट - श्री विनोद शाही- श्रीप्रकाश मिश्र – सीताकांत महापात्र

दिनाँक 14 नवंबर, 2010
रचना और संप्रेषण – श्री कृष्ण मोहन – ज्योतिष जोशी – मधुरेश
शब्द, समय और संवेदना – श्री नंद भारद्वाज - श्रीभगवान सिंह – ए.अरविंदाक्षन
कविता की अद्यतन यात्रा – श्री वीरेन्द्र डंगवाल – ओम भारती - अशोक बाजपेयी
कविता - छंद और लय – श्री दिनेश शुक्ल – राजेन्द्र गौतम – डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र
कैसा गीत कैसे पाठक ? - श्री राजगोपाल सिंह – यश मालवीय – माहेश्वर तिवारी
कहानी-विषयवस्तु, भाषा, शिल्प – श्री शशांक – डॉ. परदेशीराम वर्मा – गोविन्द मिश्र

दिनाँक 15 नवंबर, 2010
कहानी की पहचान – सुश्री उर्मिला शिरीष - सूरज प्रकाश – सतीश जायसवाल
लघुकथा क्या ? लघुकथा क्या नहीं ? – श्री अशोक भाटिया – फ़ज़ल इमाम मल्लिक - बलराम
आलोचना क्यों, आलोचना कैसी? श्री शंभुनाथ – डॉ. रोहिताश्व - विजय बहादुर सिंह
ललित निबंध : कितना ललित-कितना निबंध – श्री नर्मदा प्रसाद उपा.-अष्टभुजा शुक्ल – डॉ.श्रीराम परिहार

(अंतिम नाम निर्धारण स्वीकृति/अस्वीकृति उपरांत)

संपर्क सूत्र

जयप्रकाश मानस

कार्यकारी निदेशक
प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, छत्तीसगढ़
एफ-3, छगमाशिम, आवासीय परिसर, पेंशनवाड़ा, रायपुर, छत्तीसगढ – 492001
ई-मेल-pandulipipatrika@gmail.com
मो.-94241-82664
बिलासपुर
श्री सुरेन्द्र वर्मा, मो.-94255-70751
श्री राजेश सोंथलिया, 9893048220

पंजीयन हेतु आवेदन पत्र फार्म नमूना

01. नाम -
02. जन्म तिथि व स्थान (हायर सेंकेंडरी सर्टिफिकेट के अनुसार) -
03. शैक्षणिक योग्यता –
04. वर्तमान व्यवसाय -
05. प्रकाशन (पत्र-पत्रिकाओं के नाम) –
06. प्रकाशित कृति का नाम –
07. ब्लॉग्स का यूआरएल – (यदि हो तो)
08. अन्य विवरण ( संक्षिप्त में लिखें)
09. पत्र-व्यवहार का संपूर्ण पता (ई-मेल सहित) –
हस्ताक्षर

Tuesday, September 28, 2010

निमंत्रणः एक शाम एक कथाकारः अब्दुल बिस्मिल्लाह का कहानीपाठः 29 सितम्बर 2010, शाम 5‍ः30 बजे, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली



पीपुल्स विजन, दिल्ली और Hindyugm.com 29 सितम्बर 2010 की शाम 5‍ः30 बजे से गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में वरिष्ठ कहानीकार 'अब्दुल बिस्मिल्लाह' का कथापाठ आयोजित कर रहे हैं। गौरतलब है कि ये दोनों संस्थाएँ पिछले माह से गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के सहयोग से 'एक शाम एक कथाकार' नाम से किसी एक कहानीकार को समर्पित कार्यक्रमों की शृंखला आयोजित कर रही हैं, जिसमें कोई एक कहानीकार खुद ही अपनी कहानियों का पाठ करता है और उपस्थित श्रोता और विशेषज्ञ उसपर अपने विचार देते हैं।

इस कार्यक्रम की दूसरी कड़ी का संपूर्ण विवरण निम्नवत है-


पीपुल्स विजन, दिल्ली, हिन्द-युग्म, दिल्ली
और
गांधी शांति प्रतिष्ठान

द्वारा आयोजित

'एक शाम एक कथाकार' कार्यक्रम में

अब्दुल बिस्मिल्लाह के कहानी-पाठ

एवं परिचर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।

कार्यक्रम विवरण

कहानी पाठ- अब्दुल बिस्मिल्लाह

परिचर्चा- जयप्रकाश कर्दम, नीलाभ


स्थान- गांधी शांति प्रतिष्ठान

दीनदयाल उपाध्याय मार्ग

नई दिल्ली- 110001

समय- शाम 5:30 बजे

दिनांक- बुधवार, 29 सितम्बर 2010

आपकी उपस्थिति हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है।

संयोजक-

सुरेन्द्र कुमार, 9312974018

रामजी यादव, 9015634902

शैलेश भारतवासी, 9873734046

निवेदक-

आनंद प्रकाश

अध्यक्ष, पीपुल्स विजन, दिल्ली

कार्यक्रम में ज़रूर पधारें। अगर आप फेसबुक पर हैं तो अपने आने की सूचना वहाँ भी दे सकते हैं।

मनोज भावुक विश्व भोजपुरी सम्मलेन,दिल्ली के अध्यक्ष बने

विश्व भोजपुरी सम्मलेन की झारखंड इकाई द्वारा गत २६-२७ सितम्बर को विरसामुंडा की पावन भूमि रांची में सम्मलेन की कार्यकारिणी के राष्ट्रीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से युवा कवि मनोज भावुक को विश्व भोजपुरी सम्मलेन की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. मनोज इससे पहले विश्व भोजपुरी सम्मलेन की ग्रेट ब्रिटेन इकाई के अध्यक्ष (२००६-७) एवं अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन के प्रबंध मंत्री ( १९९८-९९) रह चुके हैं.

2 जनवरी 1976 को सीवान (बिहार) में जन्मे और रेणुकूट (उत्तर प्रदेश ) में पले- बढ़े मनोज भावुक भोजपुरी के सुप्रसिद्ध युवा साहित्यकार हैं। पिछले 15 सालों से देश और देश के बाहर (अफ्रीका और यूके में) भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भावुक भोजपुरी सिनेमा, नाटक आदि के इतिहास पर किये गये अपने समग्र शोध के लिए भी पहचाने जाते हैं। अभिनय, एंकरिंग एवं पटकथा लेखन आदि विधाओं में गहरी रुचि रखने वाले मनोज दुनिया भर के भोजपुरी भाषा को समर्पित संस्थाओं के संस्थापक, सलाहकार और सदस्य हैं। तस्वीर जिंदगी के( ग़ज़ल-संग्रह) एवं चलनी में पानी ( गीत- संग्रह) मनोज की चर्चित पुस्तके हैं। ‘तस्वीर जिन्दगी के’ तो इतना लोकप्रिय हुआ कि इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया जा चुका है और इस पुस्तक को वर्ष 2006 के भारतीय भाषा परिषद सम्मान से नवाज़ा जा चुका है। एक भोजपुरी पुस्तक को पहली बार यह सम्मान दिया गया है।
इस अवसर पर मनोज भावुक ने अपना उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने १५-१६ वर्षों के अपने अनुभव में यही देखा है कि लगभग सभी भोजपुरी सम्मलेन में अस्सी फीसदी सफ़ेद बाल ही दिखाई देते हैं. इसमें युवाओं व महिलाओं की भागीदारी जरुरी हैं. मनोज ने युवाओं के लिए भोजपुरी कार्यशाला व साल में कम से कम एक बार भोजपुरी पुस्तक मेला करने का प्रस्ताव रखा जिसे अंतरराष्ट्रीय महासचिव अरुणेश नीरन ने मंजूरी दे दी.नीरन ने कहा जनवरी में वाराणसी में होगी युवाओं के लिए भोजपुरी कार्यशाला व अगले सम्मलेन में ऋषिकेश में भोजपुरी पुस्तक मेला .
आगे नीरन ने यह भी कहा कि मनोज दिल्ली में अपनी कार्यकारिणी का गठन करें व उसमें अधिक से अधिक युवा-युवतियो को शामिल करें.

इस अवसर पर सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बी.एन तिवारी, सभी प्रदेशों के प्रांतीय अध्यक्ष के अलावा दूरदर्शन रांची के निदेशक शैलेश पंडित,आकाशवाणी रांची के सीनियर उद्घोषक कुमार ब्रिजेन्द्र, भोजपुरी संसार पत्रिका के सम्पादक मनोज श्रीवास्तव, संस्था के प्रचार-प्रसार सचिव कुलदीप श्रीवास्तव,भोजपुरी सेवा संस्थान,लखनऊ के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, गत वर्ष आगरा में हुए विश्व भोजपुरी सम्मलेन के संयोजक अशोक चौबे,वरिष्ठ समाज सेवी माधव सिंह, अखिल विश्व भोजपुरी समाज के आरा अध्यक्ष ब्रजेश सिंह समेत विभिन्न प्रान्तों से आये साहित्यकार,पत्रकार, कलाकार व गायक उपस्थित थे.

इस दो दिवसीय सम्मलेन में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया. जिसका उदघाटन करते हुए खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री सुबोध कान्त सहाय ने कहा ' आज प्रधानमंत्री का जन्म दिन है और मै इस मंच से प्रधानमंत्री से यह आग्रह करता हूँ कि भोजपुरी को अतिशीघ्र आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाय. सहाय ने भोजपुरी फिल्मकारों की भी खिचाईं की.कहा सख्त जरुरत है स्टैण्डर्ड उठाने की . अंतरराष्ट्रीय महासचिव अरुणेश नीरन कहा विश्व भोजपुरी सम्मलेन भोजपुरी को उसका वाजिब हक़ दिलाने के लिए प्रतिबध्ध है. सम्मलेन को अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बी.एन तिवारी,विधान सभा अध्यक्ष सी.पी .सिंह, दूरदर्शन रांची के निदेशक शैलेश पंडित,सांसद राजनीति प्रसाद, वरिष्ठ समाज सेवी माधव सिंह, विजय पासवान आदि ने भी संबोधित किया.

फिर सजी सुर की महफ़िल.आगाज किया भोजपुरी सम्राट भरत शर्मा ने. गायिका देवी ने लोक लहरी में सबको डुबो दिया . प्रतिभा सिंह, नीतू सिंह नूतन, दीपक त्रिपाठी,सुशांत व राजकुमार आदि ने दर्शको को झूमने-नाचने पर मजबूर कर दिया. आरा से आई पूनम सिंह की टीम व रांची के अजय मलकानी के ग्रुप ने भी अनेक रंगारंग कार्यक्रम दिए और रांची में देर रात तक गूंजती रही भोजपुरिया फ़नकारो की आवाज.

Monday, September 27, 2010

नवभारत टाइम्स, मुम्बई के संपादक शचीन्द्र त्रिपाठी को पत्रकारिता सम्मान


[बाएं से दाएं] धनपत जैन, डॉ.राजेंद्र सिंह, अभय नारायण त्रिपाठी(IFS), वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल, मुम्बई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह, नवनीत के सम्पादक विश्वनाथ सचदेव, नवभारत टाइम्स के सम्पादक शचींद्र त्रिपाठी, पूर्व निर्वाचन आयुक्त नंदलाल जी, संस्थाध्यक्ष चित्रसेन सिंह, मुम्बई के सूचना आयुक्त रामानंद त्रिपाठी, समारोह संचालक कवि देवमणि पाण्डेय।

शचींद्र त्रिपाठी भाषा, भाव और विचार से समृद्ध उच्चकोटि के पत्रकार है। मूल्यों के प्रति समर्पित शचींद्र त्रिपाठी के पास अपना नज़रिया और अपना दृष्टिकोण है। तीस साल पहले टाइम्स ऑफ इंडिया मुम्बई के लोकप्रिय हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स में उपसम्पादक के रूप में शुरू हुई उनकी यात्रा आज स्थानीय सम्पादक के रूप में शिखर पर पहुँच चुकी है। मुम्बई महानगर की प्रतिष्ठित संस्था तरुण कला संगम की ओर से 24 सितम्बर को प्रमुख लेखकों-पत्रकारों की उपस्थिति में आयोजित एक समारोह में शचींद्र त्रिपाठी को पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल,नवनीत के सम्पादक विश्वनाथ सचदेव, मुम्बई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह और संस्थाध्यक्ष चित्रसेन सिंह ने सम्मान स्वरूप उन्हें शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह और 21 हज़ार की धनराशि भेंट की।

शचींद्र त्रिपाठी का परिचय कराते हुए कवि-गीतकार देवमणि पाण्डेय ने कहा कि श्री त्रिपाठी एक विनम्र, मृदुभाषी और प्यारे आदमी होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ पत्रकार और सुयोग्य सम्पादक हैं। पाण्डेय जी ने बताया कि पत्रकारिता शचींद्र त्रिपाठी को विरासत में मिली है। उनके पिता स्व.योगेंद्रपति त्रिपाठी ने सिर्फ़ 31 साल की उम्र में ‘स्वतंत्र भारत’ लखनऊ के प्रधान सम्पादक की ज़िम्मेदारी सँभाल कर एक रिकार्ड कायम किया था। सन् 1971 में उनके स्वर्गवास के बाद प्रबंधकों के अनुरोध पर ‘स्वतंत्र भारत’ लखनऊ से ही शचींद्र त्रिपाठी ने पत्रकारिता की गौरवशाली शु्रुआत की। शचींद्र त्रिपाठी ने पत्रकारिता में अपने पिता से प्राप्त संस्कारों की रक्षा की। गोरखपुर में 01 जनवरी 1952 को जन्मे शचींद्र त्रिपाठी आज भी अपनी मिट्टी-पानी-हवा से ऐसे जुड़े हुए हैं कि उन्हें मुम्बई महानगर में अवधी और भोजपुरी बोलने में ज़रा भी संकोच नहीं होता। एक शेर के माध्यम से पाण्डेय जी उनके व्यक्तित्व को रेखांकित किया- जब देखो हँसते रहते हो / इतना ख़ुश कैसे रहते हो।

समारोह के अध्यक्ष विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि पत्रकारिता में ग्लैमर के मोह और उसकी चकाचौंध से उत्पन्न ख़तरों के प्रति हमें सचेत रहना होगा ताकि पत्रकारिता में लोगों का विश्वास और भरोसा बना रहे। प्रमुख अतिथि कृपाशंकर सिंह ने कहा कि शचींद्र त्रिपाठी ने कल्याणकारी मूल्यों को स्थापित करने के चुनौतीपूर्ण दायित्व को बख़ूबी निभाया। म.रा.हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष नंदकिशोर नौटियाल के अनुसार शचींद्र त्रिपाठी ने पत्रकारिता के ज़रिए भारतीय मूल्यों, परम्परा और राष्ट्रीय चेतना को प्रखरता से अभिव्यक्त किया है। समारोह में डॉ.राजेंद्र सिंह, महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग के सचिव अभय नारायण त्रिपाठी, मुम्बई के सूचना आयुक्त रामानंद त्रिपाठी,पूर्व निर्वाचन आयुक्त नंदलाल जी बतौर अतिथि उपस्थित थे। अनुराग त्रिपाठी (वरिष्ठ पत्रकार नभाटा), राघवेंद्र द्विवेदी (सम्पादक:हमारा महानगर) और बृजमोहन पाण्डेय (सम्पादक: नवभारत) ने पत्रकारिता में शचींद्र त्रिपाठी के योगदान पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ पत्रकार लालजी मिश्र पत्रकार सुमंत मिश्र और कवि हरि मृदल भी मौजूद थे। कवि रासबिहारी पाण्डेय ने काव्यांजलि प्रस्तुत की और पत्रकार रमेश निर्मल ने आभार व्यक्त किया।

प्रस्तुति- चित्रसेन सिंह
फोन : 98211-57054
अध्यक्ष : तरुण कला संगम, मुम्बई

ऋषभ देव शर्मा को आंध्र प्रदेश हिन्दी अकादमी का पुरस्कार प्राप्त



आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद [आंध्र प्रदेश] ने हिंदी दिवस की पूर्वसंध्या पर अकादमी भवन में हिंदी उत्सव का आयोजन किया और अच्छी धूमधाम से २०१० के हिंदी पुरस्कार सम्मानित हिंदीसेवियों तथा साहित्यकारों को समर्पित किए. एक लाख रुपए का पद्मभूषण मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार अष्टावधान विधा को लोकप्रिय बनाने के उपलक्ष्य में डॉ. चेबोलु शेषगिरि राव को प्रदान किया गया. तेलुगुभाषी उत्तम हिंदी अनुवादक और युवा लेखक के रूप में इस वर्ष क्रमशः वाई सी पी वेंकट रेड्डी और डॉ.सत्य लता को सम्मानित किय गया. डॉ. किशोरी लाल व्यास को दक्षिण भारतीय भाषेतर हिंदी लेखक पुरस्कार प्राप्त हुआ तथा विगत दो दशक से दक्षिण भारत में रहकर हिंदी भाषा और साहित्य की सेवा के उपलक्ष्य में डॉ.ऋषभ देव शर्मा को बतौर हिंदीभाषी लेखक पुरस्कृत किया गया. इन चारों श्रेणियों में पुरस्कृत प्रत्येक लेखक को पच्चीस हज़ार रुपए तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया.

पुरस्कृत लेखकों ने ये सभी पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता शीर्षस्थ साहित्यकार पद्मभूषण डॉ. सी.नारायण रेड्डी के करकमलों से अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद , आंध्र प्रदेश के भारी सिंचाई मंत्री पोन्नाला लक्ष्मय्या तथा माध्यमिक शिक्षा मंत्री माणिक्य वरप्रसाद राव के सान्निध्य में ग्रहण किए.

इस अवसर पर बधाई देते हुए डॉ. सी नारायण रेड्डी ने साहित्यकारों का आह्वान किया कि हिंदी के माध्यम से आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देशविदेश के हिंदी पाठकों के समक्ष प्रभावी रूप में प्रस्तुत करें. डॉ. यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद ने भी ध्यान दिलाया कि अकादमी का उद्देश्य केवल हिंदी को प्रोत्साहित करना भर नहीं बल्कि हिंदी के माध्यम से आंध्र प्रदेश के प्रदेय से शेष भारत और विश्व को परिचित कराना है.



सम्मान के क्रम में सबसे पहले डॉ. सी.नारायण रेड्डी ने पुष्पगुच्छ दिया.

और फिर प्रशस्तिपत्र, स्मृतिचिह्न एवं सम्मानराशि प्रदान की गई.

सम्मान ग्रहण करते हुए कवि-समीक्षक ऋषभ देव शर्मा .

भारी वर्षा के बावजूद इस आयोजन में भारी संख्या में हिंदीप्रेमी उत्साहपूर्वक सम्मिलित हुए.

डॉ. सी.नारायण रेड्डी ने अपनी हिंदी ग़ज़ल भी सुनाई -'बादल का दिल पिघल गया तो सावन बनाता है.'

सरकारी आयोजन था.सो, मीडिया वाले भी कतारबद्ध थे.अगले दिन हिंदी, तेलुगु और अंग्रेजी के समाचारपत्रों में तो छपा ही, चैनलों पर भी दिखाया गया.

आंध्र के हिंदीपरिवार की एकसूत्रता औ आत्मीयता पूरे आयोजन में दृष्टिगोचर हुई.

इस बहाने कुछ क्षण मिलजुलकर हँसने-मुस्कराने के भी मिले

Sunday, September 26, 2010

डैलस में छाया ए आर रहमान का ज़ादू

हम अनेकों कार्यक्रमों में जाते है बहुत से शो देखते हैं पर उनमे से कुछ ऐसे होते हैं जो एक सुनहरी याद बन आँखों में समाजाते हैं. ऐसा ही कुछ खास अनुभव रहा ऐ आर रहमान का कौन्सर्ट "दा जरनी होम वर्ड टुअर "स्काई पास इंटरटेनमेंट के तत्वाधान में प्रस्तुत इस शो ने डैलस में इतिहास रच डाला. डैलस का आज तक का सबसे बड़ा और सफल शो कहा जाये तो गलत न होगा. अमेरिकन एयर लाइनस सेंटर में करीब १३००० से भी ज्यादा लोगों ने इस शो का आनन्द उठाया शो थोडा देर से प्रारंभ हुआ जब इस शो के करता धरता "स्काई पास इंटरटेनमेंट के सी ई ओ श्री विक्टर इब्राहीम जी से इस देरी का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया की पहले ये कॉन्सर्ट ४ जुलाई को होने वाला था पर कुछ कारणों से ये स्थगित हो गया उस समय हम बहुत दुखी हो गये थे. पर हमारे बहुत से टिकट बिक चुके थे और उस पर शो प्रारंभ होने का समय लिखा था ८ बजे फिर जब अभी शो की नई तारीख मिली तो जो नए टिकट बिके उसमे शो प्रारंभ होने का समय लिखा था ७ बजे। बस यही गलतफहमी हो गई। यदि हम शोए ७ बजे शुरू करते तो आधे लोगों का शो छूट जाता। इसी कारण शो देर से शुरू करना पड़ा।"

ऐ आर रहमान का ये शो आज कल पूरे अमेरिका में धूम मचा रहा है इस कार्यक्रम की खास बात है इसकी प्रस्तुति। और स्टेज सज्जा। जिसकी जिम्मेदारी सम्भाली थी सुप्रसिद्ध निर्देशक अमय(amy )टिंकमेन ने जो मारीअह केरे (mariah carey ), ब्रिटनी स्पेअर्स और बैकस्ट्रीट बॉय्स के साथ काम कर चुके हैं, पूरे स्टेज को कुछ यूँ बनाया गया था की समय समय पर उसमे परिवर्तन किये जा सकें ये परिवर्तन स्टेज को हर पल एक नया रूप दे रहा था और शो को भव्य बना रहा था। ध्वनि और प्रकाश की व्यवस्था अति उत्तम थी। लेजर का प्रयोग बहुत अच्छी तरह से किया गया था जो सभी के मन को लुभा रहा था। स्टेज के झीने परदे पर भव्य दृश्य आते जा रहे थे जो कार्यक्रम में चार चाँद लगा रहे थे।

रहमान जी ने हिदी के आलावा तमिल मलयालम तेलगू और इंग्लिश के भी गाने गाये उनके एक एक गाने पर लोग झूम रहे थे और ख़ुशी में चीख रहे थे। कुछ नये प्रयोग भी इस कार्यक्रम में देखने को मिले। रंग दे बसंती का गीत "लुका-छुपी बहुत हुई सामने आजा न" में रहमान जी के साथ लता जी ने भी गया है। यहाँ पर्दे पर लता जी को अपना हिस्सा गाते हुए दिखाया गया और रहमान जी ने अपना हिस्सा गया तो ऐसा लग रहा था कि लता जी सामने गा रही है सभी ने इस प्रयोग को बहुत सराहा। इस शो में हिन्दू, मुस्लिम और सिख धर्मो की दुआओं का संगम प्रस्तुत किया गया जो दर्शको को आत्मा तक भिगोगाया।
विभिन्न त्योहारों को भी बहुत सुंदर ढंग से इस शो की माला में पिरोया गया था।


(विक्टर अब्राहिम)

रहमान जी ने अपनी अल्बम का एक गीत जो कि सूफियाना कलाम था गया तो वि स्वयं इतने भावविभोर हो उठे कि उनकी आँखें छलक उठीं। ये दर्शाता ही कि वो संगीत में कितना डूब जाते हैं। रहमान जी की उंगलिया तबला, गिटार, हारमोनियम, पियानो, किसी वो वाद्य यंत्र को छूती है तो चमत्कारी संगीत निकलता है जब उन्होंने अपने इस गुण को दर्शाया तो लोग वाह वाह कर उठे। रहमान जी में स्लम डॉग मिलिनेयर, लगान, जाने तू या जाने न, दिल से, राग दे बसंती और रोज़ा फिल्म के गाने गाये और लोगों को आनंदित किया।
रहमान जी के साथ इस शो में श्री हरिहरन जी, विजय प्रकाश, हर्षदीप कौर, असद खान, बेन्नी दयाल, ब्लाज़े, श्वेता पंडित, नीति मुहान ने भी गाने गाये और लोगों का मनोरंजन किया।
हरिहरन जी ने तू ही रे, चंदा रे गया उस के बाद उहोने कुछ ग़ज़लें और शास्त्रीय संगीत को अपने सुरों से साध के एक समां बांध दिया उनकी हृदय स्पर्शी आवाज ने सभी को मन्त्र मुग्ध कर दिया।
स्वेता पंडित निती और हर्षदीप की मखमली सुरीली आवाज का जादू सभी को सम्मोहित कर गया। ससुराल गेंदा फूल, बरसो रे मेघा, मेहदी है रचने वाली, चल छईयां छईयां या प्रार्थना हो सभी में इनकी आवाज ने मानो सुरों का इन्द्रधनुष बिखेर दिया। बेन्नी दयाल के पप्पू कांट डांस "पर सभी ने खूब डांस किया। कहने को जश्ने बहारा है और गुज़ारिश से प्रसिद्ध ब्लाज़े के गाने भी लोगों ने बहुत पसंद किये।



घडी में ११ बजने को थे शो के समाप्त होने का समय पास आरहा था और लोगों को इंतजार था उस गाने का जिस के लिए रहमान जी को आस्कर मिला था । जब रहमान जी ने गाना प्रारंभ किया तो स्टेडियम का नज़ारा देखने वाला था कोई शायद ही अपनी सीट पर बैठा हो सभी खड़े होके तालियाँ बजा रहे थे और मस्ती में झूम रहे थे।
शो के डारेक्टर ऑफ़ ऑपरेशन श्री ताहिर अली जी ने कहा "जब ये कार्यक्रम स्थगित हुआ था तो बहुत निराशा हुई थी। पर डैलस कि जनता ने बहुत सहयोग दिया। लोग हमको जानते थे तो उनका यकीन नहीं टुटा अभी अंतिम तीन हफ्ते बहुत अच्छे बीते। १३ हज़ार से भी ज्यादा लोगों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। रहमान ने हमें अपने फन की नोज़ियत से नवाज़ा। इस पूरे शो में जितना सामने दिख रहा था उससे ज्यादा स्टेज के पीछे कि मेहनत थी। पूरा क्रू को दो भागों में बटा था हियूसटन का शो करने के बाद वो क्रू बोस्टन चला गया और यहाँ डैलस का क्रू वेंकुअर चला गया। दोनों ग्रुप को अलग-अलग दो कोच दिए गाये हैं जो सारी सुख सुविधा उक्त थे। इतने अच्छे प्रबंध के लिए मै मुख्य प्रबंधक को बधाई देता हूँ "



स्काई पास इंटरटेनमेंट के उपाध्यक्ष श्री जे सी वर्गिस जी का ये पहला शो था इसकी सफलता को ले के वो बहुत उत्साहित थे .
शो की सफलता के बारे में जब श्री विक्टर जी से पूछा गया तो उहोने कहा कि "सभी लोगों ने शो की तारीफ की है मुझे बधाई के बहुत से फ़ोन .,एस ऍम एस और इ मेल आये है मै अपने सभी प्रायोजकों को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ और अपनी पूरी टीम और स्वयं सेविकों का आभार व्यक्त करता हूँ क्योकि उनकी मेहनत के बिना ये शो कभी भी कामियाब नहीं हो सकता था"
शो की समाप्ति पर जब मैने कुछ लोगों की राय जाने के लिए पूछा तो उनका कहना था कि ये जीवन भर का अनुभव है। बहुत अच्छा और मनोरंजक शो था। किसीने कहा पैसा वसूल शो था। किसी ने कहा की ऐसा शो उहोने कभी पहले नहीं देखा था सभी ने शो की सफलता के लिए श्री विक्टर अब्राहिम को और उनकी टीम को बधाई दी।




प्रस्तुति- रचना श्रीवास्तव

कन्हैया लाल नंदन की अश्रुपूरित विदाई - कुछ चित्र, कुछ वीडियो

हिन्दी के मूर्धन्य कवि व पत्रकार कन्हैया लाल नंदन का शनिवार, 25 सितम्बर 2010 की सुबह नई दिल्ली में निधन हो गया। 26 सितम्बर 2010 की दोपहर करीब 12 बजे लोदी रोड शवदाहगृह में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस अवसर पर ढेरों साहित्यप्रेमी, पत्रकार और राजनीतिज्ञ उपस्थित थे, सभी ने उनको नम आँखों से विदा किया। प्रस्तुत हैं कुछ चित्र और वीडियो-












(वीडियो-1)


(वीडियो-2)


(वीडियो-3)

प्रस्तुति- प्रेमचंद सहजवाला

बाजार की व्‍यवस्‍था में व्‍यक्‍ति उपभोक्‍ता बनता जा रहा है- डॉ. राजेश टंडन



उदयपुर 20 सितम्‍बर, विकास की वर्तमान धारा ने जनता को लाभार्थी बना दिया है एवं बाजार की व्‍यवस्‍था में व्‍यक्‍ति उपभोक्‍ता बनता जा रहा है। प्रजातांत्रिक भारत में नागरिकता ओजल हो रही है। ऐसी चूनौतिपूर्ण अवस्‍था में नागरिक संस्‍थाओं एवं स्‍वयं सेवी क्षेत्र की मूल्‍य आधारित मजबूती आवश्‍यक है। उक्‍त विचारवाणी नयी दिल्‍ली के पूर्व अध्‍यक्ष समाज विद्‌ डॉ. राजेश टंडन ने सेवामंदिर, कासा एवं डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्‍ट द्वारा आयोजित ‘‘नये परिवेश में स्‍वैच्‍छिक प्रयासों की सार्थकता'' विषयक भाषण में कहा कि सरकार से व्‍यवस्‍था एवं नागरिक अधिकारों की मांगों के मध्‍य समाज परिवर्तन के मूल लक्ष्‍यों को नहीं भूलें डॉ. टंडन ने आगे कहा कि आने वाली पीढ़ियों के दौर में लोकतंत्र कैसा होगा? जनतंत्र मात्र सरकारी स्‍तर पर ही नहीं वरन देश की गलियों और समाज में परिलक्षित होना चाहियें। नागरिक अधिकारों के साथ स्‍वयं सेवी क्षेत्र को नागरिक दायित्‍व के पाठ से भी समाज को रूबरू करवाना चाहिये।
सेवामंदिर के अध्‍यक्ष अजय मेहता ने स्‍वागत भाषण देते हुए स्‍वयं सेवी क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। पूर्व विदेश सचिव जगत मेहता ने कहा कि हमें अपनी विफलताओं से सिखने की जरूरत है।
समारोह के अध्‍यक्ष, जयन्‍त कुमार ने कहा कि संघर्ष और निर्माण आज की आवश्‍यकता है। प्रजातंत्र में जन संगठनों की स्‍थिति कमजोर हो रही है उसे बदलने की जरूरत है।
इससे पूर्व डॉ. टंडन की नागरिक अभिनन्‍दन किया गया। संयोजन ट्रस्‍ट सचिव नन्‍दकिशोर शर्मा ने किया।




प्रस्तुति- नितेश सिंह

Saturday, September 25, 2010

हिंदी पखवाड़ा संसद भवन के केंद्रीय सभागार में ‘राष्ट्रभाषा उत्सव – 2010’ का शानदार आयोजन





‘संसदीय हिंदी परिषद’, ‘परिचय साहित्य परिषद’ व ‘विधि भारती परिषद’ के तत्वावधान में दि. 21 सितम्बर 2010 को ‘राष्ट्रभाषा उत्सव – 2010’ का शानदार आयोजन किया गया. इस अवसर पर ‘वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग’ के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) विजय कुमार ने अध्यक्षता की. पूर्व सांसद श्री उदय प्रताप सिंह, ‘दैनिक जागरण’ के मुख्य महा-प्रबंधक श्री निशिकांत ठाकुर, व पूर्व सांसद सत्या बहन विशिष्ट अतिथि थे. कार्यक्रम का प्रारंभ ‘सर्वोदय बालिका विद्यालय, समालखा’ की छात्राओं द्वारा ‘वंदे मातरम’ गान से हुआ. इसके अतिरिक्त इन बालिकाओं ने अन्य मधुर गीत भी प्रस्तुत किये. बालिकाओं ने जब हिंदी का गुणगान करते हुए गाया:
हृदय के उद्गारों को / होंठों पर सजा ले आए जो वाणी /वह भाषा हमारी हिंदी है...

तब सभागार में उपस्थित जनसमूह पर हुई सुखद प्रतिक्रिया को सहज ही समझा जा सकता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सरोजिनी महिषी ने सभी गणमान्य अतिथियों व श्रोतागण का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी भाषा विश्व की सभी भाषाओँ के समकक्ष हो कर निरंतर गतिशील रही है तथा मानव सभ्यता की प्रगति में उसका प्राचीन काल से ही सशक्त योगदान रहा है. डॉ. सरोजिनी महिषी राजनीतिक जीवन में लगभग 25 वर्ष लोकसभा व राज्यसभा की सदस्या रही तथा पर्यटन व नागरिक उड्डयन, परमाणु ऊर्जा व विधि मंत्रालयों के अतिरिक्त उन्होंने प्रधान मंत्री कार्यालय में ‘पब्लिक रिलेशंस’ का कार्यभार भी संभाला. मौसम विज्ञान विभाग जब उनके अधीन आया तब देश भर में ‘चक्रवात चेतावनी’ के 8 रडार उन्होंने स्थापित करवाए जो उस से पूर्व इस विभाग के पास नहीं थे. वे पिछले 48 वर्षों से संसद के इसी सभागार में हिंदी भाषा सेविका के रूप में ‘संसदीय हिंदी परिषद’ का संचालन कर रही हैं. अपने स्वागत भाषण में उन्होंने भारत व विश्व में हिंदी की मज़बूत स्थिति पर बेहद प्रसन्नता व्यक्त की.
समारोह में कुछ गणमान्य साहित्यकारों को ‘राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया तथा इस वर्ष पहली बार मीडिया-कर्मियों को भी ‘राष्ट्रभाषा मीडिया सम्मान’ से सम्मानित किया गया. साहित्यकारगण श्रीमती शान्ति अग्रवाल, श्री अशोक खन्ना, श्रीमती सविता चड्ढा, डॉ. धर्मवीर, श्री अनिल वर्मा ‘मीत’ व सुश्री सूरज मणि स्टेला को ‘राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया. मीडिया से जुड़े विश्षिट हस्ताक्षरों: श्रीमती रमा पाण्डेय व सुश्री कनुप्रिया को ‘राष्ट्रभाषा मीडिया सम्मान’ से सम्मानित किया गया. इसके अतिरिक्त कुछ पुस्तकों: ‘जीवन का सच’ (कविता संग्रह - डॉ. शारदा वर्मा), ‘जात्रूलैन’ (यात्रा संस्मरण - चमेली जुगरान), ‘कौन जाए गालिब दिल्ली की गलियां छोड़कर’ (कविता संग्रह - डॉ. रश्मि मल्होत्रा), ‘उस पार तो जाना है’ (कविता संग्रह - सविता चड्ढा), ‘सृजन समग्र खंड -1’ (कहानी संग्रह - उर्मिल सत्यभूषण) तथा श्रीमती संतोष खन्ना द्वारा सम्पादित ‘विधि भारती’ पत्रिका के 64वें अंक का लोकार्पण भी अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार के करकमलों द्वारा हुआ.

साहित्य की प्रगति में पुरस्कारों सम्मानों की जो सकारात्मक भूमिका है, उसे नकारा नहीं जा सकता, यह बात दीगर है कि कतिपय लोग व संस्थाएं इन्हें आत्म-प्रसिद्धि का साधन भी बना लेते हैं. इस समारोह मैं सम्मानित झारखंड के आदिवासी क्षेत्र से आई सूरज मणि स्टेला से जब यह पूछा गया कि इस सम्मान से आप को कैसा महसूस हुआ तब वे हंस कर बोली – ‘मुझ से तो बच्चों ने भी यह पूछा था कि आप को यह सम्मान किस उपलब्धि के लिये मिल रहा है, तब मैंने उन से कहा कि तुम आजकल के विद्यार्थी लोग अंग्रेज़ी के लिये अपनी जान लड़ा देते हो, मरने मिटने पर उतारू हो जाते हो पर मैंने जीवन भर हिंदी में बात की, हिंदी माध्यम से ही शिक्षा प्राप्त की, हिंदी साहित्य में कार्यरत रही, बस यह उसी का सम्मान है’. ‘नदिया’(कविता संग्रह), ‘वंचित वाणी’ (कहानी संग्रह) तथा ‘आओ फूल खिल उठे’ (बाल कविता संग्रह) जैसी सशक्त रचनाओं की रचेता सूरज मणि स्टेला का सम्मान उस समस्त आदिवासी भारत का सम्मान है जो जीवन के संघर्षों में भी मुस्काता है और हिंदी साहित्य के माध्यम से अपने कठिन जीवन की झलकियाँ दिखाता है.

‘मीडिया सम्मान’ से सम्मानित मीडिया कर्मी रमा पाण्डेय हिंदी मीडिया में एक सर्वविदित नाम है जो ‘दिल्ली दूरदर्शन’ ‘बी.बी.सी लंदन’ व ‘सी.बी.सी कनाडा’ में सक्रिय रही तथा अपनी ही स्थापित ‘मोंटेज फिल्म्स’ द्वारा शिक्षा से जुडी हिंदी फिल्में निर्मित करती रही. ‘राजा राम मोहन राय कलाश्री पुरस्कार’ ‘अंबेडकर दलित साहित्य पुरस्कार’ व लंदन के ‘कथा’ विशिष्ट सम्मान पुरस्कार’ से सम्मानित रमा पाण्डेय का कथन है कि जिस सभागार में पंडित नेहरु व सरदार पटेल से लेकर देश के कई गणमान्य हिंदी प्रेमियों ने हिंदी का गुणगान किया, उसी सभागार में सम्मानित हो कर उन्हें बेहद प्रसन्नता हुई है. भारतीय संस्कृति, भाषा व कला से जुडी 300 हिंदी फिल्मों की शृंखला ‘जाने अपना देश’ की निर्माता रमा पाण्डेय ने ‘सुनो’ कहानी नाम से बाल साहित्य शृंखला भी लिखी. स्वतंत्र मीडिया कर्मी कनुप्रिया ने मुझे बताया कि हिंदी एक ऐसी सशक्त भाषा है जिस के माध्यम से हम शहर से गांव तक अधिकाधिक लोगों तक पहुँच सकते हैं. वे मीडिया को केवल धारावाहिकों द्वारा मनोरंजन का साधन बनाने में विश्वास नहीं करती वरन उसे एक ऐसी शक्ति मानती हैं जो किसी भी समाज की सोच तक को बदल कर रख सकता है. दिन भर अति व्यक्त रहने वाली कनुप्रिया प्रतिबद्धता में आस्था रखती हैं तथा वे इस सम्मान को अपने दृष्टिकोण का ही सम्मान मानती हैं.

‘दैनिक जागरण’ के मुख्य महाप्रबंधक निशिकांत ठाकुर ने अपने भाषण में इस बात पर अपार प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष ‘राष्ट्रभाषा मीडिया सम्मान’ भी दिए गए हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस प्रकार के सम्मानों का भविष्य में भी ज़ोरदार समर्थन करेंगे. सभागार हिंदी प्रेमियों से खचाखच भरा था और निशिकांत ठाकुर की इस बात पर सभागार में हर्षध्वनि फैल गई. सभी ने करतल ध्वनि द्वारा इस समर्थन का स्वागत किया.

पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह ने कहा कि एक राष्ट्र में एक ही भाषा का वर्चस्व होना चाहिए, भले ही उसमें अन्य कई क्षेत्रीय आदि भाषाओँ के शब्द भी सम्मिलित हो जाएँ. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भी इसीलिये प्रगति की कि वे एक ही भाषा को ले कर चले और उसे विश्व की अनेक भाषाओँ के शब्दों से निरंतर धनी बनाते रहे.

अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार ने ‘वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग’ के अध्यक्ष रूप में सभी सम्मानित साहित्यकारों व मीडिया कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि हिंदी भाषा गंगा की सशक्त धारा के रूप में निरंतर प्रवाहित होती रहनी चाहिए. गंगा की इस पवित्र धारा का यह निरंतर प्रवाह रुकना नहीं चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इस भाषा को भारी भरकम शब्दों से बोझिल करने की ज़रूरत नहीं है, वरन् इस में विश्व भर की भाषाओँ के शब्दों को समाहित किया जा सकता है.

कार्यक्रम की सम्पन्नता के रूप में पूर्व सांसद सत्या बहन ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि संसद के इसी सभागार में हिंदी को संवैधानिक दर्जा दिया गया था और पिछले कई वर्षों से ‘संसदीय हिंदी समिति’ यहाँ हिंदी से जुड़े अनेकों कार्यक्रम करती रही है. उन्होंने कहा कि हिंदी से जुड़े सभी साहित्यकार व हिंदी प्रेमी बधाई के पात्र हैं और जैसा अध्यक्ष महोदय ने कहा, हिंदी की सशक्त धारा गंगा की तरह निरंतर प्रवाहित होते रहनी चाहिए.

कार्यक्रम का संचालन ‘परिचय साहित्य परिषद’ अध्यक्ष उर्मिल सत्यभूषण, संतोष खन्ना व अर्चना त्रिपाठी ने किया. कार्यक्रम राष्ट्र गान ‘जन गण मन...’ से संपन्न हुआ.

रिपोर्ट – प्रेमचंद सहजवाला

Saturday, September 18, 2010

इस वर्ष का ‘अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान’ लक्ष्मी शंकर बाजपेयी को


बाएं से दाएं : मोनिका कपिल मोहता, डा सत्येन्द्र श्रीवास्तवा, केशरीनाथ त्रिपाठी, इंडिया रस्सेल, डा लक्ष्मीशंकर बाजपेई, डा पदमेश गुप्त, तेजेन्द्र शर्मा, बैरोनेस श्रीला फ़्लैदर एवं दिव्या माथुर

हिंदी गीत गज़ल व कविता के सशक्त हस्ताक्षर लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने हाल ही में अपनी काव्य-यात्रा में एक और महत्वपूर्ण मील पत्थर तय किया. अनेकों पुरस्कारों सम्मानों से सम्मानित बाजपेयी, कविता द्वारा समाज की सच्चाइयों को बेबाक और दो टूक तरीके से कहने के लिये जग-प्रसिद्ध हैं. इस वर्ष उन्हें लंदन स्थित साहित्यिक संस्था ‘वातायन’ जो कि ‘नेहरु केंद्र, लंदन’ तथा ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ (Indian Council of Cupltural Relations) के सहयोग से यू.के में साहित्यिक गतिविधियों के लिये प्रसिद्ध है, का ‘अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान’ प्रदान किया गया. श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयी पिछले दिनों यू.के के दौरे पर थे तथा वहाँ के कई स्थानों यथा ‘भारतीय उच्चायोग’ लंदन, वूलवरहम्पटन, नेहरु केन्द्र लंदन, साल्वे, कार्डिफ, लीसेस्टर, बिरमिंघम लिवेर्पूल आदि में उनकी कविता की धूम मची रही.

दि. 31 अगस्त 2010 को लंदन के नेहरु केंद्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान’ समारोह में अंग्रेज़ी व हिंदी साहित्य की कई मूर्धन्य हस्तियाँ उपस्थित थी तथा बाजपेयी के प्रसिद्ध गीत ‘पूछा था रात मैंने ये पागल चकोर से, पैगाम कोई आया है चंदा की ओर से’ पर आधारित एक आकर्षक नृत्य का आयोजन भी हुआ. वहाँ के प्रसिद्ध संगीतकार जटानिल बैनर्जी ने बाजपेयी की कविताओं पर आधारित मनमोहक संगीत रचनाएँ प्रस्तुत की. ब्रिटिश कवयित्री इण्डिया रुस्सेल ने बाजपेयी की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत किये. सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य हस्तियों यथा मोनिका कपिल मोहता (निदेशक, नेहरु केंद्र), डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव (पूर्व वरिष्ठ व्याख्याता केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी), केशरीनाथ त्रिपाठी, इंडिया रस्सेल, डा पदमेश गुप्त (अध्यक्ष हिंदी समिति), तेजेन्द्र शर्मा, बैरोनेस श्रीला फ़्लैदर एवं दिव्या माथुर ने बाजपेयी की रचनाओं की भरपूर सराहना की.

‘बेज़ुबान’, ‘दर्द’, ‘खशबू तो बचा ली जाए’ जैसी सशक्त काव्य पुस्तकों के रचेता श्री बाजपेयी को अपनी अनुभव-धनी साहित्यिक यात्रा के दौरान ‘संसदीय हिंदी परिषद’ व ‘परिचय साहित्य परिषद’ के ‘राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान’, हिंदी अकादमी का ‘बाल साहित्य सम्मान’ तथा ‘उद्भव शिखर सम्मान’ आदि जैसे अनेक सम्मानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. यह पूछे जाने पर कि किसी साहित्यकार के जीवन में पुरस्कारों सम्मानों की क्या महत्ता है, स्वाभाव से मृदुभाषी और प्रतिपल चिंतनमग्न से दिखते श्री बाजपेयी का कथन है कि पुरस्कार व सम्मान उन के लिये अधिकाधिक प्रेरणा व गतिशीलता का स्रोत हैं जिन से वे अपना अधिकाधिक समय रचनात्मकता को दे पाते हैं. श्री बाजपेयी मूलतः मानवीय संवेदनाओं के कवि हैं जिन की कविताओं में पारिवारिक मूल्यों से भी बहुत सुन्दर रूप से साक्षात्कार होते हैं, यथा उन की एक गज़ल का एक शेर:
बहुत दिन बाद आ कर कह गया फिर जल्दी आता हूँ,
पता माँ बाप को भी है वो कितनी जल्दी आता है.

निश्छल से निश्छल शब्दों में बार बार अपने रोज़गार हेतु आते जाते बच्चों के प्रति माँ बाप की इस तड़पन को केवल बाजपेयी की संवेदनशील कलम ही व्यक्त कर सकती है. 10 जनवरी 1955 को कानपुर के निकट सुज्गावन गांव में जन्मे लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने शिक्षा तो एम.एस.सी (भौतिक विज्ञान) में प्राप्त की पर मन कवि का पाया. वर्तमान में वे आकाशवाणी दिल्ली के स्टेशन निदेशक हैं तथा उन के साहित्यिक शख्सियत के धनी होने के कारण आकाशवाणी कार्यक्रमों में भी उनकी देखरेख में काफी सार्थक परिवर्तन पाए गए हैं.

समारोह में पद्मेश गुप्त (अध्यक्ष हिंदी समिति ), मोनिका मोहता जी (निदेशक नेहरु केंद्र ), उषा राजे सक्स्सेना (उप- संपादक , एवं अध्यक्ष -अंतर्राष्ट्रीय प्रचार समिति ),दिव्या माथुर (सह अध्यक्ष "पुरवाई" ),डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव (पूर्व वरिष्ठ व्याख्याता केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ) सहित हिंदी समिति के अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत ...पद्मेश गुप्त ने की, फिर कमान संभाली मोनिका मोहता जी ने और आने वाले दिनों में होने वाले आयोजनों से परिचित कराया.

रिपोर्ट – प्रेमचंद सहजवाला

Tuesday, September 14, 2010

आनंदम का जन्माष्टमी कार्यक्रम

आनंदम ने जन्माष्टमी के मौके पर हनुमान मंदिर, पीतमपुरा में एक बहुत ही खूबसूरत कार्यक्रम प्रस्तुत कर उपस्थित भक्तों का मन मोह लिया। दर्शकों ने हर भजन के बाद जहाँ तालिया बजा कर गायकों की तारीफ की, वहीं नृत्य नाटिका को भी खूब सराहा। जानदार गायकी और संगीत ने लोगों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। भजन गायकों में शामिल थे जगदीश आनंदम, अशोक अरोरा, शीतल शर्मा, शैली मेहरा, रमेश, आदिया और सन्नी। रात्रि के 12 बजते-बजते सारा माहौल श्याम के रंग में पूरी तरह रंग गया। कार्यक्रम के अंत में भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में बधाई गायी गयी और साथ आरती की गयी। ये शाम श्याम के नाम रही मगर पीतमपुरा निवासियों के लिए ये शाम यक़ीनन अगली जन्माष्टमी तक एक आनंदमयी शाम के लिहाज से याद रखी जाएगी। आनंदम अध्यक्ष जगदीश आनंदम ने हनुमान मंदिर समिति के सदस्यों को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई और धन्यवाद दिया।


कुछ झलकियाँ














Wednesday, September 1, 2010

मिथलेश-रामेश्वर प्रतिभा सम्मान के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित

मिथलेश-रामेश्वर प्रतिभा सम्मान योजना के अंतर्गत ऐसी मौलिक व अव्यवसायिक प्रतिभाओं से निःशुल्क प्रविष्टियॉं आमंत्रित हैं, जिन्होंने साहित्य, पत्रकारिता, संगीत, रंगमंच, चित्रकारी आदि कला के किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए उपर्युक्त किसी क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई हो। यह सम्मान 21 वर्ष से ऊपर आयु के एक पुरुष एवं एक महिला प्रतिभा के लिए है। इसमें शामिल होने के लिए प्रतिभाओं से उनका संपूर्ण जीवनवृत्त, पासपोर्ट आकार के फोटोग्राफ, प्राप्त प्रमाणपत्रों एवं उनके कार्यक्रमों/गतिविधियों से संबंधित समाचारों/फोटोग्राफ्स (यदि कोई हों) की फोटो प्रतियों आदि के साथ आमंत्रित हैं। प्रतिभागीगण अपनी प्रविष्टि के साथ अपना पता लिखा व टिकट लगा एक जवाबी लिफाफा व एक पोस्टकार्ड भी प्रेषित करें। सम्मानों का निर्णय एक समिति द्वारा किया जाएगा जिसका निर्णय सभी को मान्य होगा।

प्रविष्टियॉं प्राप्त होने की अंतिम तिथिः 10 अक्तूबर, 2010

नोटः उपर्युक्त सम्मानों का वितरण संभवतः 28 नवंबर, 2010 को झॉंसी, उ. प्र. में आयोजित चित्रांश ज्योति (कायस्थ समाज की पत्रिका) के वार्षिक समारोह के अवसर पर किया जाएगा। सम्मान प्रतिभागी के समारोह में स्वयं उपस्थित होने पर ही प्रदान किया जाएगा।

पताः श्री अरुण श्रीवास्तव (संयोजक/संपादक),
द्वारा, हम सब साथ साथ पत्रिका,
916-बाबा फरीदपुरी, वेस्ट पटेल नगर,
नई दिल्ली-110008
मो. 9868709348 एवं 9968396832