
३० सितंबर, यमुनानगर। दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित विश्व-प्रख्यात फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन ने कहा कि उनके द्वारा निर्देशित फिल्म शैडो किल सत्य घटना पर आधारित है। इस फिल्म में एक जल्लाद की मन:स्थिति को दर्शाया गया है। जिसमें उन्होंने एक जल्लाद के इंटरव्यू से प्रेरित होकर फिल्म का निर्माण किया। 30 सितम्बर की सांय वे डीएवी गर्ल्स कालेज, यमुनानगर में आयोजित तीसरे हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह की पूर्व संध्या पर विशेष प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
अपनी फिल्मों के लिए आठ बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजे गए फिल्मकार अडूर का मानना है कि हिंदू मुसलमानों के बीच जितना सौहार्द फिल्म इंडस्ट्री के अंदर है, इतना कहीं पर भी नहीं है। सुप्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार ने मुसलमान होने के बावजूद भी अपना हिंदू नाम रखा , जिससे उन्हें खूब ख्याति मिली। एक प्रश्न के जवाब में अडूर ने कहा कि वे केरल की जिंदगी को मुंबई की भाषा की बनिस्वत बेहतर तरीके से जानते हैं। मुंबईया फिल्में भारत की जिंदगी की असलियत नहीं दिखलातीं। फिल्मों में सिर्फ भाषा ही नहीं, अपितु ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं, जिन्हें समझने की जरुरत है। उन्होंने बतलाया कि कोई निर्माता स्थानीय होने के बाद ही यूनिवर्सल बनने की ओर कदम बढ़ाता है, जिसके जीवंत उदाहरण सत्यजीत राय व श्याम बेनेगल हैं।
ऑस्कर अवार्ड से कान, वेनिस व बर्लिन फिल्म समारोह में मिलने पुरस्कारों को बड़ा बतलाते हुए उन्होंने कहा कि ऑस्कर सिर्फ अमेरिकन फिल्म इंडस्ट्री की देन है। अडूर ने छोटे फिल्म समारोहों की उपयोगिता को सार्थक बतलाते हुए जोड़ा कि बड़े व छोटे फिल्मोत्सव दोनों ही समान रुप से महत्वपूर्ण होते हैं। छोटे फिल्मोत्सव में फिल्मों के शिल्प व शैली की ओर सदैव अधिक ध्यान दिया जाता है और बड़े उत्सवों में ग्लैमर और चकाचौंध पर फोकस किया जाता है। फिल्मकार को हमेशा असलियत ही दिखानी चाहिए और किसी को भी इसमें शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। यह लोगों की गलत धारणा है कि कला फिल्में पैसा नहीं कमातीं। इसकी मिसाल उन्होंने सत्यजीत राय की उन फिल्मों से दी, जिन्होंने लागत से अधिक पैसा कमाने का रिकार्ड कायम किया है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान फिल्मकार के. बिक्रम सिंह ने कहा कि आजादी के 60 साल बीत जाने के बाद भी देश में ४० प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नहीं मिलती। जबकि हम कॉमनवेल्थ गेम्स पर ७० हजार करोड़ रुपए खर्च करने के लिए तैयार हैं।
अडूर की फीचर फिल्मों की स्क्रिप्ट पुस्तक रूप में प्रकाशित हो रही हैं
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अडूर गोपालकृष्णन ने बताया कि उन्होंने जितनी भी फीचर फिल्में बनाई हैं, उनकी फिल्म ट्रांसक्राइब करके स्क्रिप्ट तैयार की जा रही है। यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की जा रही है।









दिनांक 25 सितम्बर 2010 को प्रसिद्ध साहित्यकार पत्रकार कन्हैयालाल नंदन के निधन के बाद देश में कई जगह उन्हें श्रद्धांजलियाँ अर्पित की गई व शोक सभाओं के आयोजन हुए। ‘परिचय साहित्य परिषद’ ने भी 27 सितम्बर 2010 को ने दिल्ली के फीरोज़शाह रोड स्थित ‘रशियन कल्चरल सेण्टर’ में एक शोक सभा आयोजित की। इस शोकसभा में पूर्व सांसद व विख्यात साहित्यकार उदय प्रताप सिंह, प्रसिद्ध कविगण डॉ. शेरजंग गर्ग, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी व परिचय साहित्य परिषद अध्यक्ष उर्मिल सत्यभूषण मंच पर थे। लेखक प्रेमचंद सहजवाला ने कन्हैयालाल नंदन के साथ अपने संक्षिप्त संस्मरण बतौर श्रद्धांजलि प्रस्तुत किये। कवयित्री अर्चना त्रिपाठी ने कन्हैयालाल नंदन की एक कविता प्रस्तुत की। श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने कहा कि कन्हैयालाल नंदन ने असंख्य लेखकों कवियों को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने नंदन जी द्वारा सन 2007 में न्यूयार्क में हुए ‘विश्व हिंदी सम्मलेन’ में प्रस्तुत एक गज़ल के कुछ शेर कहे:
रायपुर। रचनाकारों की संस्था, प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा देश के उभरते हुए कवियों/लेखकों/निबंधकारों/कथाकारों/लघुकथाकारों/ब्लॉगरों को देश के विशिष्ट और वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा साहित्य के मूलभूत सिद्धातों, विधागत विशेषताओं, परंपरा, विकास और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित कराने, उनमें संवेदना और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने, प्रजातांत्रिक और शाश्वत जीवन मूल्यों के प्रति उन्मुखीकरण तथा स्थापित लेखक तथा उनके रचनाधर्मिता से तादात्मय स्थापित कराने के लिए अ.भा.त्रिदिवसीय (13, 14, 15 नवंबर, 2010) सृजनात्मक लेखन कार्यशाला का आयोजन बिलासपुर में किया जा रहा है । इस अखिल भारतीय स्तर के कार्यशाला में देश के 75 नवोदित/युवा रचनाकारों को सम्मिलित किया जायेगा।
विश्व भोजपुरी सम्मलेन की झारखंड इकाई द्वारा गत २६-२७ सितम्बर को विरसामुंडा की पावन भूमि रांची में सम्मलेन की कार्यकारिणी के राष्ट्रीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से युवा कवि मनोज भावुक को विश्व भोजपुरी सम्मलेन की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. मनोज इससे पहले विश्व भोजपुरी सम्मलेन की ग्रेट ब्रिटेन इकाई के अध्यक्ष (२००६-७) एवं अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन के प्रबंध मंत्री ( १९९८-९९) रह चुके हैं.

आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी, हैदराबाद [आंध्र प्रदेश] ने हिंदी दिवस की पूर्वसंध्या पर अकादमी भवन में हिंदी उत्सव का आयोजन किया और अच्छी धूमधाम से २०१० के हिंदी पुरस्कार सम्मानित हिंदीसेवियों तथा साहित्यकारों को समर्पित किए. एक लाख रुपए का पद्मभूषण मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार अष्टावधान विधा को लोकप्रिय बनाने के उपलक्ष्य में डॉ. चेबोलु शेषगिरि राव को प्रदान किया गया. तेलुगुभाषी उत्तम हिंदी अनुवादक और युवा लेखक के रूप में इस वर्ष क्रमशः वाई सी पी वेंकट रेड्डी और डॉ.सत्य लता को सम्मानित किय गया. डॉ. किशोरी लाल व्यास को दक्षिण भारतीय भाषेतर हिंदी लेखक पुरस्कार प्राप्त हुआ तथा विगत दो दशक से दक्षिण भारत में रहकर हिंदी भाषा और साहित्य की सेवा के उपलक्ष्य में डॉ.ऋषभ देव शर्मा को बतौर हिंदीभाषी लेखक पुरस्कृत किया गया. इन चारों श्रेणियों में पुरस्कृत प्रत्येक लेखक को पच्चीस हज़ार रुपए तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया. 
हम अनेकों कार्यक्रमों में जाते है बहुत से शो देखते हैं पर उनमे से कुछ ऐसे होते हैं जो एक सुनहरी याद बन आँखों में समाजाते हैं. ऐसा ही कुछ खास अनुभव रहा ऐ आर रहमान का कौन्सर्ट "दा जरनी होम वर्ड टुअर "स्काई पास इंटरटेनमेंट के तत्वाधान में प्रस्तुत इस शो ने डैलस में इतिहास रच डाला. डैलस का आज तक का सबसे बड़ा और सफल शो कहा जाये तो गलत न होगा. अमेरिकन एयर लाइनस सेंटर में करीब १३००० से भी ज्यादा लोगों ने इस शो का आनन्द उठाया शो थोडा देर से प्रारंभ हुआ जब इस शो के करता धरता "स्काई पास इंटरटेनमेंट के सी ई ओ श्री विक्टर इब्राहीम जी से इस देरी का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया की पहले ये कॉन्सर्ट ४ जुलाई को होने वाला था पर कुछ कारणों से ये स्थगित हो गया उस समय हम बहुत दुखी हो गये थे. पर हमारे बहुत से टिकट बिक चुके थे और उस पर शो प्रारंभ होने का समय लिखा था ८ बजे फिर जब अभी शो की नई तारीख मिली तो जो नए टिकट बिके उसमे शो प्रारंभ होने का समय लिखा था ७ बजे। बस यही गलतफहमी हो गई। यदि हम शोए ७ बजे शुरू करते तो आधे लोगों का शो छूट जाता। इसी कारण शो देर से शुरू करना पड़ा।"























मिथलेश-रामेश्वर प्रतिभा सम्मान योजना के अंतर्गत ऐसी मौलिक व अव्यवसायिक प्रतिभाओं से निःशुल्क प्रविष्टियॉं आमंत्रित हैं, जिन्होंने साहित्य, पत्रकारिता, संगीत, रंगमंच, चित्रकारी आदि कला के किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए उपर्युक्त किसी क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई हो। यह सम्मान 21 वर्ष से ऊपर आयु के एक पुरुष एवं एक महिला प्रतिभा के लिए है। इसमें शामिल होने के लिए प्रतिभाओं से उनका संपूर्ण जीवनवृत्त, पासपोर्ट आकार के फोटोग्राफ, प्राप्त प्रमाणपत्रों एवं उनके कार्यक्रमों/गतिविधियों से संबंधित समाचारों/फोटोग्राफ्स (यदि कोई हों) की फोटो प्रतियों आदि के साथ आमंत्रित हैं। प्रतिभागीगण अपनी प्रविष्टि के साथ अपना पता लिखा व टिकट लगा एक जवाबी लिफाफा व एक पोस्टकार्ड भी प्रेषित करें। सम्मानों का निर्णय एक समिति द्वारा किया जाएगा जिसका निर्णय सभी को मान्य होगा।
